पटना हाई कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश: कांग्रेस को पीएम मोदी की मां पर बने एआई वीडियो को हटाने का निर्देश
प्रस्तावना
भारत में राजनीति और मीडिया के बीच की रेखाएँ कभी-कभी धुंधली हो जाती हैं, विशेषकर जब डिजिटल तकनीकों का उपयोग संवेदनशील मुद्दों पर किया जाता है। हाल ही में, बिहार कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां हीराबेन मोदी पर आधारित एक एआई-जनित वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया, जिसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। इस वीडियो को लेकर पटना हाई कोर्ट ने कांग्रेस पार्टी को आदेश दिया कि वह इसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से तत्काल हटा ले। यह आदेश डिजिटल राजनीति और नैतिकता के बीच संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
विवादास्पद वीडियो का विवरण
10 सितंबर 2025 को बिहार कांग्रेस ने एक 36-सेकंड का वीडियो पोस्ट किया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी को सोते हुए दिखाया गया है और उनकी मां उन्हें उनकी नीतियों के लिए फटकार लगा रही हैं। वीडियो में स्पष्ट रूप से “AI GENERATED” लिखा था, लेकिन इसके बावजूद इसे वास्तविक समझा गया और इसने व्यापक विवाद को जन्म दिया। इस वीडियो में प्रधानमंत्री मोदी की मां की छवि का उपयोग किया गया, जो कि उनके निधन के बाद की गई एक संवेदनशीलता का उल्लंघन प्रतीत होता है।
पटना हाई कोर्ट का आदेश
पटना हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश पी.बी. बजंथरी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार सिन्हा की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने कांग्रेस पार्टी को निर्देश दिया कि वह इस वीडियो को सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाए और इसकी प्रसार को रोके। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस वीडियो में प्रधानमंत्री की दिवंगत मां की गरिमा और सम्मान का उल्लंघन हुआ है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की सामग्री न केवल अपमानजनक हो सकती है, बल्कि इससे सामाजिक सौहार्द्र भी भंग हो सकता है। इस आदेश ने डिजिटल राजनीति और नैतिकता के बीच संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
कानूनी आधार
कोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों का उल्लेख किया, जिनमें के.एस. पुर्तास्वामी, नालसा फाउंडेशन और सुब्रमण्यम स्वामी के मामलों का हवाला दिया गया। इन निर्णयों में निजता और गरिमा को मौलिक अधिकार माना गया है। कोर्ट ने कहा कि इस वीडियो के प्रसार से प्रधानमंत्री की मां की गरिमा का उल्लंघन हुआ है, जो कि संविधान के तहत संरक्षित है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उपयोग करते समय जिम्मेदारी और मर्यादा का पालन आवश्यक है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस वीडियो के प्रसार के बाद भाजपा और उसके सहयोगियों ने कांग्रेस की कड़ी आलोचना की। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री की दिवंगत मां के प्रति असंवेदनशीलता और अनैतिकता का प्रतीक बताया। वहीं, कांग्रेस ने अपनी सफाई में कहा कि वीडियो में किसी भी प्रकार की अपमानजनक सामग्री नहीं है और यह केवल एक राजनीतिक अभिव्यक्ति है। कांग्रेस ने यह भी कहा कि वीडियो में किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक सामग्री नहीं है और यह केवल एक राजनीतिक अभिव्यक्ति है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की भूमिका
कोर्ट ने इस मामले में फेसबुक, ट्विटर और गूगल को भी नोटिस जारी किया है, जिसमें उनसे इस वीडियो के प्रसार को रोकने के लिए कदम उठाने को कहा गया है। यह आदेश सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जिम्मेदारी और उनके द्वारा प्रसारित सामग्री की निगरानी की आवश्यकता को रेखांकित करता है। कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी सेवाओं का उपयोग किसी की गरिमा और सम्मान को ठेस पहुँचाने के लिए न किया जाए।
निष्कर्ष
पटना हाई कोर्ट का यह आदेश डिजिटल राजनीति और सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। यह स्पष्ट करता है कि राजनीतिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ व्यक्तिगत गरिमा और सम्मान का भी उल्लंघन नहीं किया जा सकता। इस मामले ने यह सवाल उठाया है कि क्या एआई-जनित सामग्री का उपयोग राजनीतिक प्रचार में किया जा सकता है और यदि हां, तो इसके लिए किन नैतिक और कानूनी सीमाओं का पालन करना आवश्यक है। आने वाले समय में, इस मामले की सुनवाई और इसके परिणाम यह निर्धारित करेंगे कि डिजिटल राजनीति में नैतिकता और कानूनी दायित्वों का संतुलन कैसे स्थापित किया जा सकता है।