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अरेस्‍ट किए गए व्यक्ति के अधिकार: BNSS 2023 और भारतीय संविधान के तहत

अरेस्‍ट किए गए व्यक्ति के अधिकार: BNSS 2023 और भारतीय संविधान के तहत

भारतीय न्यायिक प्रणाली में किसी भी व्यक्ति की स्वतंत्रता और गरिमा सर्वोपरि मानी जाती है। संविधान और भारतीय कानून ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी अपराध के संदिग्ध होने पर भी अपनी मौलिक और कानूनी सुरक्षा से वंचित न रहे। अरेस्‍ट किए गए व्यक्ति के अधिकार इन्हीं सुरक्षा उपायों का मूल आधार हैं। 2023 में लागू भारतीय न्याय संहिता (BNSS 2023) ने इन अधिकारों को और स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है। इस लेख में हम इन अधिकारों का विस्तार से अध्ययन करेंगे और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के संदर्भ में समझेंगे।


1. गिरफ्तारी के कारण की जानकारी का अधिकार

गिरफ्तारी के समय व्यक्ति को यह जानने का अधिकार होना चाहिए कि उसे किस अपराध के लिए गिरफ्तार किया गया है। यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 22(1) और BNSS 2023 की धारा 47 के तहत सुरक्षित है।

  • संविधानिक प्रावधान:
    अनुच्छेद 22(1) के अनुसार, किसी व्यक्ति को गिरफ्तारी के समय उसकी गिरफ्तारी का कारण स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए। इससे व्यक्ति अपने बचाव की तैयारी कर सकता है और कानून के तहत अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है।
  • BNSS प्रावधान:
    धारा 47 के अनुसार, गिरफ्तारी करने वाला अधिकारी आरोपी को गिरफ्तारी का कारण, उसके खिलाफ लगाए गए आरोप और अपराध का विवरण देना अनिवार्य है। इसके साथ ही यदि अपराध जमानतीय है, तो आरोपी को जमानत का अधिकार भी सूचित करना आवश्यक है।
  • सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण:
    Hussainara Khatoon v. State of Bihar (1979) में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कई मामले में आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद जानकारी नहीं दी गई, जिससे उसके मानवाधिकार का उल्लंघन हुआ। अदालत ने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि गिरफ्तारी के समय व्यक्ति को उसके अधिकारों के बारे में सूचित किया जाए।

इस अधिकार का उद्देश्य आरोपी को किसी भी अवैध या मनमानी गिरफ्तारी से बचाना और उसे न्यायिक प्रणाली में उचित प्रक्रिया प्रदान करना है।


2. वकील से परामर्श और कानूनी सहायता का अधिकार

कानूनी सहायता और वकील से परामर्श का अधिकार किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था का आधार है। संविधान के अनुच्छेद 22(1) और 39A तथा BNSS 2023 की धारा 340 में इसे स्पष्ट किया गया है।

  • संविधानिक प्रावधान:
    अनुच्छेद 39A राज्य को निर्देश देता है कि वह गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को न्यायिक सहायता प्रदान करे। अनुच्छेद 22(1) के अनुसार, किसी भी गिरफ्तारी के समय व्यक्ति को वकील से परामर्श का अधिकार है।
  • BNSS प्रावधान:
    धारा 340 के तहत, आरोपी अपनी पसंद के वकील को नियुक्त कर सकता है। यदि आरोपी आर्थिक रूप से कमजोर है, तो कोर्ट निःशुल्क वकील प्रदान करेगा। यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति को कानूनी प्रक्रिया में भाग लेने से वंचित न किया जाए।
  • महत्वपूर्ण केस:
    Hussainara Khatoon मामले में अदालत ने माना कि जेलों में बंद कई गरीब आरोपी, जो वकील की सहायता के बिना लंबे समय तक जेल में रहे, उनके अधिकारों का उल्लंघन हुआ। इसने निःशुल्क कानूनी सहायता को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

इस अधिकार का पालन यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी आरोपी न्यायिक प्रक्रिया में बिना कानूनी मार्गदर्शन के शोषित न हो।


3. मौन रहने का अधिकार

अनुच्छेद 20(3) के तहत, किसी भी आरोपी को स्वयं को अपराधी साबित करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इसे मौन रहने का अधिकार कहा जाता है।

  • इस अधिकार का उद्देश्य पुलिस या अन्य अधिकारी द्वारा जबरदस्ती, दबाव या प्रताड़ना के माध्यम से झूठी स्वीकारोक्ति से बचाना है।
  • BNSS में इस अधिकार की पुष्टि की गई है ताकि गिरफ्तार व्यक्ति किसी भी प्रकार के आत्म-अपराधिक दबाव से सुरक्षित रहे।

सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न मामलों में यह स्पष्ट किया कि यदि आरोपी मौन रहने का विकल्प चुनता है, तो उसे दोषी नहीं माना जा सकता।


4. मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होने का अधिकार

अनुच्छेद 22(2) और BNSS धारा 57 के तहत, गिरफ्तारी के बाद आरोपी को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना अनिवार्य है।

  • यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति पुलिस हिरासत में अनिश्चित काल तक न रहे।
  • मजिस्ट्रेट की निगरानी के माध्यम से गिरफ्तारी की वैधता की जांच होती है और किसी भी अवैध हिरासत को रोका जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मानवाधिकार संरक्षण का महत्वपूर्ण स्तंभ है और इसका पालन न करना विधिक उल्लंघन है।


5. चिकित्सा परीक्षण का अधिकार

BNSS धारा 53 के तहत, किसी भी गिरफ्तार व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक चोट के मामले में चिकित्सा परीक्षण का अधिकार है।

  • यह विशेष रूप से शारीरिक प्रताड़ना या पुलिस हिरासत में उत्पीड़न के मामलों में महत्वपूर्ण है।
  • परीक्षण रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत की जा सकती है ताकि आरोपी के मानवाधिकार की रक्षा की जा सके।

यह अधिकार सुनिश्चित करता है कि पुलिस हिरासत के दौरान किसी भी प्रकार का अत्याचार आरोपी पर न हो और उसकी सुरक्षा हो।


6. गिरफ्तारी की सूचना देने का अधिकार

BNSS धारा 48 के तहत, गिरफ्तार व्यक्ति को परिवार या मित्र को अपनी गिरफ्तारी की सूचना देने का अधिकार है।

  • यह अधिकार सामाजिक और कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
  • इससे आरोपी के परिजन उसकी स्थिति से अवगत रहते हैं और आवश्यक कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।

7. कस्टडी मेमो और अभिलेखन का अधिकार

BNSS धारा 49 के तहत, गिरफ्तारी के समय एक कस्टडी मेमो तैयार किया जाता है।

  • इसमें गिरफ्तारी का समय, तारीख, स्थान और गिरफ्तारी करने वाले अधिकारी का नाम शामिल होता है।
  • यह अभिलेख पुलिस हिरासत की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कस्टडी मेमो के बिना गिरफ्तारी अवैध मानी जाएगी और आरोपी के अधिकारों का उल्लंघन होगा।


8. निष्पक्ष और तर्कसंगत न्याय का अधिकार

अनुच्छेद 14 और 21 के तहत, सभी नागरिकों को समानता और जीवन का अधिकार प्राप्त है। इसका अर्थ है कि कोई भी आरोपी निष्पक्ष और तर्कसंगत न्याय का हकदार है।

  • BNSS धारा 57 के तहत, गिरफ्तारी के बाद आरोपी को तर्कसंगत प्रक्रिया और निष्पक्ष न्‍याय दिया जाना अनिवार्य है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में यह स्पष्ट किया कि निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करना राज्य की जिम्मेदारी है।

9. गिरफ्तारी के समय शारीरिक सुरक्षा

BNSS धारा 53 यह सुनिश्चित करती है कि गिरफ्तार व्यक्ति पर कोई शारीरिक या मानसिक अत्याचार न हो।

  • यदि हिरासत में चोटें आती हैं, तो चिकित्सा परीक्षण अनिवार्य है।
  • यह अधिकार पुलिस और अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न को रोकने का साधन है।

10. सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का महत्व

  • Hussainara Khatoon v. State of Bihar (1979): अदालत ने कहा कि गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर आरोपी, जो वकील की सहायता के बिना जेल में थे, उनके अधिकारों का उल्लंघन हुआ।
  • इसने न्यायपालिका को निर्देश दिया कि हिरासत में समय-समय पर आरोपी को वकील, मजिस्ट्रेट और चिकित्सा परीक्षण का अधिकार दिया जाए।

निष्कर्ष

अरेस्‍ट किए गए व्यक्ति के अधिकार भारतीय न्याय व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। BNSS 2023 और भारतीय संविधान ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी व्यक्ति अवैध हिरासत, शोषण या न्याय से वंचित न रहे। इन अधिकारों में शामिल हैं:

  1. गिरफ्तारी के कारण की जानकारी
  2. वकील से परामर्श और कानूनी सहायता
  3. मौन रहने का अधिकार
  4. मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होना
  5. चिकित्सा परीक्षण का अधिकार
  6. गिरफ्तारी की सूचना देने का अधिकार
  7. कस्टडी मेमो और अभिलेखन
  8. निष्पक्ष और तर्कसंगत न्याय
  9. शारीरिक और मानसिक सुरक्षा

इन अधिकारों का पालन सुनिश्चित करना न केवल कानूनी अनिवार्यता है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों की रक्षा का भी प्रतीक है। हर वकील, न्यायविद और नागरिक को इन अधिकारों की जानकारी होना अनिवार्य है।


1. गिरफ्तारी के कारण जानने का अधिकार

प्रावधान: अनुच्छेद 22(1), धारा 47 BNSS
विवरण: किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तारी के समय स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए कि उसे किस अपराध में गिरफ्तार किया गया है। इससे आरोपी को अपनी रक्षा की तैयारी करने का अवसर मिलता है। Hussainara Khatoon केस में सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि गरीब और असहाय आरोपी को भी जानकारी और उचित प्रक्रिया मिले।


2. वकील से परामर्श का अधिकार

प्रावधान: अनुच्छेद 22(1), अनुच्छेद 39A, धारा 340 BNSS
विवरण: गिरफ्तारी के समय आरोपी को अपनी पसंद के वकील से परामर्श का अधिकार है। यदि आरोपी आर्थिक रूप से कमजोर है, तो कोर्ट निःशुल्क वकील नियुक्त करेगा। इसका उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया में सभी को समान अवसर देना है।


3. मौन रहने का अधिकार

प्रावधान: अनुच्छेद 20(3)
विवरण: आरोपी को अपनी खिलाफत में गवाही देने या स्वीकारोक्ति करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। यह अधिकार पुलिस द्वारा उत्पीड़न या जबरदस्ती से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है।


4. मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होने का अधिकार

प्रावधान: अनुच्छेद 22(2), धारा 57 BNSS
विवरण: गिरफ्तारी के बाद आरोपी को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना अनिवार्य है। यह हिरासत की वैधता सुनिश्चित करता है और अवैध हिरासत को रोकता है।


5. चिकित्सा परीक्षण का अधिकार

प्रावधान: धारा 53 BNSS
विवरण: गिरफ्तारी के समय या हिरासत में अगर किसी प्रकार की चोट या शोषण का संदेह हो, तो आरोपी का चिकित्सा परीक्षण करना अनिवार्य है। इससे मानवाधिकारों की रक्षा होती है।


6. गिरफ्तारी की सूचना देने का अधिकार

प्रावधान: धारा 48 BNSS
विवरण: आरोपी को अपनी गिरफ्तारी की सूचना परिवार या मित्र को देने का अधिकार है। यह सामाजिक और कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करता है।


7. कस्टडी मेमो और अभिलेखन का अधिकार

प्रावधान: धारा 49 BNSS
विवरण: गिरफ्तार व्यक्ति को कस्टडी मेमो दिया जाता है, जिसमें गिरफ्तारी की तारीख, समय और अधिकारी का नाम होता है। यह हिरासत की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।


8. निष्पक्ष और तर्कसंगत न्याय का अधिकार

प्रावधान: अनुच्छेद 14, 21; धारा 57 BNSS
विवरण: सभी नागरिकों को निष्पक्ष और तर्कसंगत न्याय का अधिकार है। आरोपी को उचित सुनवाई और न्यायिक प्रक्रिया का पालन करते हुए फैसले का अधिकार है।


9. शारीरिक सुरक्षा का अधिकार

प्रावधान: धारा 53 BNSS
विवरण: गिरफ्तार व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शोषण से सुरक्षा मिलती है। किसी भी प्रताड़ना के मामले में चिकित्सा परीक्षण और रिकॉर्डिंग अनिवार्य है।


10. जमानत का अधिकार

प्रावधान: धारा 47 BNSS
विवरण: अगर गिरफ्तारी गैर-जमानती अपराध में नहीं है, तो आरोपी को जमानत का अधिकार दिया जाना चाहिए। इससे गिरफ्तारी और हिरासत का दुरुपयोग रोकने में मदद मिलती है।