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इंसाफ होगा हाईटेक, हाई कोर्ट का ऐप बचाएगा टाइम और कागज़

इंसाफ होगा हाईटेक, हाई कोर्ट का ऐप बचाएगा टाइम और कागज़ – न्याय व्यवस्था में डिजिटल क्रांति

नई दिल्ली। न्याय प्रणाली को सरल, पारदर्शी और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने की दिशा में दिल्ली हाई कोर्ट ने एक बड़ा कदम उठाया है। गुरुवार को हाई कोर्ट ने पांच नई डिजिटल सेवाओं की शुरुआत की, जिनसे अदालत से जुड़ी प्रक्रियाएँ तेज, किफायती और पर्यावरण के अनुकूल बनेंगी। इससे अदालतों में लंबित मामलों की संख्या घटाने, फाइलों की पारदर्शिता बढ़ाने और आम नागरिकों के लिए न्याय तक पहुँच आसान बनाने में मदद मिलेगी। इन सेवाओं के लॉन्च के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस विक्रम सेठ, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और अन्य वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी उपस्थित थे।

जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह, जो दिल्ली हाई कोर्ट की आईटी एंड एक्सेसिबिलिटी कमिटी की चेयरपर्सन हैं, ने इन सेवाओं की उपयोगिता, उनकी कार्यप्रणाली और न्यायिक प्रक्रिया में उनके योगदान के बारे में विस्तार से बताया। आइए जानते हैं कि ये सेवाएँ किस प्रकार न्याय व्यवस्था में बदलाव लाएंगी।


1. हाई कोर्ट मोबाइल ऐप – न्याय अब आपकी जेब में

नई तकनीक पर आधारित यह मोबाइल ऐप न्याय प्रणाली को आम नागरिकों तक ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसे विशेष रूप से इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि इसका उपयोग न्याय से जुड़े हर व्यक्ति — जज, वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता, वादी, आम जनता, अदालत कर्मचारी — आसानी से कर सके।

ऐप की मुख्य विशेषताएँ:

  • लॉगिन सुविधा: एडवोकेट और रजिस्टर्ड यूजर्स अपने मोबाइल नंबर से लॉग इन कर सकते हैं।
  • केस ट्रैकिंग: यूजर्स अपने केस देख सकते हैं, नई फाइलें जोड़ सकते हैं, आदेश और केस हिस्ट्री देख सकते हैं।
  • वाद सूची (कॉज लिस्ट): मामलों की सूची मिनटों में बनाई जा सकती है।
  • ई-फाइलिंग और ई-DHCR से कनेक्शन: ऐप सीधे ई-फाइलिंग, ई-DHCR (दिल्ली हाई कोर्ट रजिस्ट्री), ई-इंस्पेक्शन और ई-टू कॉपी जैसी सुविधाओं से जुड़ा है।

जजों के लिए विशेष डैशबोर्ड:

  • लंबित मामलों की जानकारी,
  • महीने भर में दायर नए मामलों के आंकड़े,
  • आवश्यक न्यायिक सूचना का त्वरित प्रदर्शन।

इस ऐप का उद्देश्य कोर्ट में जाने की आवश्यकता को कम करना है, ताकि लोग घर बैठे न्याय की प्रक्रिया से जुड़ सकें। इससे समय, श्रम और कागज की बचत होगी।


2. e-HRMS – न्यायिक अधिकारियों के लिए सुरक्षित संवाद का माध्यम

इलेक्ट्रॉनिक मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (e-HRMS) न्यायिक अधिकारियों को जिला अदालतों से जोड़ने का कार्य करती है। इसे सुरक्षित, तेज और प्रभावी संवाद सुनिश्चित करने के लिए विकसित किया गया है।

e-HRMS की प्रमुख विशेषताएँ:

  • अधिकारी और कर्मचारी अपने कार्यों का रिकॉर्ड रख सकते हैं।
  • प्रमोशन, छुट्टी आवेदन, सेवा संबंधित जानकारी ऑनलाइन दर्ज की जा सकती है।
  • फाइलों और आदेशों तक सुरक्षित पहुंच।
  • दूरस्थ स्थानों से भी काम करने की सुविधा।

इस प्लेटफॉर्म से न केवल काम में पारदर्शिता आएगी, बल्कि प्रशासनिक कार्यों की गति भी तेज होगी।


3. ई-ऑफिस – घर बैठे काम की सुविधा

न्यायिक अधिकारी और अदालत कर्मचारी अब डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए घर से ही फाइलों तक पहुँच सकते हैं। ई-ऑफिस की सुविधा से कार्य का दायरा विस्तृत होगा, और दूर-दराज़ से भी काम कर पाना संभव होगा।

लाभ:

  • फाइलों का डिजिटल संग्रहण।
  • सुरक्षित लॉगिन प्रणाली।
  • कामकाज की निरंतरता बनाए रखना।
  • डिजिटल हस्ताक्षर और फाइल अनुमोदन।

यह सुविधा न्याय प्रणाली को आधुनिक कार्य संस्कृति के साथ जोड़ती है और न्यायिक अधिकारियों के लिए समय और संसाधन बचाती है।


4. न्यायिक रिकॉर्ड का डिजिटल संरक्षण – कागज से क्लाउड तक

न्यायिक रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण अदालतों के लिए एक बड़ा बदलाव है। वर्ष 2010 से अब तक 9.61 करोड़ से अधिक पन्नों का डिजिटलीकरण किया जा चुका है। अब अदालत ने अतिरिक्त 50 करोड़ पन्नों को डिजिटाइज़ करने के लिए एक नई परियोजना शुरू की है।

इसके लाभ:

  • पुराने रिकॉर्ड सुरक्षित रहेंगे।
  • फाइलों की खोज और ट्रैकिंग आसान होगी।
  • कोर्ट की प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी।
  • पर्यावरण की रक्षा होगी क्योंकि कागज का उपयोग घटेगा।
  • भविष्य में डिजिटल सेवाओं का विस्तार संभव होगा।

यह परियोजना न्याय प्रणाली को डिजिटल युग में स्थापित करने का आधार बन रही है।


5. MCD अपीलेट ट्रिब्यूनल और JJB की ई-कोर्ट सेवा से ऑन-बोर्डिंग

अब एमसीडी अपीलेट ट्रिब्यूनल (MCD Appellate Tribunal) और जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) की केस जानकारी भी ई-कोर्ट प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होगी।

क्या सुविधाएँ मिलेंगी?

  • केस डिटेल्स ऑनलाइन देखे जा सकते हैं।
  • आदेश और जजमेंट तक पहुँच।
  • वकीलों और वादियों के लिए आसान ट्रैकिंग।
  • कोर्ट परिसर में बार-बार आने की आवश्यकता कम होगी।

इससे न्याय प्रक्रिया में गति आएगी और आम नागरिकों की पहुँच बेहतर होगी।


न्याय व्यवस्था में बदलाव की नई दिशा

इन डिजिटल सेवाओं के लागू होने से अदालतें तकनीकी रूप से आधुनिक बनेंगी। लंबित मामलों को ट्रैक करना आसान होगा, फाइलों की खोज में समय बचेगा, पारदर्शिता बढ़ेगी, और न्याय प्रक्रिया में भ्रष्टाचार या अनियमितताओं की संभावना कम होगी।

पर्यावरण के लिए लाभ:

  • कागज का उपयोग घटेगा।
  • डिजिटल रिकॉर्ड से कार्यालयों की जगह और संसाधनों की बचत होगी।

नागरिकों के लिए लाभ:

  • मोबाइल ऐप से घर बैठे न्याय से जुड़ सकते हैं।
  • ऑनलाइन आदेश, केस हिस्ट्री देख सकते हैं।
  • बिना कोर्ट जाए प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं।

अधिकारियों के लिए लाभ:

  • सुरक्षित और तेज संवाद।
  • डिजिटल प्रमोशन और छुट्टी आवेदन।
  • दूरस्थ कार्य की सुविधा।

चुनौतियाँ और संभावनाएँ

हालाँकि ये डिजिटल सेवाएँ कई समस्याओं का समाधान करेंगी, फिर भी कुछ चुनौतियाँ सामने आएंगी:

  • ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी।
  • डिजिटल साक्षरता की कमी।
  • डेटा सुरक्षा और साइबर सुरक्षा का जोखिम।

इसके बावजूद, यह पहल न्याय को आधुनिक युग में ले जाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। धीरे-धीरे यह अन्य राज्यों और न्यायालयों में भी लागू हो सकता है।


निष्कर्ष

दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा शुरू की गई ये पाँच डिजिटल सेवाएँ न्याय प्रणाली को हाईटेक बनाने की दिशा में क्रांतिकारी कदम हैं। मोबाइल ऐप, e-HRMS, ई-ऑफिस, डिजिटल रिकॉर्ड संरक्षण, और ट्रिब्यूनल की ई-सेवाएँ न केवल न्याय तक पहुँच को सरल बनाएंगी, बल्कि पर्यावरण, समय और संसाधनों की बचत भी करेंगी। आने वाले वर्षों में यह पहल पूरे देश में न्याय प्रणाली को प्रभावी, पारदर्शी और नागरिक-केंद्रित बनाने का आधार बनेगी।

इंसाफ अब और आसान, तेज और किफायती होगा — क्योंकि न्याय का भविष्य डिजिटल है।