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The National Green Tribunal Act, 2010 (NGT Act) – पर्यावरण संरक्षण मामलों में विशेषज्ञ न्यायाधिकरण

The National Green Tribunal Act, 2010 (NGT Act) – पर्यावरण संरक्षण मामलों में विशेषज्ञ न्यायाधिकरण

भारत में पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता तेजी से बढ़ती जा रही है, खासकर औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि के कारण। प्रदूषण, वन और जल संसाधनों की क्षति, जैव विविधता का नुकसान, और प्राकृतिक आपदाओं का बढ़ता प्रभाव – ये सभी समस्याएँ पर्यावरण संरक्षण के महत्व को और अधिक बढ़ाती हैं। इन चुनौतियों का सामना करने और पर्यावरणीय मामलों में विशेषज्ञ न्यायपालिका स्थापित करने के लिए National Green Tribunal Act, 2010 पारित किया गया। यह अधिनियम एक विशेष न्यायाधिकरण की स्थापना करता है जो पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के उचित प्रबंधन के मामलों को जल्दी और प्रभावी ढंग से सुन सके।


1. अधिनियम का उद्देश्य और पृष्ठभूमि

National Green Tribunal Act, 2010 का उद्देश्य मुख्य रूप से पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए एक विशेषज्ञ न्यायाधिकरण की स्थापना करना है।

उद्देश्य:

  1. प्रदूषण और पर्यावरणीय क्षति से निपटना।
  2. पर्यावरण कानूनों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना।
  3. प्रभावित पक्षों को शीघ्र राहत प्रदान करना।
  4. पर्यावरणीय विवादों का तेज़, प्रभावी और सुलभ समाधान।

पृष्ठभूमि:

  • भारत में पहले भी पर्यावरण संरक्षण के लिए कानून मौजूद थे, जैसे Environment (Protection) Act, 1986, Air Act, 1981, और Water Act, 1974
  • इन कानूनों के तहत मामलों की सुनवाई सामान्य न्यायालयों में होती थी, जो धीमी और जटिल प्रक्रिया के कारण प्रभावी नहीं थी।
  • इसलिए, विशेषज्ञ और त्वरित न्यायिक समाधान हेतु NGT की स्थापना की गई।

2. NGT का गठन और संरचना

धारा 3: National Green Tribunal की स्थापना

  • NGT केंद्र सरकार द्वारा स्थापित किया जाता है।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
  • आवश्यकतानुसार क्षेत्रीय Benches भी स्थापित की जा सकती हैं।

धारा 4: अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति

  • NGT का अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय का पूर्व न्यायाधीश हो सकता है।
  • सदस्यों में वरिष्ठ प्रशासनिक और वैज्ञानिक विशेषज्ञ शामिल होते हैं।
  • अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा केंद्र सरकार की सिफारिश पर की जाती है।

धारा 5: सदस्यों की योग्यता

  • अध्यक्ष: उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश।
  • विशेषज्ञ सदस्य: पर्यावरण विज्ञान, वन, जल और प्रदूषण नियंत्रण में अनुभव।

धारा 6: कार्यकाल और सेवा शर्तें

  • अध्यक्ष और सदस्यों की सेवा अवधि, वेतन और सुविधा केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित होती है।
  • नियुक्ति पूर्णकालिक और निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करने वाली होती है।

3. NGT के क्षेत्राधिकार (Jurisdiction)

धारा 14: NGT का क्षेत्राधिकार

  • पर्यावरण संरक्षण से संबंधित सभी मामलों में।
  • नदियों, झीलों, भूमि, वन, वायु और जल स्रोतों में प्रदूषण।
  • पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (EIA) से जुड़े मामले।
  • वन्य जीवों, जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा।
  • केंद्र और राज्य सरकार द्वारा पारित पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन से जुड़े मामले।

धारा 15: न्यायाधिकरण द्वारा आदेश

  • NGT प्रभावित पक्षों से राहत प्रदान कर सकता है।
  • जुर्माना और मुआवजा देने का अधिकार।
  • पर्यावरणीय क्षति को रोकने के लिए निर्देश जारी कर सकता है।

4. प्रक्रिया और सुनवाई

धारा 16: दावों की प्रक्रिया

  • NGT में मामला किसी भी व्यक्ति, संगठन या सरकारी एजेंसी द्वारा दाखिल किया जा सकता है।
  • शिकायत पत्र और आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करना आवश्यक है।
  • प्राथमिक जाँच और सुनवाई का समय सीमा में होना।

धारा 17: त्वरित सुनवाई

  • NGT पर्यावरणीय मामलों में शीघ्र सुनवाई सुनिश्चित करता है।
  • सुनवाई की प्रक्रिया सरल और न्यायपूर्ण होती है।
  • विशेषज्ञ गवाह और वैज्ञानिक प्रमाणों का उपयोग किया जाता है।

धारा 18: अपील और पुनर्विचार

  • NGT के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील संभव है।
  • पुनर्विचार का अधिकार केवल विशेष परिस्थितियों में।

5. सजा और दंड (Penalties)

धारा 19: उल्लंघन करने वालों के लिए दंड

  • NGT प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों या व्यक्तियों पर जुर्माना लगा सकता है।
  • प्राकृतिक संसाधनों की क्षति पर मुआवजा वसूला जा सकता है।
  • धारा 20 के तहत निरंतर उल्लंघन करने वालों के लिए कठोर कार्रवाई।

धारा 20: पर्यावरणीय आपदा की रोकथाम

  • NGT तत्काल रोकथाम के आदेश जारी कर सकता है।
  • प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास और सुधार कार्यक्रम लागू कर सकता है।

6. NGT के विशेषाधिकार और लाभ

  1. विशेषज्ञ न्याय: पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के विशेषज्ञ शामिल।
  2. त्वरित न्याय: मामलों की सुनवाई तेज़ और प्रभावी।
  3. सुलभता: आम जनता भी NGT में शिकायत दर्ज कर सकती है।
  4. समग्र दृष्टिकोण: प्रदूषण रोकने, संसाधन बचाने और पर्यावरण सुधार पर ध्यान।

7. प्रमुख न्यायिक निर्णय और प्रासंगिक उदाहरण

  • MC Mehta v. Union of India: वायु और जल प्रदूषण के मामलों में NGT का अहम योगदान।
  • Sterlite Copper Case: NGT ने प्रदूषण रोकने और उद्योग बंद करने का आदेश दिया।
  • River Pollution Cases: नदी प्रदूषण के मामलों में NGT द्वारा प्रभावित उद्योगों पर जुर्माना।

ये उदाहरण दर्शाते हैं कि NGT पर्यावरण संरक्षण के मामलों में त्वरित और प्रभावी न्याय प्रदान करता है।


8. निष्कर्ष

National Green Tribunal Act, 2010 ने भारत में पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण को मजबूत किया। यह अधिनियम:

  • विशेषज्ञ न्यायाधिकार प्रदान करता है।
  • पर्यावरणीय विवादों को शीघ्र और प्रभावी ढंग से हल करता है।
  • सरकार, उद्योग और जनता को पर्यावरणीय जिम्मेदारी का एहसास कराता है।
  • प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और सतत विकास सुनिश्चित करता है।

पर्यावरण संरक्षण अब केवल कानूनी आवश्यकता नहीं, बल्कि नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी भी बन गया है। NGT इस दिशा में सबसे प्रभावी कदम साबित हुआ है।


संक्षेप में महत्वपूर्ण धाराएँ:

धारा विषय
धारा 3 NGT की स्थापना
धारा 4 अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति
धारा 5 सदस्यों की योग्यता
धारा 6 कार्यकाल और सेवा शर्तें
धारा 14 NGT का क्षेत्राधिकार
धारा 15 आदेश और राहत
धारा 16 दावों की प्रक्रिया
धारा 17 त्वरित सुनवाई
धारा 18 अपील और पुनर्विचार
धारा 19 दंड और जुर्माना
धारा 20 पर्यावरणीय आपदा की रोकथाम

1. NGT Act, 2010 का मुख्य उद्देश्य क्या है?

NGT Act, 2010 का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और प्रदूषण से संबंधित विवादों का त्वरित और विशेषज्ञ न्यायिक समाधान प्रदान करना है। यह अधिनियम विभिन्न पर्यावरण कानूनों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए National Green Tribunal (NGT) की स्थापना करता है। NGT प्रभावित पक्षों को शीघ्र राहत प्रदान करने, पर्यावरणीय क्षति को रोकने और न्यायसंगत मुआवजा देने में सक्षम है।


2. NGT का गठन कैसे होता है?

NGT की स्थापना केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है और आवश्यकतानुसार क्षेत्रीय Benches भी स्थापित की जा सकती हैं। NGT का अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय का पूर्व न्यायाधीश होता है, और सदस्य प्रशासनिक या वैज्ञानिक विशेषज्ञ होते हैं। अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा केंद्र सरकार की सिफारिश पर की जाती है।


3. NGT के अध्यक्ष और सदस्यों की योग्यता क्या है?

अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश या पूर्व न्यायाधीश होना चाहिए। विशेषज्ञ सदस्य पर्यावरण विज्ञान, वन, जल, प्रदूषण नियंत्रण या प्राकृतिक संसाधनों में अनुभव रखने वाले व्यक्ति हो सकते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि NGT के निर्णय विशेषज्ञ और न्यायपूर्ण हों।


4. NGT का क्षेत्राधिकार (Jurisdiction) क्या है?

NGT का क्षेत्राधिकार पर्यावरण संरक्षण से संबंधित सभी मामलों में है। इसमें जल, वायु, भूमि प्रदूषण, जैव विविधता, वन्य जीव संरक्षण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (EIA) और केंद्र/राज्य सरकार के पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन शामिल हैं। NGT प्रभावित पक्षों को राहत प्रदान कर सकता है और पर्यावरणीय क्षति को रोकने के लिए आदेश जारी कर सकता है।


5. NGT में शिकायत कैसे दर्ज की जाती है?

कोई भी व्यक्ति, संगठन या सरकारी एजेंसी NGT में पर्यावरण संरक्षण से संबंधित शिकायत दर्ज कर सकता है। शिकायत पत्र और संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करना आवश्यक है। NGT मामले की प्राथमिक जाँच करता है और त्वरित सुनवाई का समय सीमा में आयोजन करता है।


6. NGT के आदेश और राहत के प्रकार क्या हैं?

NGT प्रभावित पक्षों को पर्यावरणीय क्षति के लिए मुआवजा दे सकता है। यह प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों या व्यक्तियों पर जुर्माना लगा सकता है। NGT पर्यावरणीय आपदा रोकने, सुधारात्मक कार्य और प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास के आदेश भी जारी कर सकता है।


7. NGT की सुनवाई प्रक्रिया कैसी है?

NGT की सुनवाई प्रक्रिया सरल और त्वरित होती है। इसमें विशेषज्ञ गवाह और वैज्ञानिक प्रमाणों का उपयोग किया जाता है। सुनवाई के दौरान प्रभावित पक्षों को मौका दिया जाता है कि वे अपने पक्ष को प्रस्तुत करें। त्वरित निर्णय से पर्यावरणीय मामलों में शीघ्र राहत मिलती है।


8. NGT के आदेश के खिलाफ अपील कैसे की जा सकती है?

NGT के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है। पुनर्विचार का अधिकार केवल विशेष परिस्थितियों में होता है। यह सुनिश्चित करता है कि न्याय प्रणाली में जवाबदेही और पुनरावलोकन की व्यवस्था मौजूद हो।


9. NGT द्वारा लगाए जाने वाले दंड और जुर्माने क्या हैं?

NGT प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों या व्यक्तियों पर जुर्माना लगा सकता है। प्राकृतिक संसाधनों की क्षति के लिए मुआवजा वसूला जा सकता है। लगातार उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई भी NGT द्वारा की जा सकती है।


10. NGT Act, 2010 का महत्व क्यों है?

NGT Act, 2010 पर्यावरण संरक्षण के मामलों में विशेषज्ञ न्यायिक समाधान प्रदान करता है। यह त्वरित, प्रभावी और सुलभ न्याय सुनिश्चित करता है। NGT सरकार, उद्योग और जनता को पर्यावरणीय जिम्मेदारी का एहसास कराता है और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और सतत विकास को प्रोत्साहित करता है।