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बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा ली जाने वाली स्थानांतरण फीस को अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत अवैध घोषित किया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा ली जाने वाली स्थानांतरण फीस को अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत अवैध घोषित किया

          भारत के न्यायिक इतिहास में बार काउंसिल और अधिवक्ताओं के अधिकारों से जुड़े अनेक निर्णय हुए हैं। हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा अधिवक्ताओं से ली जाने वाली स्थानांतरण फीस (Transfer Fee) को अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के विपरीत और अवैध ठहराया गया। यह निर्णय न केवल अधिवक्ताओं के अधिकारों को मज़बूती प्रदान करता है बल्कि बार काउंसिलों की वैधानिक सीमाओं को भी स्पष्ट करता है। इस लेख में हम इस निर्णय की पृष्ठभूमि, कानूनी प्रश्न, अधिनियम के प्रावधान, अदालत की व्याख्या तथा इसके दूरगामी प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।


1. प्रस्तावना

अधिवक्ता अधिनियम, 1961 (Advocates Act, 1961) का उद्देश्य पूरे भारत में अधिवक्ताओं के पेशे का विनियमन करना है। यह अधिनियम राष्ट्रीय स्तर पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) और राज्य स्तर पर स्टेट बार काउंसिल्स के गठन का प्रावधान करता है। इन संस्थाओं को अधिवक्ताओं के नामांकन, पंजीकरण, अनुशासन और पेशेवर आचरण से जुड़े कार्यों की ज़िम्मेदारी दी गई है।

हालांकि, समय-समय पर विभिन्न राज्य बार काउंसिलों ने ऐसे नियम बनाए हैं जो अधिवक्ताओं पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालते हैं। महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा ली जाने वाली स्थानांतरण फीस ऐसा ही एक प्रावधान था, जिस पर विवाद उत्पन्न हुआ और अंततः मामला बॉम्बे हाईकोर्ट तक पहुँचा।


2. स्थानांतरण फीस विवाद की पृष्ठभूमि

अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 18 और धारा 20 में यह व्यवस्था है कि कोई अधिवक्ता यदि एक राज्य बार काउंसिल से दूसरे राज्य बार काउंसिल में स्थानांतरण चाहता है तो उसे केवल बार काउंसिल ऑफ इंडिया के समक्ष आवेदन करना होगा।

  • धारा 18(1) कहती है कि यदि कोई अधिवक्ता किसी अन्य राज्य की बार काउंसिल की सूची में नाम दर्ज कराना चाहता है, तो उसे बीसीआई (BCI) से अनुमति लेनी होगी।
  • धारा 20 कहती है कि अधिवक्ता का नाम एक बार में केवल एक राज्य बार काउंसिल की सूची में ही रहेगा।

स्पष्ट रूप से अधिनियम में स्थानांतरण की प्रक्रिया का प्रावधान है, लेकिन इसमें कहीं भी अतिरिक्त “स्थानांतरण शुल्क” का उल्लेख नहीं है। इसके बावजूद महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल अधिवक्ताओं से एक निश्चित राशि शुल्क के रूप में ले रही थी। कई अधिवक्ताओं ने इसे चुनौती दी और कहा कि यह अधिनियम की भावना के विपरीत है।


3. याचिका और कानूनी प्रश्न

याचिकाकर्ताओं ने बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क दिया कि:

  1. स्थानांतरण फीस का कोई वैधानिक आधार नहीं है।
  2. अधिवक्ता अधिनियम केवल बीसीआई को स्थानांतरण का अधिकार देता है, राज्य बार काउंसिल को नहीं।
  3. इस प्रकार की फीस अधिवक्ताओं के मौलिक अधिकारों, विशेषकर पेशा चुनने और अभ्यास करने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19(1)(g)) का उल्लंघन करती है।
  4. राज्य बार काउंसिल का यह कदम मनमाना और अधिनियम की सीमाओं से बाहर है।

वहीं, महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह शुल्क प्रशासनिक खर्चों को पूरा करने के लिए लिया जाता है और अधिवक्ताओं से लिया गया यह शुल्क उचित है।


4. अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के प्रावधानों की व्याख्या

अदालत ने अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं का विश्लेषण किया।

  • धारा 6 – राज्य बार काउंसिल के कार्य और कर्तव्य बताए गए हैं, जिनमें अधिवक्ताओं का नामांकन, चुनाव, अनुशासनात्मक कार्रवाई आदि शामिल हैं।
  • धारा 18 – स्थानांतरण का प्रावधान।
  • धारा 49 – बीसीआई को नियम बनाने का अधिकार।

अदालत ने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम का उद्देश्य पूरे भारत में अधिवक्ताओं के लिए समान प्रक्रिया सुनिश्चित करना है। यदि राज्य बार काउंसिलें अलग-अलग शुल्क लगाएंगी तो यह अधिनियम की एकरूपता को प्रभावित करेगा।


5. बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्णय

हाईकोर्ट ने अपने विस्तृत निर्णय में कहा कि:

  1. महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा ली जाने वाली स्थानांतरण फीस अवैध है, क्योंकि इसका कोई वैधानिक आधार अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में नहीं है।
  2. अधिवक्ताओं का नाम एक राज्य से दूसरे राज्य की सूची में स्थानांतरित करना केवल बीसीआई का कार्य है।
  3. राज्य बार काउंसिल को केवल उन कार्यों का अधिकार है जो अधिनियम में स्पष्ट रूप से दिए गए हैं।
  4. किसी अधिवक्ता से मनमाना शुल्क वसूलना उनके पेशेवर अधिकारों का उल्लंघन है।

इस प्रकार हाईकोर्ट ने अधिवक्ताओं को राहत देते हुए इस अतिरिक्त शुल्क को अवैध घोषित किया।


6. निर्णय के प्रभाव

यह फैसला देशभर के अधिवक्ताओं के लिए दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।

  1. एकरूपता सुनिश्चित होगी – अब अधिवक्ता किसी भी राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरण के लिए केवल बीसीआई से संपर्क करेंगे, अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा।
  2. आर्थिक बोझ कम होगा – वकीलों को अनावश्यक आर्थिक दबाव से राहत मिलेगी।
  3. राज्य बार काउंसिलों की सीमा स्पष्ट – यह फैसला राज्य बार काउंसिलों की वैधानिक सीमाओं को स्पष्ट करता है।
  4. भविष्य में उदाहरण – यह निर्णय अन्य राज्यों में भी समान प्रथाओं को चुनौती देने का आधार बनेगा।

7. आलोचना और सुझाव

हालांकि यह निर्णय अधिवक्ताओं के पक्ष में है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बार काउंसिलों को प्रशासनिक कार्यों के लिए वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होती है। यदि राज्य बार काउंसिलों के पास पर्याप्त आर्थिक साधन नहीं होंगे, तो उनके कार्य प्रभावित हो सकते हैं।

इस संदर्भ में दो सुझाव सामने आते हैं:

  1. बीसीआई को वैकल्पिक वित्तीय ढाँचा विकसित करना चाहिए, जिससे राज्य बार काउंसिलों को अलग से शुल्क लेने की आवश्यकता न पड़े।
  2. अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में आवश्यक संशोधन कर बार काउंसिलों के लिए स्पष्ट वित्तीय स्रोत तय किए जा सकते हैं।

8. निष्कर्ष

बॉम्बे हाईकोर्ट का यह निर्णय अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की मंशा और अधिवक्ताओं के पेशेवर अधिकारों को मज़बूती देने वाला है। इसने स्पष्ट किया कि राज्य बार काउंसिलें अपनी वैधानिक सीमाओं से बाहर जाकर अधिवक्ताओं पर मनमाना शुल्क नहीं थोप सकतीं। यह फैसला न केवल महाराष्ट्र और गोवा बल्कि पूरे भारत में अधिवक्ताओं के हितों को संरक्षित करता है और बार काउंसिलों की कार्यप्रणाली को अधिनियम की रूपरेखा के भीतर रखने का महत्वपूर्ण संदेश देता है।


✍️ लेखक की टिप्पणी
यह फैसला अधिवक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के साथ-साथ कानून के शासन (Rule of Law) की भी पुनर्पुष्टि करता है। यह न्यायपालिका की उस भूमिका को भी दर्शाता है जिसके माध्यम से वह अधिनियमों की व्याख्या कर राज्य संस्थाओं को उनकी सीमाओं में रहने का निर्देश देती है।


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📘 संभावित प्रश्न

1. बॉम्बे हाईकोर्ट ने किस बार काउंसिल द्वारा ली जाने वाली स्थानांतरण फीस को अवैध घोषित किया?

a) दिल्ली बार काउंसिल
b) उत्तर प्रदेश बार काउंसिल
c) महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल ✅
d) राजस्थान बार काउंसिल


2. अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की कौन-सी धारा अधिवक्ता के स्थानांतरण से संबंधित है?

a) धारा 6
b) धारा 18 ✅
c) धारा 24
d) धारा 49


3. अधिवक्ता अधिनियम के अंतर्गत किसी अधिवक्ता का नाम एक समय में कितनी राज्य बार काउंसिलों की सूची में दर्ज हो सकता है?

👉 केवल एक


4. अधिवक्ताओं के नाम का स्थानांतरण किस संस्था के अधिकार क्षेत्र में आता है?

a) राज्य बार काउंसिल
b) बार काउंसिल ऑफ इंडिया ✅
c) उच्च न्यायालय
d) सर्वोच्च न्यायालय


5. बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्थानांतरण फीस को क्यों अवैध घोषित किया?

👉 क्योंकि इसका कोई वैधानिक आधार अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में नहीं है। ✅


6. अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 6 किससे संबंधित है?

👉 राज्य बार काउंसिल के कार्य और कर्तव्यों से ✅


7. किस अनुच्छेद के तहत अधिवक्ताओं को पेशा चुनने और उसका अभ्यास करने की स्वतंत्रता प्राप्त है?

a) अनुच्छेद 14
b) अनुच्छेद 19(1)(g) ✅
c) अनुच्छेद 21
d) अनुच्छेद 32


8. अदालत ने कहा कि यदि राज्य बार काउंसिलें अलग-अलग शुल्क वसूलेंगी तो इसका क्या प्रभाव होगा?

👉 अधिवक्ता अधिनियम की एकरूपता (Uniformity) प्रभावित होगी ✅


9. इस फैसले के बाद अधिवक्ताओं को क्या राहत मिली?

👉 उन्हें स्थानांतरण के लिए अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। ✅


10. इस निर्णय का भविष्य में क्या महत्व है?

👉 यह फैसला अन्य राज्यों में भी मनमानी शुल्क वसूलने की प्रथा को चुनौती देने का आधार बनेगा। ✅