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पत्नी का बिना कारण एक वर्ष से अधिक मायके में रहना : परित्याग (Desertion) और तलाक का आधार

पत्नी का बिना कारण एक वर्ष से अधिक मायके में रहना : परित्याग (Desertion) और तलाक का आधार

भारतीय समाज में विवाह केवल दो व्यक्तियों का संबंध नहीं है, बल्कि यह दो परिवारों का भी गहरा संबंध होता है। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (Hindu Marriage Act, 1955) और भारतीय दंड विधानों में विवाह संस्था को विशेष संरक्षण दिया गया है। लेकिन जब वैवाहिक संबंधों में तनाव, दूरी और अधिकारों-कर्तव्यों की अनदेखी होने लगती है, तब कानून हस्तक्षेप करता है।

यदि कोई पत्नी बिना उचित कारण या ठोस वजह के अपने मायके में लगातार एक वर्ष से अधिक समय तक रहती है और पति के पास लौटने से इंकार करती है, तो इसे “परित्याग” (Desertion) माना जा सकता है। यह केवल प्रताड़ना (Cruelty) का मामला नहीं है, बल्कि तलाक का एक मजबूत और मान्य आधार है। भारतीय न्यायालयों ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों में पति को न्यायालय से राहत मिलेगी और पत्नी का यह आचरण विवाह संबंध की गंभीर उपेक्षा माना जाएगा।


1. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 में परित्याग (Desertion) का प्रावधान

धारा 13(1)(ib) के अनुसार, यदि पति या पत्नी बिना उचित कारण, दूसरे पक्ष की सहमति के बिना या वैवाहिक दायित्वों का उल्लंघन करते हुए लगातार दो वर्ष तक उसे छोड़ देता/देती है, तो यह तलाक का वैध आधार बनता है।

परित्याग के लिए आवश्यक तत्व:

  1. स्वेच्छा से त्याग – पत्नी का यह निर्णय उसकी मर्जी से होना चाहिए। यदि वह मायके में दबाव या मजबूरी में है तो यह Desertion नहीं कहलाएगा।
  2. उचित कारण का अभाव – मायके में रहने का कारण उचित न हो (जैसे स्वास्थ्य समस्या, पति का अत्याचार आदि को छोड़कर)।
  3. निरंतर अवधि – लगातार दो वर्ष तक अलग रहना आवश्यक है।
  4. विवाहिक दायित्वों की अनदेखी – पति के साथ सहवास, साथ रहना, देखभाल जैसे वैवाहिक दायित्वों का पालन न करना।

2. नया आपराधिक कानून : भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 और विवाहिक विवाद

भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) ने कई प्रावधानों को सरल और आधुनिक रूप दिया है। हालांकि BNS मुख्य रूप से आपराधिक मामलों से संबंधित है, विवाह विवाद मुख्यतः नागरिक कानून (HMA, 1955) में आते हैं।

लेकिन BNS, 2023 का अप्रत्यक्ष प्रभाव यहाँ देखा जा सकता है:

  • 498A IPC (अब BNS धारा 85) – पत्नी पर क्रूरता का अपराध पति या उसके परिवार द्वारा किया जाए तो पत्नी केस दर्ज कर सकती है।
  • लेकिन, यदि पत्नी गलत ढंग से झूठे मामले दर्ज करती है और बिना कारण पति से अलग रहती है, तो यह पति के लिए मानहानि, झूठे आरोप और न्यायालय की अवमानना जैसे बचाव का आधार बन सकता है।
  • BNS में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि पत्नी को मायके में रहना अपराध है, लेकिन यह पति के लिए तलाक और वैवाहिक अधिकार पुनर्स्थापन (Restitution of Conjugal Rights, धारा 9 HMA) का आधार बन सकता है।

3. प्रताड़ना (Cruelty) और परित्याग (Desertion) में अंतर

  • प्रताड़ना (Cruelty) – मानसिक या शारीरिक हिंसा, अत्यधिक तिरस्कार, झूठे मुकदमे, अपमान आदि।
  • परित्याग (Desertion) – जब एक पक्ष बिना कारण विवाहिक दायित्वों से पीछे हटकर दूसरे को छोड़ देता है और वापस आने से इनकार करता है।

इसलिए पत्नी का एक साल से ज्यादा मायके में बिना कारण रहना प्रताड़ना नहीं बल्कि “परित्याग” की श्रेणी में आता है


4. न्यायालयों के प्रमुख निर्णय

  1. बिपिनचंद्र बनाम प्रतिभा (1957 SC) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि Desertion केवल शारीरिक दूरी नहीं, बल्कि मानसिक दूरी और विवाहिक संबंध समाप्त करने का इरादा (Intention to desert) भी आवश्यक है।
  2. लछमन उतामचंद बनाम मीना (1964 SC) – पत्नी का मायके में रहना बिना ठोस कारण Desertion माना गया।
  3. सावित्री पांडे बनाम प्रेम चंद्र पांडे (2002 SC) – लगातार अलग रहना और विवाहिक कर्तव्यों की उपेक्षा Desertion का आधार है।

5. पति के पास उपलब्ध कानूनी उपाय

  1. वैवाहिक अधिकार पुनर्स्थापन (Restitution of Conjugal Rights – धारा 9 HMA)
    • पति परिवार न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है कि पत्नी अपने दायित्व पूरे करे और साथ रहे।
    • यदि पत्नी आदेश के बाद भी नहीं लौटती तो यह तलाक का मजबूत आधार बन जाता है।
  2. तलाक की याचिका (धारा 13 HMA)
    • दो वर्ष से अधिक Desertion होने पर पति सीधे तलाक की याचिका दाखिल कर सकता है।
  3. झूठे आरोप से सुरक्षा (BNS 2023 के अंतर्गत)
    • यदि पत्नी 498A जैसे झूठे मामले करती है तो पति उसके खिलाफ प्रतिवाद और मुआवजा का दावा कर सकता है।

6. समाज और कानून की दृष्टि

भारतीय कानून पति-पत्नी दोनों को समान अधिकार देता है। पत्नी का मायके में रहना यदि उचित कारण से है (जैसे पति का हिंसक व्यवहार, दहेज उत्पीड़न, सुरक्षा की चिंता), तो यह Desertion नहीं कहलाएगा। लेकिन यदि पत्नी बिना कारण, पति से दूरी बनाकर, अपने वैवाहिक दायित्वों से बच रही है, तो यह पति के लिए तलाक पाने का एक वैध और मजबूत आधार है।


7. निष्कर्ष

पत्नी का बिना कारण एक वर्ष या उससे अधिक समय तक मायके में रहना केवल प्रताड़ना (Cruelty) नहीं, बल्कि परित्याग (Desertion) माना जाएगा। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत यह तलाक का ठोस आधार है।
हालांकि BNS, 2023 सीधे तौर पर तलाक से संबंधित नहीं है, लेकिन पत्नी द्वारा झूठे आरोप लगाने पर पति को कानूनी सुरक्षा अवश्य प्रदान करता है।

अतः यदि पत्नी अपनी इच्छा से, बिना कारण, पति के साथ वैवाहिक जीवन से अलग रहती है, तो कानून पति के पक्ष में जाता है और उसे विवाह समाप्त करने का अधिकार देता है।