Contingent Contracts (आकस्मिक अनुबंध)
प्रस्तावना
भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 में विभिन्न प्रकार के अनुबंधों की व्यवस्था की गई है। इनमें से एक महत्त्वपूर्ण प्रकार है Contingent Contract या आकस्मिक अनुबंध।
अनुबंध का सामान्य सिद्धांत यह है कि जब पक्षकार अपनी-अपनी सहमति व्यक्त कर देते हैं तो अनुबंध तत्काल प्रवर्तनीय हो जाता है। परंतु कुछ अनुबंध ऐसे होते हैं जिनका निष्पादन किसी भविष्य की अनिश्चित घटना पर निर्भर करता है। इन्हें ही आकस्मिक अनुबंध कहा जाता है।
सरल शब्दों में:
आकस्मिक अनुबंध वह अनुबंध है जिसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि कोई भविष्य की अनिश्चित घटना घटेगी या नहीं।
परिभाषा (Definition)
भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 की धारा 31 (Section 31) के अनुसार –
“एक आकस्मिक अनुबंध वह अनुबंध है जिसका पालन किसी भविष्य की अनिश्चित घटना के घटने या न घटने पर निर्भर करता है।”
उदाहरण (Examples)
- A और B के बीच समझौता होता है कि यदि A का घर कल आग में जल जाता है तो B उसे ₹50,000 देगा। यह आकस्मिक अनुबंध है क्योंकि यह अनुबंध घर के जलने की अनिश्चित घटना पर निर्भर है।
- यदि कोई बीमा कंपनी किसी व्यक्ति से अनुबंध करती है कि उसके वाहन की चोरी होने पर कंपनी क्षतिपूर्ति करेगी, तो यह भी आकस्मिक अनुबंध है।
- X कहता है – “मैं तुम्हें ₹10,000 दूँगा यदि Y परीक्षा पास हो जाता है।” यह भी आकस्मिक अनुबंध है।
आकस्मिक अनुबंध के आवश्यक तत्व (Essentials of Contingent Contracts)
- भविष्य की घटना पर निर्भरता (Dependence on future event):
अनुबंध का प्रवर्तन किसी भविष्य की घटना पर आधारित होना चाहिए। - घटना अनिश्चित हो (Event must be uncertain):
घटना का घटित होना या न होना निश्चित नहीं होना चाहिए।- उदाहरण: बीमा अनुबंध में दुर्घटना होगी या नहीं, यह अनिश्चित है।
- घटना वचनकर्ताओं की इच्छा पर न हो (Event not dependent on promisor’s will):
घटना किसी पक्षकार की इच्छा पर निर्भर नहीं होनी चाहिए, अन्यथा यह वैध आकस्मिक अनुबंध नहीं होगा। - वैधानिक होना चाहिए (Event must be lawful):
घटना अवैध, असंभव, या सार्वजनिक नीति के विरुद्ध न हो।
आकस्मिक अनुबंध के प्रकार (Types of Contingent Contracts)
भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 32 से 36 तक आकस्मिक अनुबंधों के विभिन्न प्रकार बताए गए हैं –
1. किसी भविष्य की अनिश्चित घटना के घटने पर आधारित अनुबंध (Section 32)
जब अनुबंध किसी अनिश्चित भविष्य की घटना के घटने पर निर्भर करता है, तो वह घटना घटित होने पर ही प्रवर्तनीय होगा।
उदाहरण: A वादा करता है कि वह B को ₹1,00,000 देगा यदि B का घर आग में जल जाता है।
2. किसी भविष्य की अनिश्चित घटना के न घटने पर आधारित अनुबंध (Section 33)
यदि अनुबंध किसी घटना के न घटने पर आधारित है, तो वह घटना न घटने पर प्रवर्तनीय होगा।
उदाहरण: A वादा करता है कि वह B को पैसे देगा यदि B का जहाज समुद्र में न डूबे।
3. किसी व्यक्ति की भविष्य की क्रिया पर आधारित अनुबंध (Section 34)
यदि अनुबंध का पालन किसी व्यक्ति की क्रिया के घटित होने या न होने पर आधारित है, तो वह घटना घटने या न घटने पर अनुबंध प्रवर्तनीय होगा।
उदाहरण: A वादा करता है कि वह B को ₹20,000 देगा यदि C उसकी शादी में शामिल होता है।
4. असंभव घटना पर आधारित अनुबंध (Section 36)
यदि अनुबंध किसी असंभव घटना के घटने पर आधारित है, तो वह शून्य (Void) होता है।
उदाहरण: A वादा करता है कि वह B को पैसे देगा यदि सूरज पश्चिम से उगे। यह अनुबंध शून्य है।
आकस्मिक अनुबंध और साधारण अनुबंध में अंतर
आधार | साधारण अनुबंध | आकस्मिक अनुबंध |
---|---|---|
घटना पर निर्भरता | अनुबंध तुरंत प्रभावी होता है | अनुबंध भविष्य की अनिश्चित घटना पर निर्भर |
निश्चितता | निश्चित व बाध्यकारी | अनिश्चित |
उदाहरण | बिक्री का अनुबंध | बीमा अनुबंध |
आकस्मिक अनुबंध की वैधता की शर्तें
- अनुबंध का विषय वैध होना चाहिए।
- घटना अनिश्चित और भविष्य की होनी चाहिए।
- घटना वचनकर्ताओं की इच्छा पर निर्भर न हो।
- घटना घटने या न घटने पर अनुबंध प्रवर्तनीय होना चाहिए।
न्यायिक दृष्टांत (Case Laws)
- Nathulal v. Phoolchand (1970) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक शर्त पूरी नहीं होती, अनुबंध प्रवर्तनीय नहीं होगा।
- Williamson v. Rohde (1855) – यदि शर्त असंभव है, तो अनुबंध शून्य होगा।
- Bashir Ahmed v. Govt. of Bombay – किसी लाइसेंस प्राप्त होने पर आधारित अनुबंध को वैध आकस्मिक अनुबंध माना गया।
व्यावहारिक महत्त्व (Practical Importance)
- बीमा अनुबंध (Insurance Contracts):
जीवन बीमा, अग्नि बीमा, वाहन बीमा सभी आकस्मिक अनुबंधों के उदाहरण हैं। - व्यापारिक लेन-देन:
भविष्य के सौदे, जैसे – माल समय पर पहुँचे तो भुगतान होगा। - निवेश अनुबंध:
शेयर बाजार और वायदा व्यापार में ऐसे अनुबंध व्यापक रूप से होते हैं।
आलोचना (Criticism)
- अनिश्चित घटनाओं पर आधारित होने के कारण इनकी निश्चितता कम होती है।
- कई बार पक्षकारों के बीच विवाद का कारण बनते हैं।
- इनकी वैधता घटना की व्याख्या पर निर्भर करती है, जिससे न्यायालयों पर अधिक बोझ पड़ता है।
निष्कर्ष
आकस्मिक अनुबंध (Contingent Contract) भारतीय अनुबंध अधिनियम के अंतर्गत एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये अनुबंध मुख्यतः भविष्य की अनिश्चित घटनाओं पर आधारित होते हैं और बीमा तथा व्यापारिक अनुबंधों में इनकी विशेष भूमिका होती है। यद्यपि इनकी प्रकृति अनिश्चित होती है, फिर भी ये व्यावसायिक लेन-देन और सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों में आवश्यक संतुलन बनाए रखते हैं।
अतः निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि –
“Contingent Contracts अनिश्चितता को निश्चितता में बदलते हैं और अनुबंध कानून की व्यवहारिकता को दर्शाते हैं।”