आरबीआई के नए सेफ कस्टडी नियम: 15 दिन में डेथ क्लेम सेटल, देरी पर 5000 रु. प्रतिदिन जुर्माना – 1 जनवरी से लागू होंगे
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ‘सेफ कस्टडी’ (Safe Custody) नियमों का मसौदा जारी किया है। इसके तहत ग्राहकों की जमा की गई वस्तुओं और दस्तावेजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ डेथ क्लेम (Death Claim) निपटान की समयसीमा तय की गई है। आरबीआई ने इस पर 27 अगस्त तक रायशुमारी (Public Comments) मांगी है और यह नियम 1 जनवरी 2026 से लागू होंगे।
इस नियम का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यदि ग्राहक की मृत्यु हो जाती है और उनके उत्तराधिकारी या नामांकित व्यक्ति (Nominee) डेथ क्लेम का दावा करते हैं, तो बैंक को उसे 15 दिन के भीतर निपटाना अनिवार्य होगा। यदि बैंक किसी कारणवश इसमें देरी करता है, तो उस पर ₹5000 प्रति दिन का जुर्माना लगाया जाएगा।
🔹 सेफ कस्टडी (Safe Custody) क्या है?
सेफ कस्टडी बैंकिंग सेवा है, जिसमें ग्राहक अपनी कीमती वस्तुएं, दस्तावेज, बॉन्ड, शेयर सर्टिफिकेट, वसीयत (Will), गहने आदि सुरक्षित रखने के लिए बैंक को सौंपते हैं। यह सेवा लॉकर सुविधा से अलग होती है क्योंकि इसमें ग्राहक सीधे वस्तु बैंक को कस्टडी (Custody) में देता है, जबकि लॉकर में वस्तु पर बैंक का सीधा नियंत्रण नहीं होता।
🔹 आरबीआई के नए नियमों की मुख्य बातें
- डेथ क्लेम सेटलमेंट की समयसीमा
- बैंक को अब अनिवार्य रूप से 15 दिनों के भीतर उत्तराधिकारी या नामांकित व्यक्ति का क्लेम निपटाना होगा।
- यदि बैंक देरी करता है तो उसे ₹5000 प्रतिदिन जुर्माना भरना होगा।
- नामांकित व्यक्ति / उत्तराधिकारी का अधिकार
- ग्राहक की मृत्यु होने पर उसकी सेफ कस्टडी में रखी वस्तुओं पर नामांकित व्यक्ति या कानूनी उत्तराधिकारी का अधिकार होगा।
- बैंक को ऐसे मामलों में बिना अनावश्यक देरी किए वस्तुएं सौंपनी होंगी।
- पारदर्शिता और सुरक्षा
- बैंक को ग्राहकों के साथ स्पष्ट लिखित अनुबंध (Written Agreement) करना होगा।
- अनुबंध में यह दर्ज होगा कि कौन-कौन सी वस्तुएं कस्टडी में दी गई हैं और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी बैंक की होगी।
- कस्टडी चार्जेस और शर्तें
- बैंक ग्राहकों से सेफ कस्टडी के लिए निश्चित शुल्क (Charges) ले सकेगा।
- शुल्क और शर्तें ग्राहक को स्पष्ट रूप से बतानी होंगी।
- शिकायत निवारण तंत्र (Grievance Redressal)
- यदि ग्राहक या उसके उत्तराधिकारी को बैंक से समस्या होती है, तो वे सीधे बैंकिंग लोकपाल (Banking Ombudsman) के पास शिकायत दर्ज कर सकेंगे।
🔹 इस नियम की ज़रूरत क्यों पड़ी?
अक्सर देखने में आता है कि ग्राहक के निधन के बाद उनके परिवारजन या नामांकित व्यक्ति को बैंकों से जमा संपत्ति और दस्तावेज़ निकालने में काफी दिक्कत होती है।
- बैंक कई तरह के कागज़ी औपचारिकताएं पूरी करने में समय लगाते हैं।
- कई बार डेथ क्लेम महीनों तक लंबित रहता है, जिससे उत्तराधिकारियों को आर्थिक और मानसिक परेशानी होती है।
- आरबीआई का यह नया नियम इस समस्या को दूर करेगा और बैंकिंग व्यवस्था को अधिक पारदर्शी बनाएगा।
🔹 ग्राहकों और बैंकों पर प्रभाव
✅ ग्राहकों के लिए फायदे
- उनकी जमा संपत्ति सुरक्षित और संरक्षित रहेगी।
- मृत्यु के बाद उनके परिजनों को तेजी से क्लेम का निपटान मिलेगा।
- बैंकों पर जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ेगी।
✅ बैंकों के लिए जिम्मेदारी
- अब बैंकों को अपनी प्रक्रिया तेज और सरल बनानी होगी।
- दस्तावेज़ों की जांच और क्लेम निपटान में देरी नहीं कर पाएंगे।
- ग्राहकों का विश्वास बढ़ेगा, लेकिन बैंक को सख्त मॉनिटरिंग करनी होगी।
🔹 कानूनी दृष्टिकोण
यह नियम भारतीय अनुबंध अधिनियम (Indian Contract Act, 1872) और उपभोक्ता संरक्षण कानून के सिद्धांतों से मेल खाता है। बैंक और ग्राहक के बीच सेफ कस्टडी अनुबंध एक बेलमेंट (Bailment) का रूप माना जाएगा, जिसमें बैंक ‘Bailee’ और ग्राहक ‘Bailor’ होगा। इस प्रकार बैंक पर संपत्ति की सुरक्षा और समय पर वापसी की कानूनी जिम्मेदारी होगी।
🔹 निष्कर्ष
आरबीआई का यह कदम ग्राहकों के हित में एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी बदलाव है। सेफ कस्टडी नियम लागू होने के बाद बैंक अब ग्राहकों और उनके उत्तराधिकारियों के साथ देरी, लापरवाही और मनमानी नहीं कर पाएंगे।
विशेषकर 15 दिन में डेथ क्लेम निपटाने की अनिवार्यता और देरी पर ₹5000 प्रतिदिन जुर्माना बैंकिंग व्यवस्था को और अधिक जिम्मेदार बनाएगा। इससे आम जनता का भरोसा बैंकों पर बढ़ेगा और ग्राहकों को अपनी संपत्ति की सुरक्षा का वास्तविक आश्वासन मिलेगा।