बलात्कार और यौन अपराधों के प्रावधान
(Provisions relating to Rape and Sexual Offences under Indian Law)
भूमिका
यौन अपराध (Sexual Offences) समाज में सबसे गंभीर और संवेदनशील आपराधिक कृत्यों में से हैं। ये न केवल पीड़िता की शारीरिक गरिमा और स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं, बल्कि उसकी मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक स्थिति को भी गहराई से आहत करते हैं। भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code – IPC) ने बलात्कार और अन्य यौन अपराधों के लिए विस्तृत प्रावधान किए हैं। समय-समय पर इन प्रावधानों में संशोधन किए गए हैं, विशेष रूप से निर्भया कांड (2012) के बाद, जब आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 लागू किया गया।
1. बलात्कार (Rape) – धारा 375 IPC
परिभाषा
धारा 375 के अनुसार, यदि कोई पुरुष—
- किसी स्त्री के साथ उसकी सहमति के बिना, या
- उसकी इच्छा के विरुद्ध, या
- धोखे से सहमति प्राप्त कर, या
- धमकी देकर, या
- ऐसी स्थिति में जब वह सहमति देने में असमर्थ हो,
- उसके साथ यौन संबंध (Sexual Intercourse) बनाता है,
तो यह बलात्कार कहलाता है।
आवश्यक तत्व (Ingredients)
- पीड़िता का स्त्री होना – यह अपराध केवल महिला के विरुद्ध होता है।
- यौन संबंध का स्थापित होना – शारीरिक संबंध के प्रमाणिक तत्व मौजूद हों।
- सहमति का अभाव या दोषपूर्ण सहमति –
- इच्छा के विरुद्ध (Against her will)
- बिना सहमति (Without consent)
- धोखे या गलत पहचान से सहमति (Consent obtained by deception)
- 18 वर्ष से कम आयु – सहमति अप्रासंगिक (Statutory Rape)
- असत्य या जबरन परिस्थितियाँ – जैसे बल प्रयोग, धमकी, मादक पदार्थ का प्रभाव।
महत्वपूर्ण बिंदु
- Statutory Rape: 18 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ यौन संबंध, चाहे सहमति हो, फिर भी बलात्कार माना जाएगा।
- वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape): वर्तमान में केवल 18 वर्ष से कम उम्र की पत्नी के साथ यौन संबंध को अपराध माना गया है (Exception 2, Section 375)।
दंड – धारा 376 IPC
- सामान्य बलात्कार: न्यूनतम 10 वर्ष की कठोर कारावास, अधिकतम आजीवन, साथ में जुर्माना।
- गंभीर परिस्थितियों में (जैसे पुलिस हिरासत, नाबालिग, गर्भवती महिला पर हमला, सामूहिक बलात्कार) – न्यूनतम 20 वर्ष या आजीवन कारावास।
- मृत्यु तक आजीवन कारावास या मृत्युदंड – 12 वर्ष से कम बच्ची के बलात्कार के मामलों में (2018 संशोधन)।
2. बलात्कार के विशेष प्रकार
- सामूहिक बलात्कार (Gang Rape) – धारा 376D
- दो या अधिक व्यक्तियों द्वारा महिला के साथ बलात्कार।
- दंड – न्यूनतम 20 वर्ष कठोर कारावास, अधिकतम आजीवन।
- नाबालिग का बलात्कार – POCSO अधिनियम, 2012
- 18 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ किसी भी प्रकार का यौन आचरण अपराध है।
- इसमें Aggravated Sexual Assault के लिए कड़ी सज़ा का प्रावधान है।
- पुलिस, सशस्त्र बल, लोक सेवक द्वारा बलात्कार – धारा 376(2)
- विशेष परिस्थितियों में अपराध होने पर सज़ा और कड़ी होती है।
3. अन्य यौन अपराध (Other Sexual Offences)
(क) छेड़छाड़ (Sexual Harassment) – धारा 354A IPC
- अवांछित शारीरिक संपर्क, यौन संकेत, अश्लील टिप्पणियाँ, अश्लील सामग्री दिखाना, या यौन लाभ की मांग।
- दंड – 3 वर्ष तक की कैद और/या जुर्माना।
(ख) महिला की अस्मिता का अपमान (Outraging Modesty) – धारा 354 IPC
- किसी महिला पर हमला या बल का प्रयोग, जिससे उसकी अस्मिता का अपमान हो।
- दंड – 2 वर्ष तक की कैद, जुर्माना, या दोनों।
(ग) पीछा करना (Stalking) – धारा 354D IPC
- महिला की इच्छा के विरुद्ध बार-बार पीछा करना, ऑनलाइन या ऑफलाइन।
- पहली बार – 3 वर्ष की कैद, दूसरी बार – 5 वर्ष की कैद।
(घ) अमानवीय यौन हमले – POCSO Act के तहत
- नाबालिगों के विरुद्ध यौन शोषण, जिसमें शारीरिक संपर्क, अश्लील प्रदर्शन, और यौन सामग्री दिखाना शामिल है।
4. साक्ष्य और प्रक्रिया (Evidence & Procedure)
- FIR पंजीकरण – धारा 154 CrPC के तहत, महिला पुलिस अधिकारी द्वारा तुरंत FIR दर्ज की जानी चाहिए।
- चिकित्सा परीक्षण – पीड़िता की सहमति से, बिना देरी के मेडिकल एग्जामिनेशन।
- गोपनीयता – पीड़िता की पहचान का खुलासा नहीं किया जा सकता (धारा 228A IPC)।
- त्वरित न्याय – बलात्कार के मामलों का निपटारा 2 माह के भीतर।
5. न्यायिक दृष्टांत (Case Laws)
- Tukaram v. State of Maharashtra (Mathura Rape Case, 1979) – सहमति की परिभाषा पर विवाद।
- Bodhisattwa Gautam v. Subhra Chakraborty (1996) – बलात्कार को मानवाधिकार उल्लंघन माना गया।
- State of Punjab v. Gurmit Singh (1996) – पीड़िता की गवाही को पर्याप्त सबूत माना गया यदि विश्वसनीय हो।
- Mukesh & Anr. v. State (Nirbhaya Case, 2017) – सामूहिक बलात्कार और हत्या में मृत्युदंड की पुष्टि।
6. हालिया संशोधन और पहल
- आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 – निर्भया कांड के बाद कठोर दंड, सहमति की स्पष्ट परिभाषा, स्टॉकिंग और वोयरिज़्म को अपराध बनाया।
- POCSO Amendment, 2019 – बच्चों के विरुद्ध यौन अपराधों में मृत्युदंड का प्रावधान।
- Criminal Law Amendment, 2018 – 12 वर्ष से कम बच्ची के बलात्कार पर मृत्युदंड।
निष्कर्ष
बलात्कार और अन्य यौन अपराध न केवल कानूनी अपराध हैं बल्कि सामाजिक-नैतिक दृष्टि से भी निंदनीय हैं। कानून ने इनके लिए कठोर दंड और त्वरित न्याय की व्यवस्था की है, लेकिन इन अपराधों की रोकथाम के लिए केवल कठोर कानून पर्याप्त नहीं हैं; समाज में जागरूकता, लैंगिक समानता की शिक्षा, और पीड़ितों के लिए सहानुभूति एवं समर्थन भी आवश्यक है।