चोरी, डकैती, धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात
भूमिका
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code, 1860 – IPC) ने संपत्ति से संबंधित अपराधों को अलग-अलग धाराओं में परिभाषित और दंडित किया है। इन अपराधों का उद्देश्य मुख्यतः दूसरों की संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा करना, उसे हानि पहुँचाना या उसके स्वामी को धोखा देकर उसका दुरुपयोग करना होता है। चोरी (Theft), डकैती (Dacoity), धोखाधड़ी (Cheating) और आपराधिक विश्वासघात (Criminal Breach of Trust) ऐसे ही चार प्रमुख अपराध हैं, जिनके बीच कुछ समानताएँ होने के बावजूद कानूनी दृष्टि से स्पष्ट अंतर भी है।
1. चोरी (Theft) – धारा 378 IPC
परिभाषा
धारा 378 के अनुसार, कोई व्यक्ति चोरी तब करता है जब वह—
- किसी चल संपत्ति (Movable Property) को,
- स्वामी की सहमति के बिना,
- असत्य (Dishonest) आशय से,
- स्वामी के अधिकार से बाहर ले जाता है,
तो वह चोरी का अपराध करता है।
आवश्यक तत्व (Ingredients)
- चल संपत्ति हो – भूमि या स्थायी संपत्ति चोरी का विषय नहीं, लेकिन उनसे जुड़ी चीज़ें यदि अलग की जाएँ तो चोरी हो सकती है।
- स्वामी का अधिकार हो – संपत्ति किसी अन्य की होनी चाहिए।
- स्वामी की सहमति न हो – अनुमति होने पर चोरी नहीं बनती।
- असत्य आशय – संपत्ति को स्थायी रूप से हड़पने का इरादा हो।
- गुप्त या खुला लेना – चोरी छिपकर या खुल्लमखुल्ला दोनों तरीकों से हो सकती है।
दंड (धारा 379)
- अधिकतम 3 वर्ष की कैद, या जुर्माना, या दोनों।
उदाहरण
- किसी के जेब से बटुआ निकाल लेना।
- दुकान से सामान बिना पैसे दिए ले जाना।
2. डकैती (Dacoity) – धारा 391 IPC
परिभाषा
धारा 391 के अनुसार, यदि पांच या अधिक व्यक्ति मिलकर चोरी या लूट का अपराध करते हैं या करने का प्रयास करते हैं, तो इसे डकैती कहते हैं।
आवश्यक तत्व
- कम से कम पांच अपराधी – पाँच से कम होने पर डकैती नहीं बनेगी।
- चोरी, लूट या डकैती का प्रयास – इनमें से कोई कार्य होना चाहिए।
- बल या भय का प्रयोग – संपत्ति छीनने के लिए हिंसा या धमकी का उपयोग।
- साझा उद्देश्य (Common Intention) – सभी व्यक्तियों का एक ही उद्देश्य हो।
दंड (धारा 395)
- आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक की कैद और जुर्माना।
उदाहरण
- हथियारों से लैस पाँच लोग बैंक में घुसकर कैश लूट लें।
- रात में गैंग द्वारा घर में घुसकर सोने-चाँदी की चोरी।
3. धोखाधड़ी (Cheating) – धारा 415 IPC
परिभाषा
धारा 415 के अनुसार, कोई व्यक्ति धोखाधड़ी तब करता है जब वह—
- किसी व्यक्ति को छल या मिथ्या प्रस्तुति (Deception) से,
- संपत्ति देने या रखने के लिए प्रेरित करता है,
- जिससे वह व्यक्ति या कोई तीसरा व्यक्ति हानि या नुकसान उठाए।
आवश्यक तत्व
- छल या झूठा बहाना – आरोपी ने जानबूझकर गलत सूचना दी हो।
- प्रेरणा (Inducement) – धोखे के कारण व्यक्ति ने कोई कार्य किया या न किया हो।
- हानि या लाभ – संपत्ति का नुकसान या आरोपी को अनुचित लाभ।
- असत्य आशय की शुरुआत से मौजूदगी – धोखे का इरादा शुरुआत से होना चाहिए।
दंड (धारा 417)
- अधिकतम 1 वर्ष की कैद, या जुर्माना, या दोनों।
विशेष प्रकार – धोखाधड़ी द्वारा संपत्ति की सुपुर्दगी (Cheating & Dishonestly Inducing Delivery of Property) – धारा 420
- दंड – अधिकतम 7 वर्ष की कैद और जुर्माना।
उदाहरण
- नकली सोना असली बताकर बेचना।
- नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे लेकर भाग जाना।
4. आपराधिक विश्वासघात (Criminal Breach of Trust) – धारा 405 IPC
परिभाषा
धारा 405 के अनुसार, जब कोई व्यक्ति—
- किसी अन्य की संपत्ति को सौंपे जाने के बाद,
- उसका दुरुपयोग करता है या
- स्वामी के निर्देशों के विपरीत उसे खर्च या इस्तेमाल करता है,
तो वह आपराधिक विश्वासघात करता है।
आवश्यक तत्व
- संपत्ति का वैध सुपुर्दगी (Entrustment) – आरोपी को संपत्ति कानूनी रूप से दी गई हो।
- असत्य उपयोग – संपत्ति का उपयोग विश्वास और निर्देशों के विपरीत।
- हानि का होना – मालिक को आर्थिक नुकसान होना।
- असत्य आशय – आरोपी ने जानबूझकर विश्वास तोड़ा हो।
दंड (धारा 406)
- अधिकतम 3 वर्ष की कैद, या जुर्माना, या दोनों।
विशेष रूप
- लोक सेवक द्वारा विश्वासघात – धारा 409, दंड – आजीवन कारावास या 10 वर्ष की कैद और जुर्माना।
उदाहरण
- किसी बैंक कर्मचारी द्वारा ग्राहक का पैसा गबन करना।
- व्यवसायिक साझेदार द्वारा कंपनी के फंड का निजी उपयोग।
5. मुख्य अंतर सारणी
आधार | चोरी | डकैती | धोखाधड़ी | आपराधिक विश्वासघात |
---|---|---|---|---|
IPC धारा | 378 | 391 | 415 | 405 |
मुख्य कार्य | संपत्ति चुराना | पाँच या अधिक द्वारा हिंसक चोरी | धोखे से संपत्ति प्राप्त करना | सौंपे गए धन/संपत्ति का दुरुपयोग |
तत्व | बिना अनुमति लेना | हिंसा + पाँच या अधिक लोग | मिथ्या प्रस्तुति + प्रेरणा | विश्वास + सौंपना + दुरुपयोग |
दंड | 3 वर्ष | आजीवन या 10 वर्ष | 1 वर्ष (420 में 7 वर्ष) | 3 वर्ष (409 में आजीवन) |
6. न्यायिक दृष्टांत (Case Laws)
- Pyare Lal Bhargava v. State of Rajasthan (1963) – आपराधिक विश्वासघात में “संपत्ति का सौंपना” आवश्यक तत्व है।
- Abdul Karim v. State of Karnataka (2000) – धोखाधड़ी में असत्य आशय की शुरुआत से मौजूदगी आवश्यक।
- Shivappa v. State of Karnataka (2008) – डकैती में पाँच या अधिक अपराधियों का होना अनिवार्य।
- K.N. Mehra v. State of Rajasthan (1957) – चोरी में “संपत्ति का असत्य लेना” स्पष्ट किया।
निष्कर्ष
चोरी, डकैती, धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात, सभी संपत्ति से संबंधित अपराध हैं, लेकिन इनकी कानूनी परिभाषा, आवश्यक तत्व और दंड अलग-अलग हैं। चोरी और डकैती में मुख्य अंतर अपराधियों की संख्या और हिंसा का उपयोग है, जबकि धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात में मुख्य अंतर संपत्ति के सौंपने के तरीके और उसके उपयोग में है। न्यायालय इन अपराधों की पहचान उनके Mens Rea (अपराधमूलक मंशा) और कार्य की प्रकृति से करता है।