संसद और राज्य विधानमंडल की संरचना व शक्तियाँ – एक विस्तृत लेख

संसद और राज्य विधानमंडल की संरचना व शक्तियाँ – एक विस्तृत लेख


1. प्रस्तावना

भारत एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य है, जिसमें केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन किया गया है। केंद्र स्तर पर संसद (Parliament) और राज्य स्तर पर विधानमंडल (State Legislature) कार्य करते हैं।
संसद और राज्य विधानमंडल भारतीय लोकतंत्र के विधायी अंग (Legislature) हैं, जिनका कार्य कानून बनाना, नीतियां तय करना, सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करना और जनता की इच्छाओं को शासन में प्रतिबिंबित करना है।

भारतीय संविधान ने इन संस्थाओं की संरचना, अधिकार और कार्य स्पष्ट रूप से निर्धारित किए हैं।


2. संसद की संरचना (Structure of Parliament)

2.1 संविधानिक आधार

  • अनुच्छेद 79 – संसद में राष्ट्रपति और दो सदन होंगे –
    1. राज्य सभा (Council of States)
    2. लोक सभा (House of the People)

2.2 संसद के घटक

(A) राष्ट्रपति (President)

  • संसद का अभिन्न अंग।
  • कानून बनाने की प्रक्रिया में उनकी स्वीकृति अनिवार्य।
  • लोकसभा या राज्यसभा को बुलाने, स्थगित करने और भंग करने की शक्ति।

(B) राज्य सभा (Rajya Sabha)

  • स्थायी सदन – कभी भंग नहीं होती, केवल 1/3 सदस्य हर 2 वर्ष में सेवानिवृत्त होते हैं।
  • अधिकतम सदस्य संख्या – 250 (वर्तमान में 245)।
    • 238 सदस्य – राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से निर्वाचित।
    • 12 सदस्य – राष्ट्रपति द्वारा नामित (कला, साहित्य, विज्ञान और सामाजिक सेवा में विशेष योगदान के लिए)।
  • अध्यक्ष – उपराष्ट्रपति।
  • उपाध्यक्ष – राज्य सभा के सदस्यों द्वारा चुना जाता है।
  • कार्यकाल – 6 वर्ष।

(C) लोक सभा (Lok Sabha)

  • जनता द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचित।
  • अधिकतम सदस्य संख्या – 552
    • 530 – राज्यों से।
    • 20 – केंद्र शासित प्रदेशों से।
    • 2 – एंग्लो-इंडियन समुदाय से (यह प्रावधान 104वें संशोधन, 2020 से समाप्त)।
  • अध्यक्ष (Speaker) – सदस्यों द्वारा चुना जाता है।
  • कार्यकाल – 5 वर्ष (लेकिन राष्ट्रपति द्वारा भंग किया जा सकता है)।

3. संसद की शक्तियाँ और कार्य (Powers & Functions of Parliament)

(A) विधायी शक्तियाँ (Legislative Powers)

  • केंद्र सूची (Union List) और समवर्ती सूची (Concurrent List) में विषयों पर कानून बनाना।
  • राष्ट्रीय महत्व के मामलों पर कानून निर्माण।
  • संसद राज्य सूची के विषयों पर भी कानून बना सकती है –
    • यदि राज्य सभा 2/3 बहुमत से प्रस्ताव पारित करे।
    • राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में।
    • अंतर्राष्ट्रीय संधियों को लागू करने के लिए।

(B) वित्तीय शक्तियाँ (Financial Powers)

  • धन विधेयक (Money Bill) केवल लोकसभा में प्रस्तुत होता है।
  • वार्षिक बजट का अनुमोदन।
  • करों की स्वीकृति और व्यय का अनुमोदन।

(C) कार्यपालिका पर नियंत्रण (Control over Executive)

  • प्रश्नकाल, शून्यकाल, अविश्वास प्रस्ताव, स्थायी समितियां आदि के माध्यम से।

(D) संवैधानिक शक्तियाँ (Constitutional Powers)

  • संविधान संशोधन करना (अनुच्छेद 368)।
  • राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों का महाभियोग।

(E) चुनाव संबंधी कार्य

  • राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव।
  • चुनाव आयोग की सिफारिशों पर चुनाव कानून बनाना।

(F) अन्य शक्तियाँ

  • सीमाओं का पुनर्गठन।
  • नए राज्यों का निर्माण और नाम बदलना।

4. राज्य विधानमंडल की संरचना (Structure of State Legislature)

4.1 संविधानिक आधार

  • अनुच्छेद 168 – राज्य विधानमंडल में राज्यपाल और एक या दो सदन होंगे –
    • विधान सभा (Legislative Assembly)
    • विधान परिषद (Legislative Council – कुछ राज्यों में)

4.2 राज्य विधानमंडल के घटक

(A) राज्यपाल (Governor)

  • राज्य विधानमंडल का अभिन्न अंग।
  • विधेयकों पर स्वीकृति, पुनर्विचार और आरक्षण का अधिकार।

(B) विधान सभा (Legislative Assembly)

  • राज्यों में निचला सदन
  • अधिकतम सदस्य संख्या – 500, न्यूनतम – 60 (कुछ छोटे राज्यों में कम)।
  • सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं।
  • अध्यक्ष (Speaker) – सदस्यों द्वारा चुना जाता है।
  • कार्यकाल – 5 वर्ष (लेकिन राज्यपाल द्वारा भंग किया जा सकता है)।

(C) विधान परिषद (Legislative Council)

  • राज्यों में उच्च सदन – केवल कुछ राज्यों में मौजूद (जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश)।
  • सदस्य संख्या – विधान सभा के सदस्यों की संख्या के 1/3 से अधिक नहीं।
  • सदस्य विभिन्न समूहों से चुने जाते हैं (शिक्षक, स्नातक, स्थानीय निकाय आदि)।
  • स्थायी सदन – कभी भंग नहीं होता, 1/3 सदस्य हर 2 वर्ष में सेवानिवृत्त होते हैं।

5. राज्य विधानमंडल की शक्तियाँ और कार्य (Powers & Functions of State Legislature)

(A) विधायी शक्तियाँ

  • राज्य सूची और समवर्ती सूची में विषयों पर कानून बनाना।
  • केंद्र राज्य सूची पर तभी कानून बना सकता है जब –
    • राष्ट्रीय आपातकाल हो।
    • राज्य विधानमंडल प्रस्ताव पास करे।

(B) वित्तीय शक्तियाँ

  • राज्य का वार्षिक बजट पारित करना।
  • राज्य करों की स्वीकृति।
  • धन विधेयक केवल विधान सभा में प्रस्तुत होता है।

(C) कार्यपालिका पर नियंत्रण

  • मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से विधान सभा के प्रति उत्तरदायी।
  • प्रश्नकाल, अविश्वास प्रस्ताव आदि।

(D) चुनाव संबंधी कार्य

  • राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भागीदारी (विधान सभा के निर्वाचित सदस्य)।

(E) अन्य शक्तियाँ

  • स्थानीय निकायों के लिए कानून बनाना।
  • राज्य की सीमाओं और जिलों का पुनर्गठन (राज्य के भीतर)।

6. संसद और राज्य विधानमंडल में मुख्य अंतर

आधार संसद राज्य विधानमंडल
संरचना राष्ट्रपति + राज्य सभा + लोक सभा राज्यपाल + विधान सभा + (विधान परिषद)
अधिकार क्षेत्र पूरे देश पर कानून राज्य तक सीमित
सूचियों पर अधिकार केंद्र सूची, समवर्ती सूची राज्य सूची, समवर्ती सूची
स्थायी सदन राज्य सभा विधान परिषद (कुछ राज्यों में)
धन विधेयक प्रारंभ केवल लोक सभा में केवल विधान सभा में
अध्यक्ष लोक सभा – स्पीकर, राज्य सभा – उपराष्ट्रपति विधान सभा – स्पीकर, विधान परिषद – सभापति

7. निष्कर्ष

संसद और राज्य विधानमंडल भारतीय लोकतंत्र की रीढ़ हैं। संसद पूरे देश के लिए कानून बनाती है, जबकि राज्य विधानमंडल राज्य स्तर पर जनता की आकांक्षाओं और जरूरतों को कानून में बदलता है। दोनों ही संस्थाएं न केवल कानून निर्माण करती हैं, बल्कि कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित कर लोकतंत्र को मजबूत बनाती हैं।

इनकी शक्तियों और संरचना का संतुलन संघीय ढांचे को बनाए रखने और जनतांत्रिक शासन को सफल बनाने के लिए आवश्यक है।