“Probate of Will: एक कानूनी प्रक्रिया का विस्तृत विश्लेषण”

“Probate of Will: एक कानूनी प्रक्रिया का विस्तृत विश्लेषण”

(Probate of Will: A Comprehensive Legal Analysis in Hindi)

परिचय (Introduction)

भारत में संपत्ति के उत्तराधिकार से संबंधित विवादों में वसीयत (Will) एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है। परंतु किसी वसीयत की वैधता केवल उसके लेखन मात्र से सिद्ध नहीं होती, बल्कि कई मामलों में इसे न्यायालय से प्रमाणित (Probate) कराना आवश्यक हो जाता है। वसीयत के प्रमाणीकरण की इस प्रक्रिया को ही “Probate of Will” कहा जाता है। इस लेख में हम इस प्रक्रिया की प्रकृति, प्रक्रिया, कानूनी प्रावधान और इसके महत्व को विस्तारपूर्वक समझेंगे।


वसीयत (Will) क्या है?

भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 (Indian Succession Act, 1925) की धारा 2(h) के अनुसार:

“वसीयत वह दस्तावेज है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति यह निर्देश देता है कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का वितरण किस प्रकार होगा।”


Probate of Will क्या होता है?

Probate एक न्यायिक प्रमाणपत्र होता है जिसे संबंधित वसीयत को प्रामाणिक ठहराने के लिए न्यायालय द्वारा जारी किया जाता है। यह executor (नियुक्त निष्पादक) को अधिकार देता है कि वह वसीयत के अनुसार संपत्ति का वितरण करे।


Probate की आवश्यकता कब होती है?

Probate की आवश्यकता उन राज्यों में विशेष रूप से होती है जहाँ Indian Succession Act पूरी तरह लागू होता है, जैसे:

  • बॉम्बे, मद्रास और कलकत्ता के मूल क्षेत्र (Presidency Towns)
  • जब संपत्ति किसी ईसाई व्यक्ति की है (non-Hindu, non-Muslim etc.)
  • जब वसीयत की प्रामाणिकता को कोई चुनौती देता है

👉 हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध व्यक्तियों की वसीयतों पर कुछ हद तक छूट दी गई है यदि संपत्ति Presidency Towns में स्थित नहीं है।


Probate प्राप्त करने की प्रक्रिया

Probate प्राप्त करने के लिए District Court या High Court (Original Jurisdiction) में याचिका दाखिल की जाती है। प्रक्रिया इस प्रकार है:

  1. याचिका (Petition) दायर करना
    • Executor द्वारा दाखिल की जाती है
    • मृतक की वसीयत संलग्न की जाती है
    • मृत्यु प्रमाण-पत्र संलग्न किया जाता है
  2. नोटिस जारी करना
    • संबंधित उत्तराधिकारियों को नोटिस भेजा जाता है
    • स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशन
  3. आपत्तियाँ (Objections) आमंत्रित करना
    • किसी भी इच्छुक पक्ष को आपत्ति दर्ज करने का अवसर
  4. साक्ष्य और गवाह
    • वसीयत के साक्षी गवाह न्यायालय में उपस्थित होते हैं
    • अन्य दस्तावेजी साक्ष्य भी प्रस्तुत किए जाते हैं
  5. न्यायालय का आदेश (Grant of Probate)
    • यदि कोई वैध आपत्ति नहीं होती, तो न्यायालय Probate जारी करता है

Probate याचिका में कौन-कौन से दस्तावेज़ लगते हैं?

  • मूल वसीयत (Original Will)
  • मृतक का मृत्यु प्रमाण पत्र
  • executor की पहचान के दस्तावेज
  • Legal Heirs List (वारिसों की सूची)
  • Court Fee (कानूनन निर्धारित शुल्क)

Probate याचिका दाखिल करने की समय-सीमा

ऐसी कोई निर्धारित समय-सीमा नहीं है, परंतु वसीयत लागू करने में देरी से संदेह उत्पन्न हो सकता है। इसलिए इसे जल्द से जल्द दाखिल करना उपयुक्त माना जाता है।


Probate नहीं होने के परिणाम क्या हो सकते हैं?

  • संपत्ति का हस्तांतरण नहीं हो पाता
  • वसीयत की वैधता पर प्रश्न उठ सकता है
  • कानूनी उत्तराधिकार विवाद खड़े हो सकते हैं
  • संपत्ति पर अधिकार साबित करना कठिन हो जाता है

क्या Probate के बिना वसीयत मान्य होती है?

कुछ परिस्थितियों में, विशेषकर जब:

  • संपत्ति Presidency Town के बाहर हो
  • सभी उत्तराधिकारी सहमत हों
  • कोई विवाद न हो

…तो वसीयत प्रमाण के रूप में उपयोग हो सकती है, परंतु यदि कोई आपत्ति उठती है, तो Probate अनिवार्य हो जाता है।


Probate और Letter of Administration में अंतर

बिंदु Probate Letter of Administration
कब मिलता है? जब वसीयत में executor नियुक्त हो जब कोई executor नियुक्त नहीं हो
कौन आवेदन करता है? Executor Legal heir या अन्य इच्छुक पक्ष
क्या वसीयत अनिवार्य है? हाँ नहीं, intestate death में भी हो सकता है

कानूनी प्रावधान: भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925

  • Section 276 – Probate याचिका की आवश्यकताएँ
  • Section 222-263 – Probate और Letters of Administration की प्रक्रिया
  • Schedule III – Court Fees

न्यायालयों के दृष्टांत (Case Laws)

  1. Ishwardeo Narain Singh v. Kamta Devi (1953 AIR 280)
    सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि Probate न्यायिक पुष्टि है, मात्र दस्तावेज का सत्यापन नहीं।
  2. Gnanambal Ammal v. T. Raju Ayyar (1950 AIR 806)
    Probate याचिका में निष्पक्षता और उचित नोटिस अनिवार्य माना गया।

निष्कर्ष (Conclusion)

Probate of Will एक आवश्यक कानूनी प्रक्रिया है जो यह सुनिश्चित करती है कि किसी मृतक की वसीयत वैध है और उसके अनुसार संपत्ति का वितरण उचित रूप से हो। यह प्रक्रिया कानूनी विवादों को रोकती है और उत्तराधिकार को पारदर्शी बनाती है। हर उस व्यक्ति को जिसे संपत्ति का उत्तराधिकार वसीयत के द्वारा प्राप्त हुआ है, Probate की प्रक्रिया को गंभीरता से समझना और अपनाना चाहिए।