प्रश्न 1: पर्यटन का सामाजिक और आर्थिक महत्व समझाइए।
उत्तर:
पर्यटन किसी भी राष्ट्र की संस्कृति, इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य को दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करने का एक सशक्त माध्यम है। यह केवल अवकाश बिताने की प्रक्रिया नहीं बल्कि एक सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधि भी है।
सामाजिक दृष्टिकोण से, पर्यटन विभिन्न समाजों, संस्कृतियों और परंपराओं के बीच संवाद का माध्यम बनता है। यह अंतरराष्ट्रीय मैत्री, सांस्कृतिक समझ और सहिष्णुता को बढ़ावा देता है।
आर्थिक दृष्टिकोण से, पर्यटन विदेशी मुद्रा अर्जन, रोजगार सृजन और स्थानीय उत्पादों के प्रचार-प्रसार का एक सशक्त साधन है। होटल उद्योग, ट्रांसपोर्ट, हस्तशिल्प, गाइड सेवाओं आदि का सीधा लाभ पर्यटन से होता है।
इस प्रकार, पर्यटन न केवल एक आनंददायक गतिविधि है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और आर्थिक विकास का आधार भी बनता है।
प्रश्न 2: आप्रवासन (Immigration) क्या है? इसके कारणों और प्रभावों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
आप्रवासन का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह का अपने देश को छोड़कर किसी अन्य देश में रहने और कार्य करने के उद्देश्य से स्थानांतरण। यह प्रक्रिया कई बार स्वैच्छिक होती है, तो कई बार बाध्यकारी भी।
आप्रवासन के प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
- बेहतर रोजगार के अवसर
- शिक्षा या स्वास्थ्य सुविधाएँ
- राजनैतिक अस्थिरता या युद्ध
- धार्मिक या जातीय उत्पीड़न
- परिवार से पुनर्मिलन
प्रभाव:
आप्रवासन से जहाँ गंतव्य देश को श्रमशक्ति, विविधता और नए कौशल प्राप्त होते हैं, वहीं मूल देश को मस्तिष्क-पलायन और जनसंख्या में गिरावट का सामना करना पड़ सकता है।
नकारात्मक प्रभावों में सामाजिक असंतुलन, संस्कृति संघर्ष, नागरिकता विवाद और आर्थिक दबाव शामिल हैं।
इसलिए, आप्रवासन को नियंत्रित करने हेतु कठोर और न्यायपूर्ण नीति की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 3: पर्यटन और आप्रवासन से संबंधित भारत में लागू प्रमुख कानूनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में पर्यटन और आप्रवासन से संबंधित कई कानून लागू हैं जो विदेशी नागरिकों के आवागमन, रहने, और नियमों के उल्लंघन से संबंधित हैं।
1. पासपोर्ट अधिनियम, 1967:
यह अधिनियम किसी भी व्यक्ति को भारत छोड़ने या भारत में प्रवेश के लिए पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज की अनिवार्यता को निर्धारित करता है।
2. विदेशी नागरिक अधिनियम, 1946:
इस अधिनियम के अंतर्गत भारत में रह रहे विदेशी नागरिकों के पंजीकरण, नियमों का पालन और निर्वासन की प्रक्रिया निर्धारित की गई है।
3. वीज़ा नियम:
भारत आने वाले पर्यटकों को विभिन्न श्रेणियों में वीज़ा प्रदान किया जाता है जैसे टूरिस्ट वीज़ा, मेडिकल वीज़ा, ई-वीज़ा आदि। इनके उल्लंघन पर दंडात्मक कार्रवाई की जाती है।
4. आप्रवासन नियंत्रण:
भारत सरकार आप्रवासन के लिए ईमीग्रेशन क्लियरेंस, वीज़ा एक्सटेंशन, विदेशी नागरिक रजिस्ट्रेशन कार्यालय (FRRO) जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से नियमन करती है।
इन कानूनों का उद्देश्य भारत की सुरक्षा, सामाजिक समरसता और विदेशी नागरिकों के अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करना है।
प्रश्न 4: वैश्विक स्तर पर आप्रवासन के मानवाधिकार पहलुओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
आप्रवासन केवल एक कानूनी विषय नहीं, बल्कि यह मानवीय अधिकारों से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। लाखों लोग संघर्ष, उत्पीड़न, भूख और भय से बचने के लिए एक देश से दूसरे देश की ओर पलायन करते हैं।
मानवाधिकार से जुड़े प्रमुख पहलू:
- शरणार्थियों का अधिकार:
1951 की संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संधि (UN Refugee Convention) के अनुसार किसी भी शरणार्थी को जबरदस्ती उसके मूल देश में नहीं भेजा जा सकता जहाँ उसके जीवन को खतरा हो। - बिना भेदभाव के संरक्षण:
प्रत्येक व्यक्ति को, चाहे वह कानूनी आप्रवासी हो या शरणार्थी, शिक्षा, चिकित्सा, और सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार प्राप्त है। - न्यायिक सुरक्षा:
अवैध आप्रवासियों को भी उचित न्यायिक सुनवाई और अपील का अधिकार प्राप्त होना चाहिए।
हालांकि, कई देशों में राजनीतिक दबाव, नस्लभेद और कठोर कानूनों के कारण प्रवासियों को अमानवीय स्थितियों का सामना करना पड़ता है।
इसलिए वैश्विक समुदाय को मिलकर एक ऐसी नीतिगत व्यवस्था बनानी चाहिए, जो आप्रवासन को न केवल सुरक्षित, बल्कि मानव गरिमा के अनुरूप भी बनाए।