नागरिक सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन कानून (Civil Protection & Disaster Management Law)
एक विस्तृत विश्लेषण
परिचय
भारत एक विविध भूगोल और जलवायु वाला देश है जहाँ प्राकृतिक और मानवजनित आपदाओं का खतरा हमेशा बना रहता है — जैसे भूकंप, बाढ़, सूखा, चक्रवात, औद्योगिक दुर्घटनाएँ, महामारी आदि। ऐसी स्थितियों में नागरिकों की सुरक्षा, राहत कार्यों का संचालन, तथा पुनर्वास की व्यवस्था करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। नागरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन कानून इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए बनाए गए हैं।
इस लेख में हम भारत में लागू आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005, नागरिक सुरक्षा अधिनियम, 1968 तथा संबंधित नियमों एवं नीतियों का विश्लेषण करेंगे।
1. नागरिक सुरक्षा (Civil Protection) का आशय
नागरिक सुरक्षा का तात्पर्य उन उपायों से है जो देश की सामान्य जनता को किसी आपातकालीन स्थिति — जैसे युद्ध, आतंकवादी हमला, जैविक या रासायनिक हमले या अन्य आपदाओं — से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
नागरिक सुरक्षा अधिनियम, 1968 (Civil Defence Act, 1968)
यह अधिनियम भारत सरकार को निम्नलिखित शक्तियाँ प्रदान करता है:
- नागरिकों की सुरक्षा हेतु आवश्यक उपाय लागू करना
- नागरिक सुरक्षा कोष का निर्माण
- नागरिक सुरक्षा कर्मचारियों की नियुक्ति
- नागरिक रक्षा प्रशिक्षण एवं योजनाएँ तैयार करना
- संपत्ति एवं जीवन की रक्षा के लिए आपातकालीन प्रबंध
यह अधिनियम विशेष रूप से युद्धकालीन स्थितियों या राष्ट्रीय आपदा में लागू किया जाता है।
2. आपदा प्रबंधन कानून (Disaster Management Law)
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (Disaster Management Act, 2005)
इस अधिनियम को 23 दिसंबर 2005 को अधिसूचित किया गया, और इसका उद्देश्य था:
- आपदाओं के प्रभाव को कम करना
- तैयारियों को सुदृढ़ बनाना
- राहत और पुनर्वास को सुचारू करना
- संस्थागत ढाँचा स्थापित करना
प्रमुख प्रावधान:
(i) आपदा की परिभाषा (Section 2(d))
“आपदा” का अर्थ है – कोई गंभीर प्राकृतिक या मानवजनित घटना जिससे जीवन, पर्यावरण, संपत्ति या सामाजिक ढाँचे को व्यापक क्षति पहुँचे।
(ii) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित
- नीतियाँ तय करता है
- आपदा प्रतिक्रिया की समग्र रणनीति बनाता है
(iii) राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA)
- मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में
- राज्य स्तर पर योजनाओं का निर्माण एवं कार्यान्वयन
(iv) जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA)
- जिला अधिकारी की अध्यक्षता में
- स्थानीय आपदाओं का प्रबंधन
(v) आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)
- विशेष प्रशिक्षित बल
- त्वरित राहत, बचाव, पुनर्वास कार्यों में दक्ष
- NDMA के अधीन कार्यरत
3. भारत में आपदा प्रबंधन की संरचना
स्तर | संस्थान | कार्य |
---|---|---|
राष्ट्रीय | NDMA, NDRF | नीति निर्माण, संसाधन आवंटन, प्रशिक्षण |
राज्य | SDMA, SDRF | राज्य योजनाएँ, बजट, जवाबदेही |
जिला | DDMA | जिला योजना, स्थानीय क्रियान्वयन |
स्थानीय निकाय | ग्राम पंचायत, नगरपालिका | जन-जागरूकता, प्राथमिक प्रतिक्रिया |
4. आपदा पूर्व तैयारी एवं प्रशिक्षण
आपदा प्रबंधन अधिनियम केवल आपदाओं के बाद की प्रतिक्रिया पर केंद्रित नहीं है, बल्कि यह आपदा पूर्व तैयारी (Pre-Disaster Preparedness) पर भी बल देता है:
- खतरे की पहचान
- जोखिम मूल्यांकन
- जन-जागरूकता अभियान
- मॉक ड्रिल्स (अभ्यास)
- स्कूलों, अस्पतालों, उद्योगों में प्रशिक्षण
5. नागरिकों का अधिकार और भूमिका
(i) अधिकार:
- जीवन और सुरक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 21, भारतीय संविधान)
- आपदा के दौरान सूचना पाने का अधिकार
- उचित पुनर्वास और मुआवज़ा
(ii) कर्तव्य:
- आपदा नियंत्रण में सहयोग देना
- अफवाह न फैलाना
- प्रशासन द्वारा निर्देशित उपायों का पालन करना
6. प्रमुख आपदाओं से सबक
भारत ने कई बड़ी आपदाओं का अनुभव किया है, जिनसे सीखकर आपदा प्रबंधन व्यवस्था को बेहतर बनाया गया:
- भुज भूकंप (2001): गुजरात में भारी तबाही, जिसमें लाखों प्रभावित हुए। इसके बाद NDRF की स्थापना हुई।
- सुनामी (2004): तटीय क्षेत्रों में तबाही; इसके परिणामस्वरूप Disaster Management Act लागू किया गया।
- उत्तराखंड बाढ़ (2013): अत्यधिक वर्षा और भूस्खलन; आपदा पूर्व चेतावनी की आवश्यकता स्पष्ट हुई।
- कोविड-19 महामारी (2020-21): यह पहली बार था जब NDMA और NDRF को एक स्वास्थ्य आपदा से निपटना पड़ा।
7. भारतीय संविधान में आपदा प्रबंधन
हालाँकि संविधान में आपदा शब्द का प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं है, फिर भी कुछ प्रावधान अप्रत्यक्ष रूप से नागरिक सुरक्षा से संबंधित हैं:
- अनुच्छेद 21 – जीवन का अधिकार
- अनुच्छेद 47 – सार्वजनिक स्वास्थ्य का संवर्धन
- अनुच्छेद 51A(g) – पर्यावरण की रक्षा करना
- सातवीं अनुसूची – केंद्र, राज्य एवं समवर्ती सूची में कानून निर्माण की शक्तियाँ
8. अंतरराष्ट्रीय समझौते और भारत
भारत ने कई वैश्विक संधियों और घोषणाओं को अंगीकार किया है जो आपदा प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करती हैं:
- Sendai Framework for Disaster Risk Reduction (2015-30)
- Hyogo Framework (2005-15)
- Paris Climate Agreement (2015)
9. आपदा प्रबंधन में चुनौतियाँ
- संसाधनों की कमी
- शहरीकरण और अनियंत्रित विकास
- जलवायु परिवर्तन
- समन्वय की कमी
- डेटा आधारित पूर्वानुमान की सीमाएँ
10. सुझाव और सुधार की दिशा में कदम
- समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन (CBDRM) को बढ़ावा
- तकनीक का अधिक उपयोग – GIS, सैटेलाइट, ड्रोन
- आपदा शिक्षा को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करना
- निजी क्षेत्र की भागीदारी
- स्थानीय निकायों को प्रशिक्षण और अधिकार
निष्कर्ष
नागरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन कानून केवल कानूनी ढाँचा नहीं, बल्कि जीवन रक्षा का मूलभूत तंत्र है। यह न केवल आपदा के समय राहत और पुनर्वास को सशक्त करता है, बल्कि आपदा पूर्व तैयारियों द्वारा जानमाल की हानि को न्यूनतम करने का भी प्रयास करता है। एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में हमारा दायित्व है कि हम इन कानूनों की जानकारी रखें और आवश्यकता पड़ने पर इनका पालन करें।
एक सशक्त, जागरूक और प्रशिक्षित समाज ही आपदाओं का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकता है।