इतिहास (History) पर लेख।

भारतीय विधि का ऐतिहासिक विकास : भारतीय विधि का ऐतिहासिक विकास प्राचीन समय से लेकर वर्तमान तक एक लंबी और विविध यात्रा रही है। यह विकास भारतीय समाज, संस्कृति, और राजनीतिक संरचनाओं के साथ गहरे तरीके से जुड़ा हुआ है। भारतीय विधि के ऐतिहासिक विकास को विभिन्न कालखंडों में विभाजित किया जा सकता है, जिनमें … Read more

अर्थशास्त्र (Economics) पर लेख।

अर्थशास्त्र (Economics) : अर्थशास्त्र (Economics): एक व्यापक परिचय परिभाषा: अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है जो संसाधनों के उत्पादन, वितरण और उपभोग का अध्ययन करता है। इसका मूल उद्देश्य यह समझना है कि व्यक्ति, संस्थाएँ और सरकारें सीमित संसाधनों का उपयोग अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं की पूर्ति के लिए कैसे करती हैं। अर्थशास्त्र के प्रमुख अंग: … Read more

समाजशास्त्र (Sociology)

समाजशास्त्र (Sociology): * समाज और कानून का संबंध परिचय कानून और समाज दोनों मानव जीवन के दो अनिवार्य पहलू हैं। जिस प्रकार समाज एक संगठित मानव समुदाय को दर्शाता है, उसी प्रकार कानून समाज को नियमित करने वाला नियमों और सिद्धांतों का समुच्चय होता है। समाज और कानून का संबंध गहरा, परस्पर निर्भर और गतिशील … Read more

राजनीति विज्ञान (Political Science)

राजनीति विज्ञान (Political Science) : * भारतीय राजनीति और शासन प्रणाली : परिचय भारतीय राजनीति और शासन प्रणाली विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रणाली है। भारत में लोकतंत्र की स्थापना संविधान के माध्यम से 26 जनवरी 1950 को हुई थी। यह प्रणाली नागरिकों को मौलिक अधिकारों के साथ-साथ सरकार के निर्माण में भागीदारी का अधिकार … Read more

व्यक्तिगत दिवालियापन (Personal Insolvency) और कॉर्पोरेट दिवालियापन में क्या अंतर है? उदाहरण सहित

व्यक्तिगत दिवालियापन (Personal Insolvency) और कॉर्पोरेट दिवालियापन (Corporate Insolvency) – एक विस्तृत तुलना दिवालियापन (Insolvency) एक ऐसी स्थिति है जिसमें कोई व्यक्ति या संस्था अपने ऋणों का समय पर भुगतान करने में असमर्थ हो जाती है। भारत में यह स्थिति इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 (IBC) द्वारा नियंत्रित की जाती है। इस कोड के अंतर्गत … Read more

फास्ट ट्रैक इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया (Fast Track Insolvency Process) क्या है? इसमें किन परिस्थितियों में अपील की जाती है?

इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 (IBC) के तहत लागू की गई फास्ट ट्रैक इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया, एक ऐसी व्यवस्था है जो कुछ खास श्रेणी की कंपनियों के लिए त्वरित, कम लागत और कम समय में दिवालियापन समाधान की सुविधा देती है। इसका उद्देश्य न्यायिक प्रणाली पर भार कम करना और छोटे/मध्यम उद्यमों को जल्दी राहत प्रदान … Read more

दिवालियापन प्रक्रिया में वित्तीय लेनदार (Financial Creditor) और परिचालन लेनदार (Operational Creditor) के अधिकारों की तुलना कीजिए।

भारत में दिवालियापन से संबंधित मामलों के लिए इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 (Insolvency and Bankruptcy Code – IBC) लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य संकटग्रस्त कंपनियों के पुनर्गठन या समापन की प्रक्रिया को समयबद्ध और प्रभावी बनाना है। इस प्रक्रिया में दो प्रमुख प्रकार के लेनदार होते हैं: वित्तीय लेनदार और परिचालन लेनदार, जिनकी … Read more

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की भूमिका और अधिकारों का विवेचन कीजिए।

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) का गठन कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत किया गया था, और इसका उद्देश्य भारत में कंपनियों और लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (LLP) से संबंधित मामलों को निपटाने के लिए एक प्रभावी न्यायिक मंच प्रदान करना है। NCLT एक विशेष न्यायिक प्राधिकरण है, जिसका कार्य कंपनी और संबंधित क्षेत्रों में विवादों का … Read more

क्रेडिट क्रिएशन (Credit Creation) की प्रक्रिया क्या है? बैंकिंग सेक्टर में इसका क्या महत्व है?

क्रेडिट क्रिएशन (Credit Creation) की प्रक्रिया और बैंकिंग सेक्टर में इसका महत्व: क्रेडिट क्रिएशन बैंकिंग क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसके द्वारा वाणिज्यिक बैंक अपने पास जमा धनराशि से कई गुना अधिक धन को उधार देने के रूप में सृजित करते हैं। यह प्रक्रिया न केवल बैंकों के लिए लाभकारी होती है, बल्कि यह … Read more

बैंकर और ग्राहक के बीच संबंध (Banker and Customer Relationship) की प्रकृति और प्रकारों को समझाइए।

बैंकर और ग्राहक के बीच संबंध की प्रकृति एवं प्रकार (Nature and Types of Relationship between Banker and Customer) 1. भूमिका (Introduction) वर्तमान युग में बैंकिंग प्रणाली किसी भी देश की आर्थिक रीढ़ बन चुकी है। बैंकों का मुख्य उद्देश्य लोगों से जमा स्वीकार करना और उन्हें विभिन्न उद्देश्यों हेतु ऋण देना है। इस प्रक्रिया … Read more