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🚨 फंक्शनल डिसेबिलिटी: सुप्रीम कोर्ट ने दुर्घटना में घायल व्यक्ति की आय हानि के आधार पर 100% विकलांगता का दावा खारिज किया – Sunil Kumar Khushwaha बनाम Katragadda Satyanarayana & अन्य (SLP-16748-2024)

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🚨 फंक्शनल डिसेबिलिटी: सुप्रीम कोर्ट ने दुर्घटना में घायल व्यक्ति की आय हानि के आधार पर 100% विकलांगता का दावा खारिज किया – Sunil Kumar Khushwaha बनाम Katragadda Satyanarayana & अन्य (SLP-16748-2024)

लेख:

🚗 मामले का संदर्भ:
सुप्रीम कोर्ट ने Sunil Kumar Khushwaha बनाम Katragadda Satyanarayana & अन्य (2025) के केस में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) के निर्णय की समीक्षा करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी दी। घायल व्यक्ति ने दुर्घटना में लगी चोटों के कारण 100% फंक्शनल डिसेबिलिटी की मांग की थी, क्योंकि वह अब पहले की तरह फल बेचने का व्यवसाय नहीं कर सकता था।

⚖️ अदालत का विश्लेषण:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल यह तथ्य कि घायल व्यक्ति अब अपना पहले का व्यवसाय (फल विक्रय) नहीं कर सकता, इससे यह नहीं माना जा सकता कि वह पूरी तरह (100%) कार्यात्मक विकलांग हो गया है। अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि दावा प्रस्तुत करने वाला व्यक्ति फुटपाथ पर फल नहीं बेच रहा था, बल्कि उसका बाजार समिति में दुकान थी, और वह नियमित रूप से इनकम टैक्स रिटर्न भी दाखिल कर रहा था। इसका मतलब यह है कि दुर्घटना के बावजूद दुकानदारी का काम अन्य साधनों (जैसे कर्मचारी रखकर) जारी रह सकता था।

👨‍⚖️ न्यायालय की टिप्पणी:
“यह माना जा सकता है कि घायल व्यक्ति की आय पर चोट के प्रभाव से निश्चित रूप से कुछ हद तक आय हानि होगी, लेकिन यह कहना कि पूरी तरह से वह अपनी आजीविका गंवा बैठा है, यह न्यायसंगत नहीं होगा।”

अदालत ने यह स्पष्ट किया कि ऐसी स्थिति में, न्यायालय को व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना होगा, जिससे घायल व्यक्ति को उचित मुआवजा मिले, लेकिन असंभव या अनुचित दावा भी स्वीकार न हो।

🏥 अंतिम निर्णय:
अदालत ने घायल व्यक्ति की फंक्शनल डिसेबिलिटी को 60% माना, जो कि न्यायसंगत और यथार्थपरक पाया गया।

📌 मुख्य बिंदु:
✅ सिर्फ इसलिए कि कोई व्यक्ति दुर्घटना के कारण अपनी पुरानी आजीविका जारी नहीं रख सकता, इसका मतलब यह नहीं कि उसकी कार्यक्षमता पूरी तरह खत्म हो गई।
✅ फिजिकल विकलांगता और फंक्शनल डिसेबिलिटी के निर्धारण में आर्थिक और पेशेवर वास्तविकताओं को भी ध्यान में रखा जाएगा।
✅ न्यायालय ने Injured को भविष्य में दुकान चलाने के लिए कर्मचारी रखने की संभावना का भी ध्यान रखा।

निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय मोटर दुर्घटना मामलों में मुआवजे के निर्धारण में न्यायसंगत दृष्टिकोण को उजागर करता है। यह निर्णय न सिर्फ मुआवजा दावों को संतुलित करने का मार्गदर्शन करता है बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को वास्तविक हानि का उचित और न्यायोचित मुआवजा मिले, न कि सिर्फ पेशेवर रूप से पूर्व व्यवसाय में असमर्थता के आधार पर अत्यधिक मुआवजा।