🔷 पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा GST विभाग को नोटिस — कोर्ट वारंट ऑफिसर से दुर्व्यवहार पर गहरी चिंता
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक गंभीर प्रकरण पर संज्ञान लेते हुए गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) विभाग के अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। मामला एक वारंट ऑफिसर से कथित दुर्व्यवहार से जुड़ा है, जिसे अदालत द्वारा नियुक्त किया गया था। इस घटना ने न्यायालय की गरिमा और कानून व्यवस्था के पालन को लेकर एक अहम सवाल खड़ा कर दिया है।
🔶 प्रकरण की पृष्ठभूमि:
विवाद तब उत्पन्न हुआ जब अदालत ने एक वाणिज्यिक संपत्ति के मामले में स्थिति का निरीक्षण करने और सत्य रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक वारंट ऑफिसर नियुक्त किया। जब यह अधिकारी GST विभाग के कार्यालय पहुंचा, तो आरोप है कि विभाग के कुछ अधिकारियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया, उनके कार्य में बाधा डाली और उन्हें सरकारी कार्य करने से रोका।
यह स्पष्ट रूप से न केवल अदालत की अवमानना है, बल्कि कानून के शासन की अवहेलना भी है।
🔶 हाईकोर्ट की प्रतिक्रिया:
हाईकोर्ट ने इस घटना को गंभीर मानते हुए संबंधित GST अधिकारियों को नोटिस जारी किया और उनसे स्पष्टीकरण मांगा कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए। न्यायमूर्ति की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी की कि यह निंदनीय है कि एक न्यायालय द्वारा नियुक्त अधिकारी के साथ ऐसा व्यवहार किया गया।
न्यायालय ने कहा कि “यदि कोई अधिकारी कानून की प्रक्रिया में रुकावट डालता है, तो यह न्यायिक प्रक्रिया की मर्यादा का सीधा उल्लंघन है।”
🔶 GST विभाग की स्थिति:
अब ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि GST विभाग इस नोटिस का क्या उत्तर देता है और क्या विभाग कोई आंतरिक जांच करेगा। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।
🔶 कानूनी दृष्टिकोण:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 215 के अंतर्गत हाईकोर्ट को अपनी अवमानना से सुरक्षा प्राप्त है और वह अवमानना के मामलों में स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई कर सकता है। कोर्ट द्वारा नियुक्त अधिकारी को सरकारी कार्य निष्पक्षता से संपन्न करने का अधिकार है और उसमें रुकावट डालना न्यायालय के आदेशों की अवहेलना मानी जाती है।
🔶 न्यायिक स्वतंत्रता और संस्थागत गरिमा की रक्षा:
यह मामला न्यायिक स्वतंत्रता और कोर्ट के आदेशों की निष्पक्षता की रक्षा के लिए एक मिसाल बन सकता है। यदि ऐसे मामलों में सख्ती नहीं बरती गई, तो भविष्य में न्यायालय द्वारा नियुक्त अधिकारियों के कार्यों में हस्तक्षेप की प्रवृत्ति बढ़ सकती है।
निष्कर्ष:
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा उठाया गया यह कदम न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह संदेश देता है कि किसी भी सरकारी संस्था या अधिकारी को कानून के ऊपर नहीं समझा जा सकता। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि GST विभाग इस पर क्या जवाब देता है और कोर्ट इस मामले में क्या अंतिम निर्णय लेता है।