⚖️ Order 12 Rule 6 CPC के तहत एडमिशन के आधार पर डिक्री कभी भी पारित की जा सकती है — सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया, औपचारिक आवेदन जरूरी नहीं; केवल स्पष्ट एडमिशन ही काफी

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⚖️ Order 12 Rule 6 CPC के तहत एडमिशन के आधार पर डिक्री कभी भी पारित की जा सकती है — सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया, औपचारिक आवेदन जरूरी नहीं; केवल स्पष्ट एडमिशन ही काफी

लेख:

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (Civil Procedure Code, 1908) की Order 12 Rule 6 के तहत एडमिशन (Admission) के आधार पर डिक्री (Judgment) किसी भी स्टेज पर पारित की जा सकती है। इसके लिए कोई औपचारिक आवेदन (Formal Application) दायर करना जरूरी नहीं है। अगर एडमिशन स्पष्ट और निर्विवाद हो, तो ट्रायल की आवश्यकता नहीं होगी और अदालत सीधे डिक्री पारित कर सकती है।

मामले की पृष्ठभूमि:
इस केस में वादी ने वेस्ट बंगाल प्रिमाइसेस टेनेन्सी एक्ट (West Bengal Premises Tenancy Act) के तहत किरायेदार के बेटे के खिलाफ संपत्ति खाली कराने का केस दायर किया था। किरायेदार की मृत्यु के बाद किरायेदार का बेटा किराए की संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा जमाए हुए था। प्रतिवादी (Defendant) ने अदालत में यह स्वीकार किया कि उसने मई 2021 तक किराया किरायेदार के नाम से ही जमा किया, यानी उसकी ओर से कोई वैध ट्रांसफर या रिन्यूअल (Renewal) नहीं हुआ।

न्यायालय में मुख्य कानूनी मुद्दा:
क्या ऐसे एडमिशन के आधार पर Order 12 Rule 6 के तहत वादी को डिक्री (Recovery of Possession) दी जा सकती है? और क्या इसके लिए औपचारिक आवेदन जरूरी है?

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:
🔹 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि Order 12 Rule 6 CPC के तहत डिक्री पारित करने के लिए किसी औपचारिक आवेदन की जरूरत नहीं होती।
🔹 एडमिशन यदि स्पष्ट और निर्विवाद (Clear and Unambiguous) हो तो अदालत को ट्रायल की ओर नहीं जाना चाहिए।
🔹 एडमिशन किसी भी रूप में हो सकता है — चाहे वह दस्तावेज में हो (जैसे Written Statement), या फिर Order 10 Rule 1 और 2 CPC के तहत बयान के रूप में दर्ज किया गया हो।
🔹 कोर्ट ने कहा कि एडमिशन एविडेंस एक्ट की धारा 17, 23, 58 के तहत बाध्यकारी होती है और इनका उपयोग Order 12 Rule 6 के तहत किया जा सकता है।
🔹 मामले में प्रतिवादी के एडमिशन से यह स्पष्ट था कि वह किरायेदार के नाम पर ही भुगतान करता रहा और उसका खुद का वैध किरायेदारी अधिकार नहीं बना। इसीलिए, ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने सही तौर पर वादी के पक्ष में डिक्री पारित की थी।
🔹 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पष्ट एडमिशन होने की स्थिति में वादी का कब्जा पाने का अधिकार तुरंत लागू हो जाता है और लंबा ट्रायल न्यायहित के विपरीत होगा।

मुख्य कानूनी बिंदु:
Order 12 Rule 6 CPC का उद्देश्य यह है कि जहां एडमिशन स्पष्ट हो, वहां मुकदमे को अनावश्यक रूप से लंबा न किया जाए।
✅ एडमिशन दस्तावेजी साक्ष्य में हो या मौखिक बयान में, अगर वह स्पष्ट और निर्विवाद है तो अदालत तुरंत डिक्री पारित कर सकती है।
✅ इसके लिए कोई औपचारिक आवेदन जरूरी नहीं है; अदालत अपने विवेक से भी इसका उपयोग कर सकती है।
Evidence Act की धारा 17, 23 और 58 एडमिशन के कानूनी महत्व को रेखांकित करती हैं और अदालत को इसे बाध्यकारी मानना होता है।
✅ यदि एडमिशन के आधार पर वादी का पक्ष स्पष्ट है, तो ट्रायल अनावश्यक होगा।

निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सिविल मुकदमों के शीघ्र निपटान के लिए एक महत्वपूर्ण दिशानिर्देश प्रदान करता है। यह बताता है कि अदालत को स्पष्ट एडमिशन की स्थिति में मुकदमे को अनावश्यक रूप से ट्रायल तक खींचने के बजाय Order 12 Rule 6 के तहत वादी के पक्ष में डिक्री देनी चाहिए। इससे न्यायालयों पर मुकदमों का बोझ कम होगा और वादकारियों को शीघ्र न्याय मिलेगा।