⚖️ अंकिता भंडारी हत्याकांड: कोटद्वार कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला और न्यायाधीश रीना नेगी की निर्णायक टिप्पणी

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⚖️ अंकिता भंडारी हत्याकांड: कोटद्वार कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला और न्यायाधीश रीना नेगी की निर्णायक टिप्पणी

लेख:

30 मई 2025 को उत्तराखंड के कोटद्वार की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रीना नेगी की अदालत ने 19 वर्षीय रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी पुलकित आर्य (पूर्व भाजपा मंत्री विनोद आर्य के पुत्र) और उसके दो सहयोगियों सौरभ भास्कर एवं अंकित गुप्ता को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं 302 (हत्या), 354 (महिला की मर्यादा भंग करने का प्रयास), 120B (आपराधिक साजिश) और 201 (साक्ष्य नष्ट करना) के तहत उन्हें दोषी माना।

अदालत की टिप्पणी:
हालांकि न्यायाधीश रीना नेगी की विस्तृत टिप्पणी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, लेकिन अदालत के इस फैसले ने न्यायपालिका की निष्पक्षता और पीड़िता को न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता को दर्शाया है। अदालत ने 500 पन्नों की चार्जशीट, 47 गवाहों के बयान और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर यह निर्णय लिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि न्यायालय ने सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार किया।

मामले की पृष्ठभूमि:
सितंबर 2022 में अंकिता भंडारी, जो ऋषिकेश के पास स्थित वनंत्रा रिज़ॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्यरत थीं, अचानक लापता हो गईं। छह दिन बाद उनकी लाश चिल्ला नहर से बरामद हुई। जांच में सामने आया कि पुलकित आर्य और उसके सहयोगियों ने अंकिता पर वीआईपी ग्राहकों को “विशेष सेवाएं” प्रदान करने का दबाव डाला था, जिसे अंकिता ने ठुकरा दिया। इसके बाद उन्होंने उसकी हत्या कर दी।

साक्ष्य और जांच:
विशेष जांच दल (SIT) ने 500 पन्नों की चार्जशीट तैयार की, जिसमें 47 गवाहों के बयान, व्हाट्सएप चैट, कॉल रिकॉर्ड और अन्य डिजिटल साक्ष्य शामिल थे। एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब चंद्रमा की स्थिति के विश्लेषण से जांच एजेंसी को सबूत जुटाने में विशेष सहायता मिली।

सजा और मुआवजा:
अदालत ने तीनों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई और प्रत्येक पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया। साथ ही, पीड़िता के परिवार को ₹4 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया गया।

पीड़िता की मां की प्रतिक्रिया:
फैसले से पहले अंकिता की मां, सोनी देवी, ने दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की थी और उत्तराखंड की जनता से समर्थन बनाए रखने की अपील की थी।

निष्कर्ष:
यह मामला न्यायपालिका की निष्पक्षता और पीड़िता को न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। अदालत का यह फैसला समाज में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए एक मजबूत संदेश देता है।