“हरियाणा की जेलों में सुधार और पुनर्वास की नई पहल: CJI सूर्यकांत ji द्वारा स्किल डेवलपमेंट एवं पॉलीटेक्निक कोर्सेज़ का शुभारंभ”
भूमिका
भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली का स्वरूप केवल दंड देना नहीं, बल्कि अपराधियों के पुनर्वास एवं समाज में पुनः एकीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करना भी है। इसी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति सूर्यकांत ji ने हरियाणा की जेलों में बंद कैदियों के लिए स्किल डेवलपमेंट और पॉलीटेक्निक कोर्सेज़ की एक महत्वाकांक्षी योजना का शुभारंभ किया। यह कार्यक्रम कैदियों के भविष्य को सुधारने की दिशा में एक ऐतिहासिक और परिवर्तनकारी कदम माना जा रहा है, जिसमें शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और सम्मानजनक रोजगार की संभावनाओं को मुख्य आधार बनाया गया है।
1. न्याय और पुनर्वास: CJI की दूरदर्शिता
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते समय स्पष्ट कहा कि कैदी भी समाज का हिस्सा हैं और उनका सुधार, प्रशिक्षण तथा पुनर्वास हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। केवल सजा काटने से अपराध की समस्या का समाधान नहीं होता; बल्कि कौशल विकास, मानसिक परिवर्तन और सामाजिक पुनर्समावेशन ही वास्तविक सुधार की पहचान है।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जेलें “सुधारगृह” होनी चाहिए, न कि “दंड गृह”, और यह पहल पूरे देश में जेल सुधारों के लिए एक मॉडल बन सकती है।
2. हरियाणा सरकार और न्यायपालिका के संयुक्त प्रयास
इस योजना को मूर्त रूप देने में हरियाणा सरकार, जेल विभाग, तकनीकी शिक्षा विभाग, और न्यायपालिका के संयुक्त प्रयास शामिल हैं। विभिन्न पॉलीटेक्निक संस्थानों एवं राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के सहयोग से कैदियों को ऐसे कोर्स प्रदान किए जा रहे हैं जो जेल में रहते हुए और जेल से बाहर आने के बाद उनकी जीविका में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।
कार्यक्रम का उद्देश्य जेलों को एक शिक्षा-केंद्रित सुधारात्मक प्रणाली में बदलना है जिसमें कैदियों को निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त होगा:
- इलेक्ट्रिकल वर्क
- प्लंबिंग
- कंप्यूटर एप्लिकेशन
- टेलरिंग व फैशन डिजाइनिंग
- मोबाइल रिपेयरिंग
- बुनियादी इंजीनियरिंग कार्य
- डिजिटल स्किल्स एवं आईटी टूल्स का प्रयोग
3. कैदियों के लिए कौशल विकास क्यों महत्वपूर्ण?
कैदियों द्वारा जेल अवधि पूर्ण करने के बाद सबसे बड़ी चुनौती होती है—रोजगार प्राप्त करना। शिक्षा और कौशल की कमी उन्हें समाज में पुनः स्थापित होने से रोकती है और कई बार वे पुनः अपराध की ओर मुड़ जाते हैं।
CJI द्वारा शुरू की गई यह पहल निम्नलिखित कारणों से अत्यंत महत्वपूर्ण है:
- रोजगार की संभावना बढ़ेगी
प्रशिक्षित कैदी जेल से बाहर निकलने के बाद नौकरी या स्वरोजगार शुरू कर सकते हैं। - आत्मनिर्भरता का विकास
कौशल मिलने से कैदियों में आत्मविश्वास और आत्मसम्मान बढ़ता है। - पुनरावृत्ति (Reoffending) में कमी
शोध बताता है कि कौशलयुक्त कैदियों के दोबारा अपराध में शामिल होने की संभावना बहुत कम होती है। - परिवार एवं समाज के साथ बेहतर तालमेल
आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति समाज एवं परिवार के लिए सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।
4. जेलों के भीतर शैक्षणिक ढाँचा
हरियाणा जेलों में विशेष रूप से क्लासरूम, वर्कशॉप लैब, कंप्यूटर लैब, और हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग यूनिट्स स्थापित की गई हैं। प्रशिक्षण देने के लिए:
- पॉलीटेक्निक कॉलेजों के विशेषज्ञ
- आईटीआई प्रशिक्षक
- स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के मेंटर्स
- इंडस्ट्री एक्सपर्ट
नियत अंतराल पर जेलों में जाकर लाइव प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।
कैदियों के लिए कंसल्टेशन और काउंसलिंग सेशन भी आयोजित होंगे ताकि उनका मानसिक स्वास्थ्य और व्यावहारिक ज्ञान दोनों सुदृढ़ हो।
5. प्रमाणन और रोजगार सहायता
कार्यक्रम पूरा करने पर कैदियों को:
- मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्र
- रोजगार परामर्श (Career Guidance)
- जेल से रिहाई के बाद प्लेसमेंट सहायता
प्रदान की जाएगी।
राज्य सरकार ने कई निजी उद्योगों और MSME इकाइयों से भी समझौते किए हैं ताकि प्रशिक्षित कैदियों को रोजगार में प्राथमिकता दी जा सके।
6. CJI सूर्यकांत की मानवतावादी टिप्पणी
कार्यक्रम में संबोधन के दौरान CJI सूर्यकांत ने महत्वपूर्ण बातें कही:
- “हर मनुष्य सुधार योग्य है, सिर्फ अवसर मिलने की आवश्यकता है।”
- “कैदियों को सजा देना राज्य का कर्तव्य है, लेकिन सुधार और पुनर्वास समाज का धर्म।”
- “जब हम कैदी को कौशल देते हैं, तब हम पूरे समाज को सुरक्षित बनाते हैं।”
उनकी यह टिप्पणी व्यापक जेल सुधार दृष्टिकोण को दर्शाती है और यह संकेत देती है कि भविष्य में न्यायपालिका मानवाधिकार और पुनर्वास के मुद्दों पर और अधिक सक्रिय भूमिका निभाएगी।
7. अंतरराष्ट्रीय मॉडल से प्रेरणा
अमेरिका, नॉर्वे, स्वीडन और नीदरलैंड जैसे देशों ने अपने जेल सिस्टम में कौशल विकास कार्यक्रमों को शामिल कर अपराध पुनरावृत्ति दर (Recidivism) को उल्लेखनीय रूप से कम किया है।
CJI की यह पहल भारत में भी इसी प्रकार के अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित सुधारों को लागू करने का प्रयास है।
8. सामाजिक प्रभाव और संभावित परिणाम
इस पहल से न केवल कैदियों का बल्कि संपूर्ण समाज का लाभ होगा।
- अपराध दर पर दीर्घकालिक नियंत्रण
- कैदियों के परिवारों को आर्थिक सुरक्षा
- जेलों में अनुशासन एवं सकारात्मक वातावरण का विकास
- मानवाधिकारों और गरिमा की रक्षा
यह कार्यक्रम आने वाले वर्षों में देश के अन्य राज्यों में भी लागू हो सकता है और जेल सुधारों का एक आदर्श मॉडल बन सकता है।
9. निष्कर्ष
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ji द्वारा हरियाणा जेलों में स्किल डेवलपमेंट और पॉलीटेक्निक कोर्सेज़ का शुभारंभ भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक क्रांतिकारी और मानवीय कदम है। यह पहल केवल शिक्षा का विस्तार नहीं, बल्कि एक नई सोच का प्रतीक है—जिसका लक्ष्य कैदियों को दंडित करना नहीं, बल्कि उन्हें स्वावलंबी, जिम्मेदार और समाजोपयोगी नागरिक के रूप में पुनः स्थापित करना है।
यह कार्यक्रम संकेत देता है कि भारत धीरे-धीरे दंडवादी न्याय से आगे बढ़कर सुधारवादी एवं पुनर्वास-आधारित न्याय की ओर अग्रसर हो रहा है।
अगर यह मॉडल सफल रहता है तो यह आने वाले समय में पूरे देश के लिए एक आदर्श और प्रेरणादायक मार्गदर्शक सिद्ध हो सकता है।