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हत्या (Murder) और गैर-हत्या सदृश आपराधिक मानव वध (Culpable Homicide not amounting to Murder) – BNS, 2023 के संदर्भ में

हत्या (Murder) और गैर-हत्या सदृश आपराधिक मानव वध (Culpable Homicide not amounting to Murder) – BNS, 2023 के संदर्भ में

भूमिका

मानव जीवन का संरक्षण किसी भी समाज और विधि की प्राथमिक जिम्मेदारी है। यदि किसी व्यक्ति के जीवन को अनुचित रूप से समाप्त किया जाता है, तो यह सबसे गंभीर अपराध माना जाता है। भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) में हत्या और मानव वध से संबंधित प्रावधान धारा 299 और 300 में थे। अब भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) में इन्हीं प्रावधानों को आधुनिक रूप देकर सम्मिलित किया गया है।

  • आपराधिक मानव वध (Culpable Homicide) – धारा 101, BNS
  • हत्या (Murder) – धारा 103, BNS

यहाँ यह समझना आवश्यक है कि सभी हत्या (Murder) आपराधिक मानव वध (Culpable Homicide) हैं, किंतु सभी आपराधिक मानव वध हत्या नहीं होते।


आपराधिक मानव वध (Culpable Homicide) – धारा 101, BNS

परिभाषा

जब कोई व्यक्ति किसी अन्य की मृत्यु का कारण इस आशय से करता है कि वह मृत्यु होगी या इस ज्ञान से करता है कि उसकी क्रिया से मृत्यु हो सकती है, तो यह आपराधिक मानव वध कहलाता है।

आवश्यक तत्व

  1. मृत्यु का होना।
  2. मृत्यु मानव की होनी चाहिए।
  3. कार्य कपटपूर्वक (with intention/knowledge) किया गया हो।
  4. कार्य और मृत्यु में प्रत्यक्ष कारण संबंध हो।

इस प्रकार यदि किसी व्यक्ति ने जानबूझकर या ज्ञान के साथ ऐसा कार्य किया है जिससे किसी की मृत्यु हो जाती है, तो यह आपराधिक मानव वध होगा।


हत्या (Murder) – धारा 103, BNS

परिभाषा

धारा 103 के अनुसार –
यदि कोई आपराधिक मानव वध (धारा 101) इस प्रकार किया जाता है कि –

  1. इरादा (Intention) से किया गया हो:
    अपराधी का प्रत्यक्ष उद्देश्य उस व्यक्ति की मृत्यु करना हो।
  2. ऐसा आघात पहुँचाया जाए जो सामान्य रूप से मृत्यु का कारण हो:
    जैसे – छाती या सिर पर जानलेवा चोट।
  3. ऐसा कार्य किया जाए जिससे मृत्यु होना निश्चित हो:
    जैसे – जहर देना, बंदूक से नजदीक से गोली मारना।

तो वह हत्या (Murder) कहलाएगा।

दंड

धारा 105, BNS –
हत्या के लिए मृत्यु दंड या आजीवन कारावास तथा जुर्माना हो सकता है।


गैर-हत्या सदृश आपराधिक मानव वध (Culpable Homicide not amounting to Murder)

अवधारणा

धारा 101 के अंतर्गत सभी अपराध आपराधिक मानव वध हैं, किंतु उनमें से कुछ ऐसे हैं जो धारा 103 के कठोर मानकों पर खरे नहीं उतरते। उदाहरणार्थ –

  • यदि अपराधी का उद्देश्य मृत्यु करना न होकर केवल चोट पहुँचाना था।
  • यदि अपराधी को इतना ज्ञान नहीं था कि मृत्यु निश्चित होगी।
  • यदि अपवाद (Exception) लागू होता है।

ऐसे मामलों को गैर-हत्या सदृश आपराधिक मानव वध (Culpable Homicide not amounting to Murder) कहा जाता है।

दंड

धारा 104, BNS –
इसके लिए आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक का कारावास तथा जुर्माना हो सकता है।


हत्या और आपराधिक मानव वध में भेद

सर्वोच्च न्यायालय ने बार-बार स्पष्ट किया है कि हत्या (Murder) और गैर-हत्या सदृश आपराधिक मानव वध (Culpable Homicide not amounting to Murder) के बीच का अंतर “इरादे (intention)” और “ज्ञान (knowledge)” की तीव्रता में निहित है।

तुलनात्मक सारणी

बिंदु आपराधिक मानव वध (Sec. 101 BNS) हत्या (Sec. 103 BNS)
स्वरूप व्यापक परिभाषा – मृत्यु का कारण बनना। विशेष परिस्थिति जिसमें वध हत्या बन जाता है।
इरादा/ज्ञान केवल मृत्यु की संभावना का ज्ञान या चोट पहुँचाने का इरादा। प्रत्यक्ष इरादा मृत्यु करने का या ऐसी चोट जो मृत्यु निश्चित करे।
गंभीरता कम गंभीर अपराध। सबसे गंभीर अपराध।
दंड आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक कारावास। मृत्यु दंड या आजीवन कारावास।
उदाहरण किसी को डराने हेतु लाठी मारना, जिससे अनजाने में मृत्यु हो जाए। किसी पर जानलेवा वार करना, जैसे सीने पर गोली चलाना।

न्यायिक दृष्टिकोण

  1. Reg v. Govinda (1876) – बॉम्बे हाईकोर्ट ने हत्या और आपराधिक मानव वध के बीच अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि यदि आरोपी का उद्देश्य केवल चोट पहुँचाना है और वह चोट असावधानीवश मृत्यु का कारण बन जाए, तो यह Murder नहीं बल्कि Culpable Homicide है।
  2. Virsa Singh v. State of Punjab (AIR 1958 SC 465) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि चोट जानबूझकर इस प्रकार पहुँचाई गई है जो सामान्य रूप से मृत्यु का कारण होती है, तो यह Murder है।
  3. State of Andhra Pradesh v. Rayavarapu Punnayya (AIR 1977 SC 45) – अदालत ने कहा कि Murder और Culpable Homicide not amounting to Murder के बीच का अंतर बहुत पतला (thin line) है और यह प्रत्येक मामले की परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

उदाहरण द्वारा स्पष्टता

  • हत्या (Murder):
    राम ने श्याम पर बंदूक से गोली चलाई इस उद्देश्य से कि उसकी मृत्यु हो। श्याम की तत्काल मृत्यु हो गई। यह Murder है।
  • गैर-हत्या सदृश आपराधिक मानव वध:
    राम ने श्याम को केवल डराने हेतु लाठी मारी, किंतु वार सिर पर लगने से उसकी मृत्यु हो गई। यहाँ राम का प्रत्यक्ष इरादा मृत्यु करना नहीं था, अतः यह Culpable Homicide not amounting to Murder है।

निष्कर्ष

भारतीय न्याय संहिता, 2023 ने IPC की पुरानी धारा 299 और 300 को धारा 101 और 103 में समाहित किया है। दोनों अपराधों में मुख्य अंतर इरादे की तीव्रता और ज्ञान की सीमा में है। Murder सबसे गंभीर अपराध है जिसके लिए मृत्युदंड तक का प्रावधान है, जबकि Culpable Homicide not amounting to Murder अपेक्षाकृत हल्का अपराध है, यद्यपि यह भी गम्भीर श्रेणी का है।

इस प्रकार कहा जा सकता है कि –

  • सभी Murder, Culpable Homicide हैं।
  • किंतु सभी Culpable Homicide, Murder नहीं होते।