लेख शीर्षक: सेवा कानून में सेवानिवृत्त कर्मचारी से अधिक भुगतान की वसूली – SH. RAGHBIR CHAND SHARMA बनाम पंजाब राज्य मामला (2025)
परिचय:
भारतीय सेवा कानून (Service Law) के अंतर्गत, वेतन या भत्तों में किसी प्रकार की अधिकता से भुगतान (Excess Payment) की स्थिति उत्पन्न होने पर क्या कोई सरकारी संस्था उस अधिक राशि की वसूली (Recovery) कर सकती है, यह एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण प्रश्न रहा है। विशेष रूप से तब, जब कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुका हो या लंबे समय से वह अतिरिक्त भुगतान प्राप्त कर रहा हो।
इस संबंध में हाल ही में श्री रघबीर चंद शर्मा बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य (2025 PbHr HC, CWP-11071-2018, O&M) में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय ने सेवा कानून के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।
मामले की पृष्ठभूमि:
श्री रघबीर चंद शर्मा एक सरकारी कर्मचारी थे, जिन्हें उनकी सेवा अवधि के दौरान कुछ वेतन लाभ अतिरिक्त रूप से प्राप्त होते रहे। सेवानिवृत्ति के पश्चात विभाग ने यह दावा किया कि उन्हें पूर्व में कुछ भत्तों का अधिक भुगतान किया गया है, और अब उस राशि की वसूली की जानी चाहिए। इस पर श्री शर्मा ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की।
मुख्य प्रश्न:
- क्या सरकार सेवानिवृत्त कर्मचारी से “गलती से किए गए अधिक भुगतान” की राशि की वसूली कर सकती है?
- यदि यह भुगतान पांच वर्षों से अधिक समय तक चलता रहा हो, तो क्या इसे वसूला जा सकता है?
न्यायालय का निर्णय:
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा:
“यदि किसी कर्मचारी को कोई अतिरिक्त वेतन या भत्ता गलती से दिया गया हो, और वह कर्मचारी या तो सेवानिवृत्त हो चुका हो या उसे वह अतिरिक्त राशि पिछले पाँच वर्षों से मिल रही हो, तो ऐसी स्थिति में वसूली नहीं की जा सकती।“
यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के पूर्ववर्ती निर्णयों जैसे State of Punjab v. Rafiq Masih (2015) पर आधारित है, जिसमें न्यायालय ने कहा था कि सेवा के अंतिम वर्षों में कर्मचारी से अधिक राशि की वसूली न्यायसंगत नहीं है, क्योंकि वह कर्मचारी अपनी जीवन योजनाओं और आवश्यकताओं के अनुसार उस राशि का उपयोग कर चुका होता है।
महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष:
- सेवानिवृत्ति के पश्चात वसूली अवैध: यदि कर्मचारी अब सेवा में नहीं है और वह राशि सेवा के दौरान नियमित रूप से मिली थी, तो विभाग को यह अधिकार नहीं कि वह उस राशि की वसूली करे।
- 5 वर्षों से अधिक की अवधि: यदि कोई अधिक भुगतान पिछले 5 वर्षों से अधिक समय तक बिना किसी आपत्ति के चलता रहा, तो यह माना जाएगा कि कर्मचारी की ओर से कोई कपट नहीं था, और इसलिए वसूली नाजायज होगी।
- सरकारी गलती का दंड कर्मचारी को नहीं: यदि विभाग की त्रुटि के कारण भुगतान में अधिकता हुई है और कर्मचारी ने कोई धोखाधड़ी नहीं की, तो उसे उसकी गलती की सजा नहीं दी जा सकती।
निष्कर्ष:
SH. Raghbir Chand Sharma v/s State of Punjab & Others (2025) का निर्णय सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा में एक मील का पत्थर है। यह निर्णय स्पष्ट करता है कि वसूली केवल तभी उचित है जब कर्मचारी ने जानबूझकर कोई लाभ लिया हो या विभाग को धोखे में रखा हो। अन्यथा, लंबे समय से चली आ रही गलतियों के लिए वयोवृद्ध कर्मचारियों से वसूली न्यायसंगत नहीं कही जा सकती।
इस निर्णय से न केवल सेवानिवृत्त कर्मचारियों को राहत मिली है, बल्कि यह भी सुनिश्चित हुआ है कि प्रशासनिक लापरवाही का बोझ अब कर्मचारियों पर नहीं डाला जाएगा।
प्रासंगिक निर्णय:
- State of Punjab v. Rafiq Masih (White Washer), (2015) 4 SCC 334
- SH. RAGHBIR CHAND SHARMA v. State of Punjab & Others, 2025 PbHr HC (CWP-11071-2018, O&M)