सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 14, 15 और 16 के अंतर्गत सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख एवं सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर
परिचय:
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000) भारत में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड, डिजिटल साक्ष्य और साइबर सुरक्षा से संबंधित प्रमुख कानून है। इसकी धारा 14 से 16 तक विशेष रूप से सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख और सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर से संबंधित हैं।
धारा 14 – सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख (Secure Electronic Record)
इस धारा के अनुसार,
यदि किसी इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख को ऐसी सुरक्षा प्रक्रिया या तरीके से तैयार किया गया है जिसे अधिसूचित किया गया है, तो उसे सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख माना जाएगा।
मतलब:
जो इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड किसी मान्यता प्राप्त तरीके से सुरक्षित किया गया हो, वह कोर्ट में वैध और प्रमाणिक माना जाएगा।
धारा 15 – सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर (Secure Electronic Signature)
इस धारा के अनुसार,
यदि कोई इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर किसी ऐसी प्रणाली से किया गया है जो:
- केवल हस्ताक्षरकर्ता के नियंत्रण में हो,
- समय के साथ उसके साथ छेड़छाड़ न की जा सके,
- सत्यापन के योग्य हो,
तो उसे सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर माना जाएगा।
मतलब:
सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर वही माने जाएंगे जो प्रमाणिकता और सत्यता की कसौटी पर खरे उतरें।
धारा 16 – सुरक्षा प्रक्रियाएं (Security Procedure)
यह धारा बताती है कि सरकार द्वारा अधिसूचित की गई कोई भी सुरक्षा प्रक्रिया या तकनीक यदि किसी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड या हस्ताक्षर में लागू की जाती है, तो उसे सुरक्षित माना जाएगा।
उदाहरण:
- डिजिटल सर्टिफिकेट द्वारा सत्यापित डिजिटल सिग्नेचर
- एन्क्रिप्शन तकनीक
- बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण
निष्कर्ष:
धारा 14, 15 और 16 सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के उन प्रावधानों में शामिल हैं जो डिजिटल दस्तावेज़ों और हस्ताक्षरों को कानूनी वैधता प्रदान करते हैं। ये प्रावधान ई-गवर्नेंस, ई-कॉमर्स और डिजिटल लेन-देन को सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।