सुप्रीम कोर्ट का “विशाखा बनाम राजस्थान राज्य (1997)” निर्णय – कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा की दिशा में ऐतिहासिक कदम
परिचय :
भारत में महिलाओं के प्रति कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न एक गंभीर सामाजिक और कानूनी समस्या रही है। लंबे समय तक इसके खिलाफ कोई स्पष्ट कानूनी तंत्र नहीं था। ऐसे समय में, वर्ष 1997 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए “विशाखा बनाम राजस्थान राज्य” (Vishaka v. State of Rajasthan, AIR 1997 SC 3011) के ऐतिहासिक निर्णय ने महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करने के लिए मार्ग प्रशस्त किया। यह निर्णय न केवल संवैधानिक सिद्धांतों की रक्षा करता है, बल्कि महिलाओं के गरिमा, समानता और स्वतंत्रता के मूलभूत अधिकारों को सुनिश्चित करता है।
प्रकरण की पृष्ठभूमि :
विशाखा नाम की एक सामाजिक संस्था और अन्य महिला संगठनों ने यह जनहित याचिका दायर की थी। यह मामला राजस्थान के भंवरी देवी नामक महिला कार्यकर्ता के साथ हुए यौन उत्पीड़न और सामूहिक बलात्कार से संबंधित था। भंवरी देवी एक सरकारी कार्यकर्ता थीं जो बाल विवाह रोकने का प्रयास कर रही थीं। इसी कारण उन्हें सामाजिक प्रतिरोध और हिंसा का सामना करना पड़ा। जब राज्य प्रशासन न्याय देने में विफल रहा, तब यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में गया।
मुख्य संवैधानिक प्रश्न :
- क्या महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करना राज्य का संवैधानिक कर्तव्य है?
- क्या भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 15 (लैंगिक भेदभाव का निषेध), अनुच्छेद 19(1)(g) (व्यवसाय की स्वतंत्रता), और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का उल्लंघन होता है जब कोई महिला कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का शिकार होती है?
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश (विशाखा दिशानिर्देश):
इस ऐतिहासिक निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए जिन्हें “विशाखा गाइडलाइन्स” कहा गया। ये तब तक प्रभावी माने गए जब तक संसद इस विषय पर कोई विधि न बना ले। मुख्य बिंदु निम्नलिखित थे:
- यौन उत्पीड़न की परिभाषा :
यौन उत्पीड़न में अवांछित यौन व्यवहार, शारीरिक संपर्क, अश्लील टिप्पणियां, अशिष्ट संकेत या यौन कृपा की माँग शामिल मानी गई। - नियोक्ता की जिम्मेदारी :
हर संस्था/नियोक्ता की यह ज़िम्मेदारी होगी कि वह कार्यस्थल को यौन उत्पीड़न से मुक्त रखे। - शिकायत निवारण तंत्र :
प्रत्येक कार्यस्थल पर एक आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee) होनी चाहिए जिसकी अध्यक्षता कोई महिला करे और जिसमें बाहरी स्वतंत्र सदस्य भी हो। - संवेदनशीलता प्रशिक्षण :
कर्मचारियों को लिंग संवेदनशीलता और यौन उत्पीड़न से संबंधित विषयों पर प्रशिक्षित करना आवश्यक होगा। - गोपनीयता और समयबद्धता :
जांच प्रक्रिया गोपनीय और समयबद्ध होनी चाहिए ताकि पीड़िता को मानसिक कष्ट से न गुजरना पड़े। - कार्यस्थल पर सूचना :
हर कार्यस्थल पर यह स्पष्ट सूचना लगाई जानी चाहिए कि यौन उत्पीड़न एक दंडनीय अपराध है।
महत्व और प्रभाव :
- कानूनी शून्यता की पूर्ति :
विशाखा निर्णय ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए तब तक का मार्गदर्शन प्रदान किया जब तक संसद ने इस विषय पर कानून नहीं बना लिया। - समानता और गरिमा की रक्षा :
यह निर्णय महिलाओं की गरिमा और समानता के अधिकारों को केंद्र में रखता है और उन्हें एक सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान करने की मांग करता है। - सकारात्मक अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण :
कोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय संधियों विशेषकर CEDAW (Convention on Elimination of All Forms of Discrimination Against Women) का हवाला देते हुए यह निर्णय दिया। - सामाजिक चेतना में वृद्धि :
इस निर्णय ने समाज में यौन उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता बढ़ाई और कार्यस्थलों में संरचनात्मक बदलाव लाने का मार्ग प्रशस्त किया।
कानूनी विकास : यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013
विशाखा दिशानिर्देशों के आधार पर भारत सरकार ने वर्ष 2013 में “कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013” पारित किया। यह अधिनियम विशाखा दिशानिर्देशों को कानूनी स्वरूप प्रदान करता है और सभी निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में लागू होता है।
निष्कर्ष :
“विशाखा बनाम राजस्थान राज्य (1997)” का निर्णय भारतीय न्यायिक इतिहास में एक मील का पत्थर है। इसने न केवल महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान की, बल्कि समानता, गरिमा और मानवाधिकारों की दिशा में एक सशक्त और निर्णायक कदम उठाया। यह निर्णय बताता है कि जब विधायिका चुप रहती है, तब न्यायपालिका सामाजिक न्याय के संरक्षक की भूमिका निभा सकती है। विशाखा केस के माध्यम से यह स्पष्ट हो गया कि एक प्रगतिशील और संवेदनशील न्यायपालिका समाज को न्याय और सुरक्षा दिलाने में कितनी प्रभावशाली भूमिका निभा सकती है।