सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: पारसनाथ फिल्म सिटी लिमिटेड को मिली राहत, चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा ज़ब्त ₹47.75 करोड़ की बोली राशि लौटाने का आदेश बरकरार
परिचय:
Parsvnath Film City Ltd बनाम Chandigarh Administration & Others मामले में सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए पारसनाथ फिल्म सिटी लिमिटेड के पक्ष में मध्यस्थ पंचाट (Arbitral Award) को अधिकांशतः बरकरार रखा। यह मामला एक मल्टीमीडिया-कम-फिल्म सिटी की स्थापना से संबंधित था, जिसमें प्रशासन द्वारा ₹47.75 करोड़ की बोली राशि जब्त कर ली गई थी। न्यायालय ने यह कहा कि यह जब्ती अनुचित थी और कंपनी को राशि लौटाई जानी चाहिए।
मामले की पृष्ठभूमि:
- चंडीगढ़ प्रशासन ने केंद्र शासित प्रदेश में एक मल्टीमीडिया-कम-फिल्म सिटी विकसित करने के लिए टेंडर जारी किया था।
- M/s Parsvnath Film City Ltd. ने ₹47.75 करोड़ की बोली राशि के साथ परियोजना को हासिल किया था।
- किन्हीं प्रशासनिक देरी, अनापत्ति प्रमाण पत्रों (NOCs) और अन्य बाधाओं के चलते परियोजना का कार्यान्वयन नहीं हो सका।
- इसके बावजूद प्रशासन ने कंपनी द्वारा जमा की गई बोली राशि जब्त कर ली और परियोजना को निरस्त कर दिया।
- इस कार्यवाही को चुनौती देते हुए कंपनी ने मध्यस्थता (Arbitration) का सहारा लिया।
मध्यस्थ पंचाट का निर्णय:
- पंचाट ने यह पाया कि प्रशासन द्वारा प्रारंभिक आवश्यकताएं और स्वीकृतियां उपलब्ध नहीं कराई गईं, जिससे कंपनी परियोजना आगे नहीं बढ़ा सकी।
- इसलिए बोली की राशि जब्त किया जाना अनुचित और अन्यायपूर्ण था।
- पंचाट ने ₹47.75 करोड़ की राशि कंपनी को लौटाने और अन्य प्रतिकर (compensation) देने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
- सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पंचाट के निष्कर्षों को अधिकांशतः सही ठहराया।
- न्यायालय ने माना कि प्रशासनिक विफलताओं के चलते कंपनी के साथ किया गया व्यवहार अनुचित था।
- सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को दोहराया कि राज्य अथवा सार्वजनिक निकायों को अनुबंध में पारदर्शिता, सद्भावना और उचित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।
- हालांकि न्यायालय ने पंचाट द्वारा तय कुछ अतिरिक्त प्रतिकर को घटाया या संशोधित किया, परंतु ₹47.75 करोड़ की बोली राशि की वापसी को बरकरार रखा।
इस निर्णय का महत्व:
- यह फैसला राज्य प्राधिकरणों की अनुबंधात्मक जवाबदेही को रेखांकित करता है।
- यह स्पष्ट करता है कि किसी निजी पक्ष को सरकारी विफलता के लिए दंडित नहीं किया जा सकता।
- मध्यस्थता निर्णयों की न्यायिक पुष्टि और सम्मान के पक्ष में एक सकारात्मक संकेत है।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) परियोजनाओं में सरकार को पूर्व-प्रतिबद्धताओं का निर्वहन करने का दायित्व होता है।
निष्कर्ष:
Parsvnath Film City Ltd. बनाम Chandigarh Administration केस में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न्यायिक अनुशासन और सरकारी अनुबंधों में संतुलन का प्रतीक है। यह निर्णय बताता है कि यदि सरकार द्वारा परियोजना में अपेक्षित सहयोग और स्वीकृतियां नहीं मिलतीं, तो निजी पक्ष को दंडित करना अनुचित है। साथ ही, यह फैसला मध्यस्थता प्रक्रिया की वैधता को मजबूत करता है और व्यवसायिक अनुबंधों में न्याय और पारदर्शिता को सुनिश्चित करता है।