सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: गलत रूप से लागू बैंक गारंटी की वापसी पर कस्टम एक्ट की धारा 27 लागू नहीं – M/S Patanjali Foods Ltd बनाम भारत संघ

🔍 सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: गलत रूप से लागू बैंक गारंटी की वापसी पर कस्टम एक्ट की धारा 27 लागू नहीं – M/S Patanjali Foods Ltd बनाम भारत संघ

📌 मामला:
M/S Patanjali Foods Limited (पूर्व में M/S Ruchi Soya Industries Ltd.) बनाम Union of India & Others
न्यायालय: सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया
विषय: कस्टम ड्यूटी की वापसी और बैंक गारंटी के दुरुपयोग का मामला
प्रमुख प्रावधान: कस्टम अधिनियम, 1962 की धारा 27


🔎 पृष्ठभूमि:

M/S Patanjali Foods Ltd. ने एक ऐसी स्थिति में बैंक गारंटी दी थी, जो बाद में यह साबित हुआ कि वह गलत तरीके से लागू की गई थी। इसके आधार पर कंपनी ने वापसी (refund) की मांग की।

कस्टम विभाग ने यह कहते हुए रिफंड से इनकार कर दिया कि धारा 27 के अनुसार, रिफंड पाने के लिए यह साबित करना अनिवार्य है कि उस शुल्क (duty) का भार ग्राहक पर स्थानांतरित नहीं किया गया है (i.e., the incidence was not passed on to the customer)।


⚖️ सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि:

“जब रिफंड की मांग किसी गलत रूप से लागू बैंक गारंटी की वापसी के लिए की जाती है, न कि कस्टम ड्यूटी के भुगतान के रूप में, तो धारा 27 का ‘unjust enrichment’ प्रावधान लागू नहीं होता।”

📌 मुख्य अवलोकन:

  • बैंक गारंटी कोई कस्टम ड्यूटी नहीं है, बल्कि एक सुरक्षा उपाय है।
  • जब यह स्पष्ट हो जाए कि बैंक गारंटी अनुचित रूप से या गलत कानून के तहत लागू की गई थी, तो उसकी राशि की वापसी का अधिकार बनता है, चाहे ग्राहक पर भार पड़ा हो या नहीं।
  • धारा 27 का उद्देश्य गलत तरीके से वसूली गई कस्टम ड्यूटी की वापसी को नियंत्रित करना है, बैंक गारंटी के लिए नहीं

📘 कानूनी महत्व:

यह निर्णय उन व्यापारिक संस्थानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जो कस्टम विभाग से गैर-दायित्वपूर्ण बैंक गारंटी की वापसी चाहते हैं। अब वे यह साबित किए बिना कि शुल्क का भार ग्राहक पर पड़ा या नहीं, रिफंड का दावा कर सकते हैं यदि बैंक गारंटी गलत रूप से लागू की गई हो।


📝 निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय करदाताओं के अधिकारों को सुदृढ़ करता है और प्रशासनिक अधिकारियों की अत्यधिक विवेकाधिकारिता पर संविधानिक नियंत्रण सुनिश्चित करता है। इससे व्यापारिक संस्थानों को राहत मिलेगी जो सरकारी गलती के कारण वित्तीय रूप से प्रभावित होते हैं।