🔖 सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: “चार्जशीट में उल्लिखित लेकिन प्रस्तुत न किए गए साक्ष्यों को अभियोजन बाद में रिकॉर्ड पर ला सकता है, यदि वे जांच के दौरान संकलित किए गए हों”
🧾 केस संदर्भ:
Supreme Court of India
विवादित साक्ष्य: CD (डिजिटल वीडियो रिकॉर्डिंग)
निर्णय: AIR Online 2025 SC 414
प्रासंगिक प्रावधान:
- भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1973
- साक्ष्य अधिनियम, 1872
- इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के सिद्धांत
🧩 निर्णय का सारांश:
सुप्रीम कोर्ट ने इस महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि यदि अभियोजन पक्ष द्वारा ऐसे साक्ष्य जैसे कि CDs जांच के दौरान एकत्र किए गए थे और उनका उल्लेख चार्जशीट में किया गया था, लेकिन उन्हें प्रारंभ में प्रस्तुत नहीं किया गया, तो उन्हें बाद में, यहां तक कि आरोप तय होने के बाद भी, रिकॉर्ड पर लाने की अनुमति दी जा सकती है।
⚖️ न्यायालय की प्रमुख टिप्पणियाँ:
- चार्जशीट में उल्लेख है तो साक्ष्य नए नहीं माने जाएंगे:
यदि कोई साक्ष्य जांच के दौरान एकत्रित किया गया हो और चार्जशीट में उसका संदर्भ भी हो, तो उसे नया साक्ष्य (fresh evidence) नहीं माना जाएगा। उसका उद्देश्य पहले से मौजूद तथ्यों को समर्थन देना होगा। - न्यायहित को प्राथमिकता:
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि न्याय प्राप्त करने की प्रक्रिया में तकनीकी त्रुटियों को रोड़ा नहीं बनाना चाहिए। यदि अभियोजन द्वारा कुछ साक्ष्य उचित समय पर पेश नहीं किए गए, लेकिन वे न्याय को प्रभावित कर सकते हैं, तो उन्हें बाद में लाना न्याय के हित में है। - आरोपी का अधिकार सुरक्षित रहेगा:
ऐसे मामलों में अदालत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आरोपी को उन साक्ष्यों का अवलोकन (inspection) और जवाब देने का पूरा अवसर मिले। न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता बनी रहनी चाहिए। - इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का महत्व:
कोर्ट ने यह भी कहा कि डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य, जैसे CDs, CCTVs आदि, आज के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं और उनकी भूमिका को तकनीकी आधार पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
📌 न्यायालय की टिप्पणी:
“If material evidence such as CDs was collected during the course of investigation and referred in the charge-sheet, then permitting the prosecution to produce it later does not amount to introducing new evidence. The interests of justice must prevail over procedural technicalities.”
📚 निष्कर्ष:
✅ सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय अभियोजन पक्ष को यह स्पष्ट संदेश देता है कि यदि जांच के दौरान वैध रूप से संकलित साक्ष्य अनजाने में चार्जशीट के साथ दाखिल नहीं हो पाए हों, तो उन्हें बाद में भी रिकॉर्ड पर लाया जा सकता है।
✅ यह फैसला न्याय की निष्पक्षता, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की महत्ता और प्रक्रिया की लचीलापन को सुदृढ़ करता है।
✅ आरोपी के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ यह निर्णय अपराधों के सटीक निर्धारण में सहायक है।