सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: TOLA 2021 के तहत पुनः मूल्यांकन नोटिस की समय सीमा विस्तारित मानी जाएगी – Union of India बनाम Rajeev Bansal मामला
परिचय:
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने Union of India बनाम Rajeev Bansal केस में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया, जिसमें उसने विभिन्न उच्च न्यायालयों के उन निर्णयों को निरस्त कर दिया जिनमें यह कहा गया था कि Taxation and Other Laws (Relaxation and Amendment of Certain Provisions) Act, 2021 (TOLA) के अंतर्गत पुनः मूल्यांकन (Re-assessment) नोटिस जारी करने की समय सीमा विस्तारित नहीं की जा सकती।
प्रकरण का पृष्ठभूमि:
कोविड-19 महामारी के कारण कर कानूनों की समय-सीमा में छूट देने के लिए केंद्र सरकार ने TOLA 2020 और बाद में TOLA 2021 अधिनियमित किया। इसका उद्देश्य आयकर अधिनियम, 1961 के अंतर्गत विभिन्न कार्यवाहियों की समय-सीमा को बढ़ाना था, जिसमें पुनः मूल्यांकन नोटिस जारी करने की समय सीमा भी शामिल थी।
हालांकि, विभिन्न उच्च न्यायालयों ने अपने निर्णयों में यह माना कि Finance Act, 2021 द्वारा लागू किए गए नए प्रावधानों के बाद TOLA के अंतर्गत समय सीमा में विस्तार नहीं किया जा सकता, जिससे केंद्र सरकार की कर वसूली पर प्रभाव पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि:
- TOLA 2020 और 2021 के अंतर्गत समय सीमा का विस्तार वैध है।
- महामारी की असाधारण स्थिति को ध्यान में रखते हुए समय सीमा बढ़ाना आवश्यक था।
- उच्च न्यायालयों द्वारा TOLA की अवहेलना करके दिए गए निर्णय गलत थे और उन्हें निरस्त किया जाता है।
न्यायालय की टिप्पणी:
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कर अधिकारियों द्वारा TOLA के तहत जारी किए गए पुनः मूल्यांकन नोटिस वैध माने जाएंगे, भले ही वे नए संशोधित प्रावधानों के लागू होने से पहले के हों।
महत्वपूर्ण प्रभाव:
- कर विभाग अब पूर्व वर्षों के मामलों में पुनः मूल्यांकन नोटिस जारी कर सकता है।
- यह निर्णय सरकार को राजस्व वसूली में सहायता करेगा।
- यह कर कानूनों की व्याख्या में स्पष्टता प्रदान करता है कि असाधारण परिस्थितियों में समय सीमा का विस्तार वैध है।
निष्कर्ष:
Union of India बनाम Rajeev Bansal मामले में सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल कर प्रशासन को मजबूती प्रदान करता है, बल्कि यह न्यायिक व्याख्या में एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करेगा कि महामारी जैसी परिस्थितियों में कानूनों की व्याख्या लचीले तरीके से की जा सकती है।