शीर्षक: सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: फोटो हलफनामे के लिए व्यक्तिगत उपस्थिति की बाध्यता गैर-जरूरी
भूमिका:
हाल ही में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा फोटो हलफनामे (photograph affidavit) के लिए याचिकाकर्ता की व्यक्तिगत उपस्थिति को अनिवार्य बनाने की व्यवस्था को अनुचित और अनावश्यक करार दिया। यह निर्णय न केवल न्यायिक प्रक्रिया में दक्षता बढ़ाता है, बल्कि तकनीकी साधनों के युग में नागरिकों की सुविधा और न्यायिक संसाधनों की बचत की ओर भी संकेत करता है।
मामले की पृष्ठभूमि:
उत्तर प्रदेश में कई मामलों में, विशेष रूप से जमानत, याचिका, एवं जनहित याचिकाओं में अदालतें याचिकाकर्ता से फोटोयुक्त हलफनामा प्रस्तुत करने के साथ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश देती थीं। इसका उद्देश्य याचिकाकर्ता की पहचान सुनिश्चित करना बताया जाता था। लेकिन यह प्रक्रिया कई बार अनावश्यक विलंब और कठिनाई पैदा करती थी, खासकर उन याचिकाकर्ताओं के लिए जो दूर-दराज से आते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि –
“फोटो हलफनामे की सत्यता को जांचने के लिए याचिकाकर्ता की व्यक्तिगत उपस्थिति अनिवार्य नहीं हो सकती जब तक कि कोई विशेष कारण न हो।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि फोटो युक्त पहचान और अधिवक्ता के सत्यापन के साथ दायर हलफनामे को पर्याप्त माना जाना चाहिए।
फैसले के मुख्य बिंदु:
- न्यायिक कार्यवाहियों में तकनीकी सहजता: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिजिटल युग में पहचान सत्यापन के अन्य भरोसेमंद माध्यम मौजूद हैं।
- याचिकाकर्ता को अनावश्यक बोझ से राहत: कई मामलों में याचिकाकर्ता की लंबी दूरी से यात्रा करना समय और संसाधनों की बर्बादी थी।
- न्यायिक समय की बचत: अदालतों को भी अनावश्यक रूप से मामलों को स्थगित नहीं करना पड़ेगा।
महत्वपूर्ण प्रभाव:
- भविष्य में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधीन मामलों में व्यक्तिगत उपस्थिति की शर्त को केवल अत्यावश्यक परिस्थितियों में ही लागू किया जा सकेगा।
- इस फैसले से दूसरे उच्च न्यायालयों और अधीनस्थ अदालतों को भी निर्देश प्राप्त होते हैं कि वे तकनीकी बदलावों के साथ न्यायिक प्रक्रिया को अधिक सुलभ और मानवीय बनाएं।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय एक प्रगतिशील और तकनीकी-अनुकूल दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह न केवल वादियों की सुविधा को बढ़ाता है बल्कि न्यायिक प्रणाली को समय के अनुरूप ढालने की दिशा में भी एक सराहनीय कदम है। अब फोटो हलफनामों की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी, आसान और न्यायिक संसाधनों की दृष्टि से व्यवहारिक हो सकेगी।