सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: वेतन पर TDS कटौती की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज – Ashwini Upadhyay बनाम भारत संघ मामला

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: वेतन पर TDS कटौती की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज – Ashwini Upadhyay बनाम भारत संघ मामला


परिचय:
सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने Ashwini Upadhyay बनाम Union of India मामले में एक जनहित याचिका (Public Interest Litigation – PIL) पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें Income Tax Act की उन धाराओं को चुनौती दी गई थी जो निजी नियोक्ताओं (Private Employers) को अपने कर्मचारियों के वेतन पर Tax Deducted at Source (TDS) काटने का दायित्व सौंपती हैं।

इस याचिका के माध्यम से यह दावा किया गया था कि कर कटौती की यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के अंतर्गत प्राप्त अधिकारों का उल्लंघन करती है और एक असंवैधानिक बोझ है।


याचिका का मूल आधार:
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता Ashwini Upadhyay द्वारा दायर याचिका में यह तर्क दिया गया कि:

  1. आयकर अधिनियम की धारा 192 के तहत TDS की कटौती निजी नियोक्ताओं पर एक “अनुचित कर दायित्व” थोपती है।
  2. यह राज्य का कार्य है, न कि निजी संस्थाओं का, कि वह कर संग्रह सुनिश्चित करे।
  3. TDS प्रक्रिया जटिल है और इससे नियोक्ताओं के लिए अनुपालन (compliance) का बोझ बढ़ता है।
  4. यह करदाताओं के मौलिक अधिकारों, विशेषकर निजता और समानता के अधिकार का उल्लंघन करती है।

सुप्रीम कोर्ट का विचार और निर्णय:
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका को सुनवाई योग्य नहीं पाया और उसे खारिज कर दिया। न्यायालय ने निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया:

  1. TDS प्रणाली कर प्रशासन का मूलभूत हिस्सा है, जिससे सरकार को समय पर राजस्व प्राप्त होता है और कर चोरी रोकी जाती है।
  2. निजी नियोक्ताओं पर TDS का दायित्व कोई नया प्रावधान नहीं है; यह दशकों से लागू है और कर कानूनों का स्थापित अंग है।
  3. याचिका में कोई ठोस संवैधानिक आधार नहीं था जिससे यह सिद्ध हो सके कि TDS प्रणाली मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।
  4. यह एक नीतिगत मामला है, जिसका निर्णय संसद और कार्यपालिका द्वारा किया जाना चाहिए, न कि न्यायपालिका द्वारा।

प्रभाव और महत्व:

  • यह निर्णय कर प्रणाली की स्थिरता और विश्वसनीयता को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है।
  • कोर्ट ने दोहराया कि जनहित याचिकाओं का दुरुपयोग नीतिगत मुद्दों को चुनौती देने के लिए नहीं होना चाहिए
  • यह फैसला नियोक्ता-नियुक्त TDS कटौती प्रणाली की वैधता को पुनः पुष्टि करता है।

निष्कर्ष:
Ashwini Upadhyay बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय स्पष्ट करता है कि वेतन पर TDS की कानूनी व्यवस्था न केवल वैध है, बल्कि कर प्रशासन की कुशलता के लिए आवश्यक भी है। इस फैसले से यह संदेश भी जाता है कि जनहित याचिकाओं का उपयोग केवल वास्तविक और ठोस संवैधानिक मुद्दों के लिए किया जाना चाहिए, न कि नीतिगत असहमति को चुनौती देने के लिए।