सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: बीमा मुआवजा निर्धारण में मृतका के पति की निर्भरता को नकारा नहीं जा सकता

शीर्षक: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: बीमा मुआवजा निर्धारण में मृतका के पति की निर्भरता को नकारा नहीं जा सकता

लेख:

हाल ही में Sri Malakappa & Ors बनाम The Iffco Tokio General Insurance Company Limited & Anr केस में, सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया जिसमें बीमा मुआवजा निर्धारण में मृतका के पति की निर्भरता (dependency) पर विचार किया गया। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सिर्फ इस आधार पर कि मृतका का पति एक सक्षम व्यक्ति है, उसे मृतका की आय पर निर्भर मानने से इंकार नहीं किया जा सकता।

मामले के तथ्य इस प्रकार थे: मृतका की मृत्यु एक दुर्घटना में हो गई थी, और उसके पति ने बीमा कंपनी से मुआवजे की मांग की थी। निचली अदालत ने यह तर्क दिया कि मृतका का पति एक स्वस्थ, कामकाजी उम्र का व्यक्ति है, अतः उसे मृतका की आय पर आश्रित नहीं माना जा सकता। इसी तर्क के आधार पर उसके हिस्से का मुआवजा घटा दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय को पलटते हुए कहा कि—
👉 मृतका का पति, केवल इस आधार पर कि वह सक्षम और स्वस्थ है, निर्भरता की गणना से बाहर नहीं किया जा सकता।
👉 जब तक यह साबित न हो जाए कि पति स्वावलंबी था और उसे मृतका की आमदनी की कोई जरूरत नहीं थी, तब तक उसे आंशिक रूप से मृतका की आय पर निर्भर माना जाएगा।
👉 इस प्रकार के मामलों में वास्तविक निर्भरता का निर्धारण तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर किया जाना चाहिए, न कि केवल शारीरिक क्षमता के आधार पर।

इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी दोहराया कि मुआवजा निर्धारण के दौरान परिवार के सदस्यों की सामाजिक और आर्थिक वास्तविकता को अनदेखा नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि परिवार की आर्थिक स्थिति और सदस्यों की वास्तविक निर्भरता का गहन मूल्यांकन आवश्यक है।

मुख्य बिंदु:
✅ सक्षम पति की निर्भरता को नकारने का तर्क असंगत है।
✅ केवल स्वस्थ और सक्षम होना, निर्भरता को खत्म करने का आधार नहीं है।
✅ मुआवजा निर्धारण में पति को भी आंशिक रूप से मृतका पर निर्भर मानकर उसका हिस्सा जोड़ा जाए।

निष्कर्ष:
इस ऐतिहासिक फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि मुआवजा निर्धारण के दौरान केवल शारीरिक क्षमता के आधार पर किसी आश्रित को मुआवजे के दायरे से बाहर नहीं किया जा सकता। यह निर्णय बीमा कानून और मुआवजा निर्धारण में पारिवारिक सामाजिक वास्तविकताओं को ध्यान में रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है।