सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: ड्राइवर की लापरवाही या स्टंट से हुई मौत पर बीमा कंपनी मुआवजा देने की बाध्य नहीं – परिवार को देनी होगी दोषमुक्ति की पुष्टि

🔍 सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: ड्राइवर की लापरवाही या स्टंट से हुई मौत पर बीमा कंपनी मुआवजा देने की बाध्य नहीं – परिवार को देनी होगी दोषमुक्ति की पुष्टि

📌 मामला:
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि यदि किसी वाहन चालक की मृत्यु उसकी स्वयं की लापरवाही, लापरवाहीपूर्ण ड्राइविंग, या स्टंट (stunt) करते समय होती है, तो ऐसी स्थिति में बीमा कंपनी मुआवजा देने की कानूनी रूप से बाध्य नहीं होती


⚖️ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:

“बीमा कंपनी तभी मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार होगी जब यह साबित हो जाए कि दुर्घटना बीमित व्यक्ति की गलती से नहीं हुई थी और वह बीमा पॉलिसी की शर्तों के अनुसार ड्राइव कर रहा था।”


🧾 प्रसंग और पृष्ठभूमि:

  • दुर्घटना के बाद मृतक के परिवार ने बीमा कंपनी से क्लेम की मांग की थी।
  • जांच में पाया गया कि मृतक तेज गति, लापरवाह ड्राइविंग, या खतरनाक स्टंट कर रहा था, जिससे उसकी मौत हुई।
  • बीमा कंपनी ने यह कहकर दावा खारिज कर दिया कि यह घटना बीमा पॉलिसी की शर्तों के उल्लंघन का मामला है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने बीमा कंपनी के पक्ष में निर्णय दिया।

📌 बीमा कानून की दृष्टि से मुख्य बिंदु:

  1. बीमा पॉलिसी की शर्तें तय करती हैं कि किन परिस्थितियों में मुआवजा देय है।
  2. यदि बीमाधारक ने वाहन चलाते समय खुद नियमों का उल्लंघन किया — जैसे:
    • तेज गति (overspeeding)
    • नशे में गाड़ी चलाना
    • बिना हेलमेट / सीट बेल्ट
    • स्टंट प्रदर्शन
      तो यह पॉलिसी के उल्लंघन की श्रेणी में आएगा।
  3. बीमा कंपनी तभी जिम्मेदार होगी जब साबित किया जाए कि:
    • दुर्घटना अप्रत्याशित थी
    • मृतक ने कोई नियम नहीं तोड़ा
    • और वह पॉलिसी की शर्तों का पालन कर रहा था

🧠 न्यायिक विवेचना:

  • सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बीमा कंपनियों पर अंधाधुंध मुआवजा देने का दबाव नहीं डाला जा सकता, खासकर तब जब ड्राइवर ने खुद लापरवाही से दुर्घटना को आमंत्रित किया हो।
  • बीमा जोखिम का आकलन करते हैं, लेकिन जानबूझकर या लापरवाही से उत्पन्न जोखिम को कवर नहीं करते।
  • ऐसे मामलों में दावेदार (परिवार) पर यह दायित्व होगा कि वह साबित करें कि मृतक दोषी नहीं था

📘 कानूनी प्रभाव:

यह निर्णय उन सभी बीमा दावों को प्रभावित करेगा जहाँ:

  • मृत्यु या क्षति की वजह ड्राइवर की गलती या गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार रहा है।
  • इससे बीमा कंपनियों को ऐसे मामलों में अनावश्यक वित्तीय दायित्व से राहत मिलेगी।
  • आम नागरिकों के लिए यह चेतावनी है कि वाहन चलाते समय सावधानीपूर्वक और नियमों के अनुसार ड्राइविंग जरूरी है, अन्यथा बीमा कवरेज निरस्त हो सकता है

📝 निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बीमा कानून के क्षेत्र में एक व्यावहारिक और संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जहाँ बीमाधारक की जिम्मेदारी को भी स्पष्ट रूप से चिन्हित किया गया है। यह संदेश देता है कि बीमा सुरक्षा एक अधिकार है, लेकिन उसके साथ अनुशासन और जिम्मेदारी भी जुड़ी होती है। यदि किसी ने स्वयं लापरवाही की हो, तो वह मुआवजे की उम्मीद नहीं कर सकता