सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र
(Jurisdiction of the Supreme Court and High Court)
भूमिका
भारत का न्यायिक ढांचा एक एकीकृत प्रणाली पर आधारित है, जिसमें सर्वोच्च स्तर पर सुप्रीम कोर्ट और राज्यों में हाई कोर्ट कार्य करते हैं। दोनों ही न्यायालय संविधान द्वारा स्थापित हैं और इनके अधिकार क्षेत्र (Jurisdiction) संविधान में स्पष्ट रूप से परिभाषित हैं। सुप्रीम कोर्ट देश का सर्वोच्च न्यायालय है, जबकि हाई कोर्ट राज्य स्तर पर सर्वोच्च न्यायिक संस्था है। दोनों के अधिकार क्षेत्र का उद्देश्य न्याय की समानता, विधि का शासन (Rule of Law) और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करना है।
1. सुप्रीम कोर्ट का अधिकार क्षेत्र
संविधान के अनुच्छेद 124 से 147 में सुप्रीम कोर्ट से संबंधित प्रावधान हैं।
सुप्रीम कोर्ट का अधिकार क्षेत्र निम्न प्रकार है—
(A) मौलिक अधिकारों की रक्षा का अधिकार क्षेत्र
- अनुच्छेद 32 के तहत नागरिक सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं, यदि उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ हो।
- सुप्रीम कोर्ट रिट जारी कर सकता है—
- हेबियस कॉर्पस (Habeas Corpus)
- मैंडमस (Mandamus)
- प्रोहिबिशन (Prohibition)
- क्वो वारंटो (Quo Warranto)
- सर्टियोरारी (Certiorari)
(B) मूल अधिकार क्षेत्र (Original Jurisdiction)
- अनुच्छेद 131 के तहत, सुप्रीम कोर्ट को संघ और राज्यों या दो या अधिक राज्यों के बीच विवादों का निपटारा करने का अधिकार है।
- यह अधिकार क्षेत्र विशेष और अनन्य (Exclusive) है, अर्थात ऐसे मामले सीधे सुप्रीम कोर्ट में लाए जाते हैं।
(C) अपीलीय अधिकार क्षेत्र (Appellate Jurisdiction)
सुप्रीम कोर्ट के पास भारत के किसी भी न्यायालय या ट्रिब्यूनल से अपील सुनने का अधिकार है।
- संवैधानिक अपीलें – अनुच्छेद 132 के तहत।
- सिविल अपीलें – अनुच्छेद 133 के तहत।
- फौजदारी अपीलें – अनुच्छेद 134 के तहत।
- विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition – SLP) – अनुच्छेद 136 के तहत, जिससे सुप्रीम कोर्ट किसी भी न्यायालय के निर्णय की समीक्षा कर सकता है।
(D) परामर्श अधिकार क्षेत्र (Advisory Jurisdiction)
- अनुच्छेद 143 के तहत, राष्ट्रपति भारत के किसी भी कानूनी या संवैधानिक प्रश्न पर सुप्रीम कोर्ट से परामर्श ले सकते हैं।
- सुप्रीम कोर्ट की राय बाध्यकारी नहीं होती, लेकिन इसे अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
(E) अन्य अधिकार क्षेत्र
- विशेष शक्तियाँ – अनुच्छेद 129 के तहत, यह कोर्ट Contempt of Court के मामलों में दंड दे सकता है।
- संविधान की व्याख्या – संविधान के किसी भी प्रावधान की अंतिम व्याख्या सुप्रीम कोर्ट करता है।
- निर्वाचन विवाद – राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव संबंधी विवाद का निर्णय।
2. हाई कोर्ट का अधिकार क्षेत्र
संविधान के अनुच्छेद 214 से 231 में हाई कोर्ट से संबंधित प्रावधान हैं।
(A) मूल अधिकार क्षेत्र (Original Jurisdiction)
- कुछ हाई कोर्ट (जैसे बॉम्बे, कलकत्ता, मद्रास और दिल्ली) में उच्च मूल्य के दीवानी मामलों की सुनवाई का अधिकार है।
- कुछ मामलों में, यह सीधे मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर रिट जारी कर सकता है (अनुच्छेद 226)।
(B) रिट अधिकार क्षेत्र
- अनुच्छेद 226 के तहत, हाई कोर्ट नागरिकों के मौलिक अधिकारों और अन्य विधिक अधिकारों की रक्षा हेतु रिट जारी कर सकता है।
- यह अधिकार सुप्रीम कोर्ट से व्यापक है, क्योंकि यह मौलिक अधिकारों के अलावा अन्य कानूनी अधिकारों के लिए भी रिट जारी कर सकता है।
(C) अपीलीय अधिकार क्षेत्र (Appellate Jurisdiction)
- हाई कोर्ट निचली अदालतों के सिविल और क्रिमिनल मामलों की अपील सुनता है।
- सत्र न्यायालय, जिला न्यायालय या ट्रिब्यूनल के निर्णय हाई कोर्ट में चुनौती दिए जा सकते हैं।
(D) पर्यवेक्षणीय अधिकार क्षेत्र (Supervisory Jurisdiction)
- अनुच्छेद 227 के तहत, हाई कोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी अधीनस्थ अदालतों पर निगरानी रखता है।
- यह निचली अदालतों को निर्देश, आदेश और मार्गदर्शन दे सकता है।
(E) सलाहकारी अधिकार क्षेत्र
- कुछ मामलों में, सरकार या निचली अदालत हाई कोर्ट से कानूनी राय मांग सकती है।
(F) अन्य विशेष अधिकार
- न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) – कानूनों और सरकारी कार्यों की वैधता की जांच।
- चुनाव याचिका सुनना – राज्य विधानसभा और विधान परिषद के चुनाव विवादों का निपटारा।
- Contempt of Court – अवमानना के मामलों में दंड।
3. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में समानताएँ और अंतर
पहलू | सुप्रीम कोर्ट | हाई कोर्ट |
---|---|---|
स्तर | राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोच्च न्यायालय | राज्य स्तर पर सर्वोच्च न्यायालय |
स्थापना | अनुच्छेद 124-147 | अनुच्छेद 214-231 |
रिट अधिकार | अनुच्छेद 32 के तहत, केवल मौलिक अधिकारों के लिए | अनुच्छेद 226 के तहत, मौलिक और अन्य कानूनी अधिकारों के लिए |
अपील सुनना | सभी न्यायालयों से | निचली अदालतों से |
मूल अधिकार क्षेत्र | संघ और राज्यों के बीच विवाद | सीमित, कुछ मामलों में |
परामर्श अधिकार | राष्ट्रपति से | सीमित |
4. महत्व
- सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट दोनों ही भारतीय लोकतंत्र के स्तंभ हैं।
- ये न केवल न्याय प्रदान करते हैं, बल्कि संविधान की सर्वोच्चता बनाए रखते हैं।
- मौलिक अधिकारों की रक्षा, विधिक विवादों का निपटारा, और शासन को संविधान के दायरे में रखने में इनकी भूमिका अपरिहार्य है।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट का अधिकार क्षेत्र व्यापक और बहुआयामी है। दोनों ही संस्थाएं न्यायिक स्वतंत्रता, विधि का शासन, और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य करती हैं। इनका समन्वय और संतुलन ही भारतीय न्याय व्यवस्था की मजबूती का आधार है। संविधान ने इन्हें शक्तिशाली बनाया है, ताकि कोई भी व्यक्ति, संस्था या सरकार कानून से ऊपर न हो सके।