शीर्षक: सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 : श्रमिकों के सर्वांगीण कल्याण की दिशा में एक समग्र और ऐतिहासिक प्रयास
परिचय
भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में श्रमिकों की एक बड़ी संख्या असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत है, जिन तक पारंपरिक सामाजिक सुरक्षा योजनाएं प्रभावी ढंग से नहीं पहुँच पाती थीं। श्रमिकों के लिए पेंशन, बीमा, मातृत्व लाभ, स्वास्थ्य सेवाएं, भविष्य निधि आदि जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को सरल, व्यापक और एकीकृत स्वरूप में लागू करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 (Code on Social Security, 2020) को लागू किया।
यह संहिता 9 पुराने श्रम कानूनों को समाहित करके लाई गई है और इसका उद्देश्य सभी श्रमिकों — संगठित, असंगठित, स्वरोजगार और प्रवासी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा की मूलधारा में लाना है।
सामाजिक सुरक्षा का तात्पर्य
सामाजिक सुरक्षा एक ऐसा ढांचा है जो श्रमिकों को उनके जीवन के कठिन समय — जैसे बीमारी, दुर्घटना, गर्भावस्था, वृद्धावस्था, बेरोजगारी या मृत्यु — के दौरान आर्थिक सहायता, स्वास्थ्य सेवाएं और बीमा कवरेज प्रदान करता है। इसका उद्देश्य मानव गरिमा की रक्षा और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना है।
विलीन किए गए पुराने कानून
इस संहिता के अंतर्गत जिन 9 अधिनियमों को समाहित किया गया है, वे हैं:
- कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम, 1952
- कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948
- मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961
- भवन एवं अन्य निर्माण कर्मकार कल्याण अधिनियम, 1996
- असंगठित क्षेत्र सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008
- ग्रेच्युटी अधिनियम, 1972
- रोजगार विनिमय अधिनियम, 1959
- खान मजदूरी अधिनियम, 1948
- सेल्स प्रमोशन कर्मचारियों का (सेवा शर्त) अधिनियम, 1976
संहिता की मुख्य विशेषताएं
1. सार्वभौमिक कवरेज
- अब असंगठित, गिग (gig), प्लेटफॉर्म, और प्रवासी श्रमिकों को भी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में शामिल किया गया है।
- यह पहले के कानूनों की तुलना में विस्तृत दायरा प्रदान करता है।
2. ई-श्रम पोर्टल
- असंगठित श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने के लिए ई-श्रम पोर्टल की शुरुआत की गई।
- श्रमिक आधार संख्या द्वारा पोर्टल पर पंजीकरण कर सकते हैं और योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
3. एकीकृत प्राधिकरण
- कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) को केंद्रीय भूमिकाएं सौंपी गई हैं।
- श्रमिकों की निगरानी और सेवाओं का प्रबंधन अब एक ही मंच से किया जाएगा।
4. न्यूनतम पात्रता एवं लाभ
- संहिता के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं के लिए सरल पात्रता शर्तें निर्धारित की गई हैं।
- बीमा, पेंशन, मातृत्व लाभ, अपंगता सहायता, श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
5. स्व-वित्तपोषण और सहयोगात्मक ढांचा
- योजनाओं के वित्तपोषण में सरकार, नियोक्ता और श्रमिकों तीनों की संयुक्त भागीदारी है।
- गिग व प्लेटफॉर्म कर्मचारियों के लिए डिजिटल लेनदेन से लेवी वसूली का प्रावधान है।
महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ
- ईएसआई योजना (ESI) – औद्योगिक और संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य और बीमा लाभ।
- ईपीएफ योजना (EPF) – कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के लिए भविष्य निधि सुविधा।
- ग्रेच्युटी योजना – लंबे समय तक सेवा देने वाले कर्मचारियों को अंतिम भुगतान।
- मातृत्व लाभ योजना – महिला कर्मचारियों को गर्भावस्था के दौरान आर्थिक सहायता।
- राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड – असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की सुरक्षा योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन।
गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए विशेष प्रावधान
- स्विगी, जोमैटो, ओला, उबर जैसे ऐप आधारित कार्य करने वाले श्रमिकों को अब सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में सम्मिलित किया गया है।
- उनके लिए विशेष बीमा, स्वास्थ्य सेवा, और पेंशन योजनाएँ बनाई जाएंगी।
प्रवासी श्रमिकों के लिए लाभ
- प्रवासी श्रमिकों के पंजीकरण, यात्रा सुविधा, राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी, और कार्यस्थल पर सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में कदम।
- एक राष्ट्र – एक राशन कार्ड योजना को इस संहिता के साथ समन्वित किया गया है।
चुनौतियाँ और सुझाव
चुनौतियाँ:
- असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों की कम जागरूकता।
- डिजिटल पंजीकरण प्रक्रिया में तकनीकी समस्याएँ।
- नियोक्ताओं द्वारा योगदान में चूक।
- प्रवर्तन एजेंसियों की संख्या और क्षमता सीमित।
सुझाव:
- श्रमिकों के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
- स्थानीय भाषा में ई-श्रम पोर्टल का विस्तार।
- लाभार्थियों के लिए मोबाइल एप आधारित सेवाएं।
- स्वयंसेवी संस्थाओं और पंचायतों की भागीदारी बढ़ाई जाए।
संहिता का सामाजिक और आर्थिक महत्व
- गरीबी उन्मूलन में सहायता।
- सामाजिक समानता और आर्थिक न्याय की स्थापना।
- औद्योगिक संबंधों में स्थायित्व।
- मानव पूंजी में निवेश।
- ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना को साकार करने का माध्यम।
निष्कर्ष
सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 भारत में श्रमिकों की सुरक्षा और कल्याण की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। यह न केवल मौजूदा कानूनों का एकीकरण करती है, बल्कि असंगठित, प्रवासी, गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को भी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाकर भारत को एक समावेशी और न्यायसंगत श्रम बाजार की ओर अग्रसर करती है।
हालांकि इसका प्रभावी क्रियान्वयन ही इसकी सफलता की कुंजी होगा, फिर भी यह संहिता श्रमिकों के सम्मान, सुरक्षा और स्थायित्व की ओर बढ़ाया गया एक ऐतिहासिक कदम है।