“साक्ष्य संग्रह, गिरफ्तारी और जमानतः भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता का नया ढांचा”
परिचय:
भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली के तीन प्रमुख स्तंभ हैं — साक्ष्य संग्रह, गिरफ्तारी और जमानत। इन प्रक्रियाओं की पारदर्शिता, प्रभावशीलता और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा पर पूरी न्याय व्यवस्था आधारित होती है। वर्ष 2023 में पारित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (भा.नाग.सु.सं.) ने इन तीनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार और बदलाव प्रस्तुत किए हैं। यह संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) के स्थान पर लागू की गई है, और इसका उद्देश्य है — तेज, डिजिटल, और पीड़ित-हितैषी न्याय सुनिश्चित करना।
1. साक्ष्य संग्रह की आधुनिक प्रणाली
(क) डिजिटल साक्ष्य की मान्यता:
- भा.नाग.सु.सं. 2023 के तहत अब डिजिटल, इलेक्ट्रॉनिक और साइबर माध्यमों से प्राप्त साक्ष्य पूर्ण रूप से मान्य हैं।
- जैसे: सीसीटीवी फुटेज, कॉल रिकॉर्ड, व्हाट्सएप चैट्स, ईमेल, GPS डेटा आदि।
(ख) एफआईआर और साक्ष्य का डिजिटलीकरण:
- अब ई-एफआईआर की सुविधा उपलब्ध है।
- पुलिस को साक्ष्य संग्रह की वीडियोग्राफी या ऑडियो रिकॉर्डिंग करनी होगी (विशेषतः महिलाओं और बच्चों से पूछताछ के समय)।
(ग) वैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग:
- फोरेंसिक विशेषज्ञों की अनिवार्य नियुक्ति गंभीर अपराधों में।
- DNA प्रोफाइलिंग, नार्को एनालिसिस, पॉलीग्राफ टेस्ट जैसे आधुनिक उपायों को वैधानिक समर्थन।
(घ) केस ट्रैकिंग प्रणाली:
- साक्ष्य की सुरक्षा के लिए Chain of Custody अनिवार्य।
- जांच और साक्ष्य संग्रह की टाइमलाइन आधारित ट्रैकिंग की व्यवस्था।
2. गिरफ्तारी की प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही
(क) गिरफ्तारी की स्पष्ट शर्तें:
- पुलिस अब किसी भी व्यक्ति को केवल संदेह के आधार पर नहीं पकड़ सकती।
- धारा 35 के अनुसार गिरफ्तारी के लिए उचित कारण, रिकॉर्ड, और वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति आवश्यक है (गैर-गंभीर मामलों में)।
(ख) गिरफ्तारी की डिजिटल सूचना:
- गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार या मित्र को 24 घंटे के भीतर गिरफ्तारी की सूचना डिजिटल माध्यम से देना अनिवार्य है।
- गिरफ्तारी की जानकारी सरकारी पोर्टल पर अपलोड की जाती है।
(ग) महिला, वृद्ध, दिव्यांग व बच्चों की विशेष सुरक्षा:
- महिला की गिरफ्तारी केवल महिला पुलिस अधिकारी द्वारा और सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय से पहले केवल न्यायिक अनुमति से की जा सकती है।
- 15 वर्ष से कम और 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को विशेष संवेदनशीलता के साथ गिरफ्तार किया जाएगा।
(घ) अनावश्यक गिरफ्तारी पर रोक:
- सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के आधार पर अनावश्यक गिरफ्तारी से बचाव की विधिक प्रक्रिया को मजबूती दी गई है।
3. जमानत प्रणाली में सुधार और संतुलन
(क) जमानत की श्रेणियाँ:
- संज्ञेय और असंज्ञेय अपराधों में जमानत योग्य और गैर-जमानती अपराधों की स्पष्ट श्रेणियाँ तय की गई हैं।
- पहली बार अपराध करने वाले, बुज़ुर्ग, और बीमार व्यक्तियों को जमानत में प्राथमिकता।
(ख) समयबद्ध निर्णय:
- जमानत याचिका पर निर्णय देने के लिए सीमा निर्धारित की गई है, जिससे अभियुक्त और पीड़ित दोनों को अनिश्चितता से मुक्ति मिले।
(ग) डिजिटल जमानत आवेदन:
- अब ऑनलाइन माध्यम से जमानत याचिका दायर करने की सुविधा।
- जमानत शर्तों का डिजिटल निगरानी तंत्र भी लागू होगा (जैसे GPS ट्रैकिंग, ई-हाजिरी)।
(घ) पीड़ित की भूमिका:
- जमानत सुनवाई में पीड़ित को सूचना और भागीदारी का अधिकार दिया गया है, विशेषकर गंभीर अपराधों में।
4. न्यायिक निगरानी और उत्तरदायित्व
- पुलिस की कार्यवाही पर न्यायालयों की निरंतर निगरानी के लिए रिपोर्टिंग अनिवार्य।
- गिरफ्तारी, साक्ष्य संग्रह और जमानत की प्रक्रियाओं में मानवाधिकार आयोग और पीड़ित सहायता प्रकोष्ठों की भागीदारी।
5. विशेष प्रावधान
- पुलिस को हर 15 दिन में जांच की स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
- जमानत शर्तों के उल्लंघन पर स्वचालित रूप से गिरफ्तारी या कठोर दंड का प्रावधान।
निष्कर्ष:
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 ने साक्ष्य संग्रह, गिरफ्तारी और जमानत जैसे आपराधिक न्याय के प्रमुख क्षेत्रों में आधुनिक तकनीक, नागरिक अधिकारों की रक्षा और जवाबदेही आधारित प्रणाली को स्थापित किया है। इससे न केवल अपराधियों को दंडित करना आसान होगा, बल्कि निर्दोष व्यक्तियों को बिना वजह न्यायिक उत्पीड़न से भी राहत मिलेगी। यह नया ढांचा भारत को तेज, पारदर्शी और संवेदनशील न्याय व्यवस्था की ओर ले जाने वाला निर्णायक कदम है।