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“समुद्र से समृद्धि तकः Indian Ports Act, 2025 और Merchant Shipping Act, 2025 द्वारा भारत की ब्लू इकॉनॉमी की पुनर्परिभाषा”

“समुद्री व बंदरगाह कानूनों में सुधारः Indian Ports Act, 2025 और Merchant Shipping Act, 2025 का परिचय” – भारत के समुद्री एवं बंदरगाह कानूनों का समकालीन पुनर्संयोजन


भूमिका

भारत, लगभग 7,500 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्र के साथ, समुद्री व्यापार और नौवहन का एक प्राचीन केंद्र रहा है। भारतीय उपमहाद्वीप का यह विशाल तटीय विस्तार न केवल भौगोलिक दृष्टि से रणनीतिक महत्व रखता है, बल्कि यह देश की आर्थिक संरचना का भी एक प्रमुख अंग है। प्राचीन काल से लेकर आज तक, भारत का समुद्री इतिहास अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर के माध्यम से विश्व व्यापार से गहराई से जुड़ा रहा है।

21वीं सदी के इस गतिशील युग में, जब वैश्विक समुद्री व्यापार तेज़ी से तकनीकी और डिजिटल दिशा में आगे बढ़ रहा है, भारत ने भी अपने समुद्री कानूनों को अद्यतन करने का संकल्प लिया है। इसी क्रम में, Indian Ports Act, 2025 और Merchant Shipping Act, 2025 को संसद द्वारा प्रस्तुत किया गया है, जिनका उद्देश्य 100 वर्ष पुराने बंदरगाह और नौवहन संबंधी कानूनों को आधुनिक स्वरूप देना है। ये अधिनियम भारत को एक “Maritime Power” के रूप में सशक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम हैं।


1. पृष्ठभूमि: पुराने समुद्री कानूनों की सीमाएँ

भारत में समुद्री और बंदरगाह प्रबंधन से संबंधित कानून ब्रिटिश कालीन समय में बने थे।

  • Indian Ports Act, 1908 और
  • Merchant Shipping Act, 1958

इन दोनों कानूनों ने दशकों तक देश के समुद्री प्रशासन का आधार बनाया, परंतु इनकी भाषा, उद्देश्य और प्रशासनिक प्रावधान आज की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं रह गए थे।

इन कानूनों में मुख्य सीमाएँ थीं—

  1. डिजिटल और स्वचालित बंदरगाह प्रबंधन की अनुपस्थिति।
  2. पर्यावरणीय और सुरक्षा मानकों की अनदेखी।
  3. निजी क्षेत्र की भागीदारी में अस्पष्टता।
  4. वैश्विक समुद्री मानकों (IMO, MARPOL आदि) से असंगति।
  5. राज्य व केंद्र के अधिकारों में टकराव।

इन समस्याओं के कारण भारत के बंदरगाह क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मकता घट रही थी, जबकि सिंगापुर, दुबई, और श्रीलंका जैसे देश तेजी से आधुनिक पोर्ट हब बन चुके थे।


2. Indian Ports Act, 2025 – बंदरगाह प्रशासन में नया युग

(क) अधिनियम का उद्देश्य

Indian Ports Act, 2025 का उद्देश्य बंदरगाहों की प्रशासनिक, वित्तीय और पर्यावरणीय व्यवस्था को एकीकृत, पारदर्शी और तकनीकी रूप से उन्नत बनाना है। इस अधिनियम ने 1908 के कानून को निरस्त करते हुए, एक नया “National Port Governance Framework” प्रस्तुत किया है।

(ख) मुख्य प्रावधान

  1. एकीकृत नियामक ढांचा (Unified Regulatory Framework):
    अब सभी प्रमुख (Major) और गैर-प्रमुख (Non-Major) बंदरगाहों को समान नीति-निर्देशों के अंतर्गत लाया गया है। इससे केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित होगा।
  2. National Ports Authority (NPA):
    यह एक स्वतंत्र नियामक निकाय होगा जो बंदरगाहों की योजना, विकास, सुरक्षा मानकों, और राजस्व प्रबंधन की निगरानी करेगा।
  3. डिजिटल पोर्ट प्रबंधन प्रणाली:
    बंदरगाह संचालन, माल निकासी, लॉजिस्टिक्स, और टैक्सेशन के लिए पूर्ण डिजिटल प्रणाली लागू की जाएगी, जिससे भ्रष्टाचार में कमी और कार्यकुशलता में वृद्धि होगी।
  4. पर्यावरणीय संरक्षण और ब्लू इकॉनॉमी:
    अधिनियम में ‘ग्रीन पोर्ट पॉलिसी’ को कानूनी मान्यता दी गई है। इसमें अपशिष्ट प्रबंधन, ऊर्जा-कुशल जहाज संचालन और तटीय जैव-विविधता की रक्षा को प्राथमिकता दी गई है।
  5. पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) को प्रोत्साहन:
    निजी निवेशकों को बंदरगाह विकास, जहाज मरम्मत, कंटेनर टर्मिनल निर्माण, और पोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर में भाग लेने की अनुमति दी गई है।
  6. राज्यों की भूमिका का सशक्तिकरण:
    तटीय राज्यों को अपने-अपने बंदरगाहों के विकास की योजना तैयार करने का अधिकार मिला है, परंतु यह नीति केंद्र के साथ समन्वय में लागू होगी।
  7. सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन:
    अधिनियम में समुद्री दुर्घटनाओं, तेल रिसाव, और अन्य आपदाओं से निपटने के लिए एक “Port Disaster Management Cell” की स्थापना का प्रावधान किया गया है।

3. Merchant Shipping Act, 2025 – समुद्री व्यापार और सुरक्षा का नया आयाम

(क) अधिनियम का उद्देश्य

Merchant Shipping Act, 2025 ने 1958 के पुराने अधिनियम को प्रतिस्थापित करते हुए, आधुनिक अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप एक नया ढांचा प्रस्तुत किया है। इसका उद्देश्य भारत को वैश्विक नौवहन व्यापार का नेतृत्वकारी केंद्र बनाना है।

(ख) प्रमुख विशेषताएँ

  1. शिपिंग कंपनियों के लिए सरल पंजीकरण प्रणाली:
    अधिनियम के अंतर्गत जहाजों, जहाज मालिकों और ऑपरेटरों के लिए एकीकृत ऑनलाइन रजिस्ट्री बनाई जाएगी। यह “Maritime Digital Registry” भारत को ग्लोबल शिपिंग इंडेक्स में बेहतर स्थिति दिलाएगी।
  2. क्रू (Crew) सुरक्षा और कल्याण:
    नाविकों के श्रम अधिकार, स्वास्थ्य, बीमा, और कल्याण के लिए “Seafarers Welfare Authority” का गठन किया गया है। यह अंतरराष्ट्रीय Maritime Labour Convention (MLC) के अनुरूप होगा।
  3. नेविगेशन और सुरक्षा मानक:
    समुद्री सुरक्षा के लिए नवीनतम तकनीकों – जैसे Automatic Identification System (AIS), Global Maritime Distress and Safety System (GMDSS) और Electronic Chart Display को अनिवार्य बनाया गया है।
  4. पर्यावरणीय दायित्व और दंड:
    तेल प्रदूषण, जहाजों से कचरा उत्सर्जन, या समुद्री जैव-विविधता को हानि पहुँचाने पर कड़े दंड और पर्यावरणीय पुनर्स्थापन का प्रावधान किया गया है।
  5. भारत के समुद्री जहाज निर्माण उद्योग को प्रोत्साहन:
    “Make in India Maritime” नीति के तहत, घरेलू शिपबिल्डिंग कंपनियों को टैक्स छूट, सब्सिडी, और अनुसंधान समर्थन मिलेगा।
  6. International Ship Leasing and Financing Hub:
    अधिनियम में मुंबई, गुजरात (GIFT City) और कोच्चि में “Ship Leasing and Financing Hubs” की स्थापना का प्रावधान है, जिससे विदेशी जहाज निवेशकों को भारत में आकर्षित किया जा सके।
  7. Dispute Resolution and Admiralty Jurisdiction:
    समुद्री विवादों, जहाज गिरफ्तारी, और बकाया वसूली से संबंधित मामलों के लिए विशेष Maritime Tribunals स्थापित किए जाएंगे।

4. केंद्र और राज्य के अधिकारों का संतुलन

Indian Ports Act, 2025 का एक प्रमुख लक्ष्य है— केंद्र-राज्य समन्वय को सशक्त बनाना।
अब तक केंद्र सरकार प्रमुख बंदरगाहों (जैसे मुंबई, कोलकाता, चेन्नई आदि) का प्रशासन करती थी, जबकि राज्य सरकारें छोटे बंदरगाहों की देखरेख करती थीं। नए कानून के तहत:

  • नीति निर्माण केंद्र के पास रहेगा,
  • परंतु राज्यों को विकास योजनाओं में स्वतंत्रता दी जाएगी।

इसके अलावा, “National Maritime Board” में राज्यों के प्रतिनिधित्व का प्रावधान है, जिससे नीति निर्माण में उनकी भागीदारी सुनिश्चित होगी।


5. अंतरराष्ट्रीय मानकों से सामंजस्य

दोनों अधिनियमों को IMO (International Maritime Organization) और MARPOL Convention के मानकों के अनुरूप बनाया गया है।
इससे भारत को निम्न लाभ होंगे—

  • समुद्री व्यापार में वैश्विक विश्वसनीयता में वृद्धि।
  • विदेशी जहाजों और निवेशकों के लिए अनुकूल वातावरण।
  • पर्यावरणीय मानकों के पालन से अंतरराष्ट्रीय छवि में सुधार।

6. तकनीकी और डिजिटल पहल

(क) Maritime Digital Ecosystem:

नए कानूनों के तहत भारत का समुद्री क्षेत्र पूर्णतः डिजिटल रूप में रूपांतरित होगा।

  • e-Port Clearance System
  • Online Cargo Management
  • AI आधारित Navigation Control
  • Blockchain-based Cargo Tracking

इन तकनीकों से लॉजिस्टिक्स की पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ेगी।

(ख) Blue Economy और Maritime Startups:

सरकार ने “Maritime Innovation Mission” के तहत स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने का प्रावधान किया है, जो समुद्री अपशिष्ट पुनर्चक्रण, ग्रीन एनर्जी, और समुद्री पर्यटन के क्षेत्र में कार्य करेंगे।


7. आर्थिक प्रभाव और वैश्विक प्रतिस्पर्धा

भारतीय बंदरगाहों से प्रतिवर्ष लगभग 1,400 मिलियन टन से अधिक माल का आयात-निर्यात होता है। इन नए कानूनों के लागू होने से—

  • बंदरगाहों की उत्पादकता में वृद्धि होगी।
  • कंटेनर हैंडलिंग टाइम कम होगा।
  • निवेश वातावरण अनुकूल बनेगा।
  • भारत Maritime Logistics Hub बनने की दिशा में अग्रसर होगा।

World Bank Logistics Index में भारत की रैंकिंग में सुधार की संभावना है।


8. पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण

दोनों अधिनियमों में समुद्री पारिस्थितिकी की रक्षा पर विशेष बल दिया गया है।

  • “Green Port Certification” योजना लागू होगी।
  • समुद्री जीव-जंतुओं के संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिए दिशा-निर्देश तय किए गए हैं।
  • मछुआरों और तटीय समुदायों के लिए सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम लागू होंगे।

9. संभावित चुनौतियाँ

हालांकि इन अधिनियमों के उद्देश्य अत्यंत प्रशंसनीय हैं, परंतु कुछ व्यावहारिक चुनौतियाँ भी हैं—

  1. राज्य-केंद्र समन्वय में नीति टकराव।
  2. निजी क्षेत्र में अत्यधिक निर्भरता से सामाजिक असंतुलन।
  3. छोटे बंदरगाहों में बुनियादी ढांचे की कमी।
  4. तकनीकी प्रशिक्षण की आवश्यकता।

सरकार को इन चुनौतियों से निपटने के लिए “Capacity Building” और “Skill Development” पर ध्यान देना होगा।


10. निष्कर्ष: भारत की समुद्री शक्ति का पुनर्जागरण

Indian Ports Act, 2025 और Merchant Shipping Act, 2025 केवल कानून नहीं, बल्कि भारत की “समुद्री पुनर्जागरण नीति” का प्रतीक हैं। ये अधिनियम भारत को एक आधुनिक, तकनीकी रूप से सक्षम, पर्यावरण-संवेदनशील और व्यापारिक दृष्टि से प्रतिस्पर्धी समुद्री राष्ट्र बनाने की दिशा में निर्णायक कदम हैं।

इन कानूनों से भारत—

  • एक Maritime Logistics Powerhouse,
  • एक Green Port Nation, और
  • एक Digital Shipping Economy बनने की दिशा में अग्रसर होगा।

यदि इन अधिनियमों को प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो भारत न केवल अपने तटीय राज्यों की अर्थव्यवस्था को सशक्त करेगा, बल्कि वैश्विक समुद्री व्यापार में एक निर्णायक भूमिका निभाने लगेगा।


समापन विचार

समुद्र भारत के विकास की नई सीमा है — और Indian Ports Act, 2025 तथा Merchant Shipping Act, 2025 उस सीमा को विस्तारित करने की दिशा में भारत के आत्मविश्वास का प्रतीक हैं।
ये अधिनियम केवल कानूनी सुधार नहीं, बल्कि एक नई समुद्री सभ्यता की रूपरेखा हैं — जिसमें तकनीक, पर्यावरण, निवेश, और नवाचार का संगम है।
भारत का यह समुद्री पुनर्संयोजन आने वाले दशकों में देश की आर्थिक, रणनीतिक और वैश्विक स्थिति को एक नए शिखर पर ले जाएगा।