समझौता डिक्री को चुनौती देने का एकमात्र उपाय: सुप्रीम कोर्ट का महत्त्वपूर्ण निर्णय

शीर्षक:
समझौता डिक्री को चुनौती देने का एकमात्र उपाय: सुप्रीम कोर्ट का महत्त्वपूर्ण निर्णय – Manjunath Tirakappa Malagi & Anr Vs Gurusiddappa Tirakappa Malagi (Dead Through LRs)


परिचय:
सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया निर्णय Manjunath Tirakappa Malagi And Anr Versus Gurusiddappa Tirakappa Malagi (Dead Through LRs) में एक बार फिर यह स्पष्ट किया कि यदि कोई पक्ष समझौते पर आधारित डिक्री (Compromise Decree) की वैधता पर आपत्ति करना चाहता है, तो इसका एकमात्र कानूनी उपाय “Recall Application” (पूर्ववत करने हेतु याचिका) दाखिल करना है। यह निर्णय दीवानी प्रक्रिया संहिता (Code of Civil Procedure) की Order 23 Rule 3 की व्याख्या में विशेष महत्व रखता है।


मामले की पृष्ठभूमि:
इस प्रकरण में वादियों ने दावा किया कि उनके साथ धोखा हुआ है और जो समझौता डिक्री पास की गई, वह असली मंशा को प्रदर्शित नहीं करती। उन्होंने इस डिक्री की वैधता को चुनौती दी और इसे रद्द करने की कोशिश की। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई भी प्रयास केवल Recall Application के माध्यम से ही किया जा सकता है, न कि किसी स्वतंत्र मुकदमे के द्वारा।


सुप्रीम कोर्ट का अवलोकन:
पीठ ने निर्णय में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण बातें कही:

  1. Order 23 Rule 3 CPC के तहत जब एक बार कोर्ट ने यह संतुष्ट हो कर डिक्री पारित कर दी कि पक्षों के बीच समझौता हुआ है, तो उस डिक्री को केवल recall किया जा सकता है।
  2. यदि किसी पक्ष को यह आपत्ति है कि समझौता फर्जी, बलपूर्वक, धोखे से या बिना अधिकार के हुआ है, तो उसे उसी न्यायालय में recall petition दाखिल करनी होगी जिसने डिक्री पारित की थी।
  3. इस प्रकार के मामलों में नया वाद दाखिल करना वैधानिक रूप से स्वीकार्य नहीं है।

न्यायालय की टिप्पणियाँ:
न्यायालय ने कहा कि:

“Once a decree is passed on the basis of a lawful compromise, the only remedy available to a party seeking to question the decree is to apply to the same court which recorded the compromise and seek recall of the decree. Filing of a separate suit is not maintainable.”


न्यायिक महत्व:
यह निर्णय न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और समझौता डिक्री की वैधता की सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि पक्षकार समझौतों को गंभीरता से लें और यदि कोई आपत्ति हो, तो उसका समाधान उचित न्यायिक प्रक्रिया द्वारा हो।


निष्कर्ष:
Manjunath Tirakappa Malagi मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुनः यह दोहराया कि दीवानी मामलों में समझौता डिक्री को चुनौती देने का एकमात्र वैध मार्ग Order 23 Rule 3 के तहत recall याचिका है। यह निर्णय भविष्य में ऐसे कई विवादों में मार्गदर्शक सिद्ध होगा।