“सड़क निर्माण में लापरवाही : क्या केवल ठेकेदार दोषी है? पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की जवाबदेही पर उठते सवाल”

शीर्षक:
“सड़क निर्माण में लापरवाही : क्या केवल ठेकेदार दोषी है? पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की जवाबदेही पर उठते सवाल”


बहुत ही लंबा लेख
भूमिका:
भारत में सड़क दुर्घटनाएं, गड्ढों से भरी सड़कें और अधूरे निर्माण कार्य आम जनजीवन को लगातार संकट में डालते हैं। हर वर्ष हजारों लोगों की जान इन खराब सड़कों के कारण चली जाती है, लेकिन जब जिम्मेदारी तय करने की बात आती है तो सारा दोष केवल ठेकेदार के कर्मचारियों पर मढ़ दिया जाता है। क्या यह न्यायसंगत है? क्या सरकारी विभाग, विशेषकर सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD), जो इन परियोजनाओं का निरीक्षण और स्वीकृति देता है, पूरी तरह दोषमुक्त है?


🔎 मूल प्रश्न

जब सड़क निर्माण कार्य में लापरवाही या भ्रष्टाचार सामने आता है, तो अक्सर ठेकेदार या उसके कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी जाती है।
लेकिन

  • उस सड़क को पास करने वाले इंजीनियर?
  • निर्माण की निगरानी करने वाले अधीक्षण अभियंता?
  • गुणवत्ता निरीक्षण करने वाले अधिकारी?
  • भुगतान जारी करने वाले कार्यपालक अभियंता?

इन सभी की जवाबदेही कहाँ है?


⚖️ कानूनी ढांचे में अधिकारियों की जिम्मेदारी

1. भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC)

  • धारा 304A – लापरवाही से मृत्यु का कारण बनाना (Negligent homicide)
  • धारा 120B – आपराधिक षड्यंत्र
  • धारा 409 – लोक सेवकों द्वारा आपराधिक विश्वासघात

यदि अधिकारी जानते थे कि निर्माण कार्य में गंभीर खामियां हैं, और फिर भी उन्होंने उसे पास कर दिया या नजरअंदाज किया, तो वे इन धाराओं के अंतर्गत आरोपी बनाए जा सकते हैं।


🚧 सड़क निर्माण प्रक्रिया और PWD की भूमिका

  1. कार्य आदेश और अनुबंध (Tender & Agreement)
    • PWD द्वारा स्वीकृत किया जाता है
  2. गुणवत्ता नियंत्रण और निरीक्षण
    • PWD इंजीनियरों की टीम द्वारा नियमित रूप से किया जाना चाहिए
  3. अनंतिम और अंतिम भुगतान
    • कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के बाद ही किया जाना चाहिए

लेकिन जब न तो नियमित निरीक्षण होता है, न ही गुणवत्ता की जांच, और कार्य पूरा होने के पहले ही भुगतान जारी कर दिया जाता है – तो क्या यह सिर्फ ठेकेदार की लापरवाही है?


📉 परिणाम और जनहित पर प्रभाव

  • जानलेवा दुर्घटनाएं
  • जनता का धन बर्बाद
  • भ्रष्टाचार को संरक्षण
  • पीड़ितों को न्याय से वंचित रहना

🧾 न्यायपालिका की टिप्पणियाँ और हस्तक्षेप

भारत के विभिन्न उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट ने कई बार टिप्पणी की है कि सार्वजनिक परियोजनाओं में अधिकारी जवाबदेह हैं।
उदाहरण:

“यदि कोई सड़क निर्माण कार्य विफल होता है, तो केवल ठेकेदार नहीं बल्कि निगरानी में रही सरकारी मशीनरी भी जवाबदेह है।” — बॉम्बे हाई कोर्ट


📌 क्यों नहीं होती अधिकारियों पर कार्रवाई?

  1. सेवा सुरक्षा अधिनियम (Service Conduct Rules)
    • अधिकारियों पर सीधी आपराधिक कार्रवाई कठिन बनाता है
    • विभागीय जांच की आवश्यकता होती है
  2. राजनीतिक संरक्षण और ब्यूरोक्रेसी का गठजोड़
    • कई बार ठेकेदार और अधिकारी मिलकर काम करते हैं
    • इसलिए दोषारोपण एकतरफा हो जाता है
  3. एफआईआर दर्ज करने वाली पुलिस भी दबाव में
    • अक्सर उन्हीं अधिकारियों की निगरानी में पुलिस काम करती है

🔔 क्या होना चाहिए? – सुधार की आवश्यकता

✅ 1. जवाबदेही का कानूनन निर्धारण

  • सड़क दुर्घटना के मामले में इंजीनियर और निरीक्षण अधिकारियों की स्वतः जांच
  • विभागीय जांच के साथ-साथ आपराधिक जांच भी अनिवार्य

✅ 2. लोक अभियोजन के लिए स्वतंत्र प्राधिकरण

  • ऐसा तंत्र जो स्वतंत्र रूप से सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध FIR दर्ज कर सके

✅ 3. समयबद्ध जाँच और निलंबन

  • निर्माण में लापरवाही पाए जाने पर तुरंत सेवा निलंबन
  • दोष सिद्ध होने पर सेवा से बर्खास्तगी और अभियोजन

✅ 4. जन निगरानी तंत्र (Citizen Oversight Committees)

  • आम नागरिकों और तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा सार्वजनिक निर्माण परियोजनाओं की निगरानी

🔍 न्याय का तकाजा

यदि एक सड़क निर्माण कार्य में घटिया सामग्री, गलत डिजाइन, या समयसीमा की अनदेखी होती है, और इसका परिणाम जानलेवा साबित होता है —
तो यह न केवल निर्माणकर्ता की जिम्मेदारी है, बल्कि उस पूरी प्रक्रिया की भी है जो इसके पर्यवेक्षण और स्वीकृति के लिए ज़िम्मेदार थी।

ठेकेदार सिर्फ निष्पादक होता है, असली जवाबदेही उस पर भी है जिसने उस कार्य को मान्यता दी।


✍️ निष्कर्ष

सरकारी विभागों की कार्यशैली में पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता सुनिश्चित किए बिना सार्वजनिक निर्माण परियोजनाओं की गुणवत्ता नहीं सुधर सकती। जब सड़क निर्माण में जानलेवा लापरवाही हो, तो सिर्फ ठेकेदार पर एफआईआर करना न्याय का अपूर्ण रूप है। PWD अधिकारियों को कानूनी, प्रशासनिक और नैतिक रूप से जवाबदेह ठहराना ही एक उत्तरदायी शासन और सशक्त लोकतंत्र की पहचान है।