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“सच्ची नीयत से चुनाव लड़ना बनाम भ्रम फैलाना : फिलीपींस सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला”

“निष्पक्ष चुनाव की भावना और ‘Nuisance Candidate’ की अवधारणा : Wilson Caritero Amad बनाम Commission on Elections (G.R. No. 258448, 5 जुलाई 2022)”


भूमिका

लोकतंत्र में चुनाव न केवल सत्ता परिवर्तन का माध्यम हैं, बल्कि यह जनता की इच्छा का प्रत्यक्ष प्रदर्शन भी है। परंतु जब चुनाव प्रक्रिया का दुरुपयोग किया जाता है या इसे मज़ाक का रूप दिया जाता है, तब न्यायालयों का हस्तक्षेप आवश्यक हो जाता है ताकि चुनावों की पवित्रता और निष्पक्षता सुरक्षित रह सके।
फिलीपींस के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा Wilson Caritero Amad vs. Commission on Elections (COMELEC), निर्णय (G.R. No. 258448, 5 जुलाई 2022, En Banc, Justice Gaerlan) इसी सिद्धांत को पुष्ट करता है। इस ऐतिहासिक निर्णय में न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि किसी प्रत्याशी को “nuisance candidate” घोषित करने के लिए केवल तीन कानूनी आधार (grounds) हो सकते हैं, और यह कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा करते हुए चुनावों की गंभीरता को बनाए रखना आवश्यक है।


मामले की पृष्ठभूमि

Wilson Caritero Amad ने फिलीपींस के उपराष्ट्रपति पद के लिए 2022 के आम चुनावों में अपनी उम्मीदवारी दाखिल की थी। परंतु Commission on Elections (COMELEC) ने उन्हें एक “nuisance candidate” घोषित कर दिया।
COMELEC के अनुसार, अमद ने जो Certificate of Candidacy (COC) दाखिल किया, वह केवल चुनाव प्रक्रिया को “mockery” (मज़ाक) बनाने और मतदाताओं में भ्रम (confusion) फैलाने के उद्देश्य से किया गया था।

Amad ने इस निर्णय को चुनौती दी और सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह दावा किया कि उन्होंने वास्तविक और bona fide (सच्चे) इरादे से चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल किया था।


मुख्य विधिक प्रश्न (Legal Issues)

  1. क्या Wilson Caritero Amad को “nuisance candidate” घोषित करने का COMELECT का निर्णय न्यायसंगत था?
  2. “Nuisance Candidate” घोषित करने के लिए किन कानूनी आधारों (grounds) की आवश्यकता होती है?
  3. क्या न्यायालय यह जांच सकता है कि किसी उम्मीदवार का चुनाव लड़ने का इरादा bona fide है या नहीं?

न्यायालय का विश्लेषण (Court’s Analysis)

फिलीपींस के सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में Omnibus Election Code की धारा 69 (Section 69) का विस्तार से विश्लेषण किया। इस धारा के अनुसार, किसी उम्मीदवार को “nuisance” तभी घोषित किया जा सकता है जब उसकी उम्मीदवारी निम्नलिखित में से किसी एक आधार पर हो:

  1. Election process को mockery या disrepute में डालना:
    यदि उम्मीदवार केवल मज़ाक या असम्मान फैलाने के लिए चुनाव लड़ रहा है।
  2. Voter confusion पैदा करना:
    यदि किसी उम्मीदवार का नाम या पहचान किसी अन्य प्रमुख उम्मीदवार से मिलती-जुलती हो और उससे मतदाताओं में भ्रम उत्पन्न हो।
  3. No bona fide intention to run for office:
    यदि उम्मीदवार के कार्यों से यह स्पष्ट हो कि उसका चुनाव लड़ने का कोई वास्तविक इरादा नहीं है और उसका उद्देश्य केवल चुनाव प्रक्रिया को बाधित करना है।

न्यायालय ने कहा कि इन तीनों स्थितियों के अलावा किसी भी उम्मीदवार को nuisance घोषित करना कानून का उल्लंघन होगा।


न्यायालय का निर्णय (Ruling of the Court)

Justice Gaerlan की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहा कि किसी भी उम्मीदवार के चुनावी अधिकारों को हल्के में नहीं लिया जा सकता। “Nuisance Candidate” की अवधारणा का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह किसी नागरिक के संवैधानिक राजनीतिक अधिकारों—विशेषकर right to suffrage (मत देने और चुनाव लड़ने का अधिकार)—का सीधा उल्लंघन है।

न्यायालय ने कहा:

“The only grounds for which a candidate may be declared as a nuisance candidate are as follows:
(1) that such candidate only filed his or her COC to put the election process in mockery or to cause disrepute;
(2) that such candidate only filed his or her COC to cause confusion among the voters; and
(3) that there exists circumstances that clearly demonstrate that the candidate has no bona fide intention to run for office to prevent a faithful determination of the true will of the electorate.”

इस निर्णय में यह भी कहा गया कि केवल इस आधार पर कि कोई व्यक्ति राजनीतिक रूप से लोकप्रिय नहीं है या उसके जीतने की संभावना कम है, उसे nuisance घोषित नहीं किया जा सकता।


न्यायालय के तर्क (Reasoning)

  1. लोकतंत्र की आत्मा:
    चुनाव में हिस्सा लेना प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक अधिकार है। इसे सीमित करना तभी उचित है जब स्पष्ट सबूत हों कि उम्मीदवार ने दुर्भावनापूर्ण उद्देश्य से नामांकन किया है।
  2. Bona fide intention की जाँच:
    अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति की गंभीरता (seriousness) का मूल्यांकन उसकी राजनीतिक स्थिति या धन से नहीं किया जा सकता। बल्कि यह देखा जाना चाहिए कि उसने नामांकन के बाद क्या कदम उठाए—क्या उसने प्रचार किया, अभियान चलाया, या समर्थन जुटाने का प्रयास किया।
  3. Voter confusion का मूल्यांकन:
    यदि किसी उम्मीदवार का नाम, उपनाम या प्रतीक किसी प्रमुख उम्मीदवार से मिलता-जुलता है और इससे मतदाताओं में भ्रम उत्पन्न हो सकता है, तभी यह “nuisance” का कारण बन सकता है।
  4. COMELEC की सीमाएँ:
    न्यायालय ने COMELEC को यह निर्देश दिया कि वह अपनी शक्तियों का प्रयोग सावधानी से करे और बिना ठोस प्रमाणों के किसी उम्मीदवार को चुनाव प्रक्रिया से बाहर न करे।

निर्णय का प्रभाव (Impact of the Decision)

इस निर्णय ने फिलीपींस के चुनावी कानून में एक महत्वपूर्ण दिशा प्रदान की।
निम्नलिखित प्रभाव स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं:

  1. लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा:
    किसी भी नागरिक को केवल अनुमान या पूर्वाग्रह के आधार पर चुनाव से वंचित नहीं किया जा सकता।
  2. COMELEC की जवाबदेही:
    आयोग को अपने निर्णयों में पारदर्शिता और निष्पक्षता रखनी होगी तथा हर निर्णय ठोस प्रमाणों पर आधारित होना चाहिए।
  3. Nuisance Candidate की परिभाषा स्पष्ट:
    अदालत ने इस अवधारणा को सटीक रूप से सीमित कर दिया ताकि भविष्य में इसका दुरुपयोग न हो सके।
  4. Political participation को प्रोत्साहन:
    यह निर्णय सामान्य नागरिकों को भी यह विश्वास देता है कि वे बिना किसी भेदभाव के चुनाव में भाग ले सकते हैं।

सिद्धांत (Doctrine) का सारांश

सिद्धांत (Doctrine):
किसी उम्मीदवार को “nuisance candidate” घोषित करने के केवल तीन वैध आधार हैं—

  1. यदि उसने अपना नामांकन चुनाव प्रक्रिया को मज़ाक या बदनामी में डालने के लिए किया हो,
  2. यदि उसका उद्देश्य मतदाताओं में भ्रम पैदा करना हो,
  3. यदि उसके चुनाव लड़ने का bona fide (वास्तविक) इरादा न हो और इससे मतदाताओं की वास्तविक इच्छा को नुकसान पहुंचे।

निष्कर्ष (Conclusion)

Wilson Caritero Amad vs. Commission on Elections निर्णय न केवल फिलीपींस बल्कि पूरे लोकतांत्रिक विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण नजीर (precedent) है। यह निर्णय यह संदेश देता है कि चुनावों की पवित्रता बनाए रखना जितना आवश्यक है, उतना ही महत्वपूर्ण यह सुनिश्चित करना भी है कि किसी नागरिक के संवैधानिक अधिकारों का हनन न हो।

न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि “nuisance candidate” की अवधारणा का उद्देश्य केवल चुनावों की गंभीरता की रक्षा करना है, न कि किसी व्यक्ति को उसके राजनीतिक अधिकार से वंचित करना।
यह निर्णय लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा, समान अवसर की गारंटी, और चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ है।