संयुक्त राष्ट्र संगठन (United Nations Organization – UNO) : विस्तृत लेख
1. प्रस्तावना
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुए भारी विनाश, मानव जीवन की क्षति और विश्व में फैली अशांति ने यह स्पष्ट कर दिया कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसे संगठन की आवश्यकता है जो स्थायी शांति, सुरक्षा और सहयोग स्थापित कर सके। इसी सोच का परिणाम था संयुक्त राष्ट्र संगठन (United Nations Organization – UNO), जिसने 1945 से अब तक वैश्विक व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
2. स्थापना और पृष्ठभूमि
- स्थापना तिथि – 24 अक्टूबर 1945 (इसी दिन को प्रतिवर्ष “संयुक्त राष्ट्र दिवस” के रूप में मनाया जाता है)
- मुख्यालय – न्यूयॉर्क, अमेरिका
- सदस्य देश – प्रारंभ में 51 सदस्य, वर्तमान में 193 सदस्य देश (2025 तक)
- स्थापना का कारण – राष्ट्र संघ (League of Nations) की विफलता, द्वितीय विश्व युद्ध की त्रासदी, और स्थायी शांति की आवश्यकता।
- मुख्य दस्तावेज़ – “संयुक्त राष्ट्र चार्टर” (United Nations Charter), जिस पर 26 जून 1945 को सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में हस्ताक्षर हुए।
3. उद्देश्य (Purposes of UNO)
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार इसके मुख्य उद्देश्य हैं –
- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना।
- राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों का विकास।
- आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और मानवीय सहयोग को बढ़ावा देना।
- मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं का सम्मान सुनिश्चित करना।
- वैश्विक समस्याओं के समाधान हेतु मंच प्रदान करना।
4. सिद्धांत (Principles)
UNO के कार्य निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित हैं –
- सभी सदस्य देशों की संप्रभु समानता।
- विवादों का शांतिपूर्ण समाधान।
- बल प्रयोग या बल की धमकी का निषेध।
- चार्टर के प्रावधानों का पालन।
- किसी भी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना।
5. संयुक्त राष्ट्र के मुख्य अंग (Principal Organs of the UNO)
(क) महासभा (General Assembly)
- सभी सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व।
- प्रत्येक देश को एक मत।
- महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और सिफारिशें।
- बजट अनुमोदन और नए सदस्यों का प्रवेश।
(ख) सुरक्षा परिषद (Security Council)
- 15 सदस्य – 5 स्थायी (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन) और 10 अस्थायी।
- स्थायी सदस्यों को वीटो पावर।
- अंतर्राष्ट्रीय शांति बनाए रखने की मुख्य जिम्मेदारी।
- सैन्य कार्रवाई, प्रतिबंध, और शांति मिशन की अनुमति।
(ग) आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC)
- आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में कार्य।
- WHO, UNESCO, ILO जैसे विशेषीकृत एजेंसियों का समन्वय।
(घ) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ)
- मुख्यालय – हेग, नीदरलैंड
- 15 न्यायाधीश, कार्यकाल 9 वर्ष।
- देशों के बीच कानूनी विवादों का समाधान।
(ङ) सचिवालय (Secretariat)
- महासचिव के नेतृत्व में।
- प्रशासनिक कार्य और चार्टर का अनुपालन सुनिश्चित करना।
- वर्तमान महासचिव (2025 तक) – अंतोनियो गुटेरेस।
(च) ट्रस्टीशिप परिषद (Trusteeship Council)
- पूर्व में उपनिवेशित क्षेत्रों को स्वशासन दिलाने के लिए।
- वर्तमान में निष्क्रिय, क्योंकि सभी ट्रस्ट क्षेत्र स्वतंत्र हो चुके हैं।
6. संयुक्त राष्ट्र की विशेषीकृत एजेंसियाँ (Specialized Agencies)
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) – वैश्विक स्वास्थ्य मानक और रोग नियंत्रण।
- यूनेस्को (UNESCO) – शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और विरासत संरक्षण।
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) – श्रमिक अधिकार और श्रम मानक।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) – वित्तीय स्थिरता और ऋण सहायता।
- विश्व बैंक (World Bank) – विकास परियोजनाओं के लिए ऋण।
- विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) – भूख और कुपोषण उन्मूलन।
7. उपलब्धियाँ
- शांति स्थापना मिशन – अफ्रीका, एशिया और मध्य पूर्व में संघर्षविराम।
- मानवाधिकार संरक्षण – 1948 का मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा-पत्र (UDHR)।
- स्वास्थ्य अभियान – पोलियो उन्मूलन, COVID-19 प्रतिक्रिया।
- शिक्षा और सांस्कृतिक संरक्षण – विश्व धरोहर स्थलों का संरक्षण।
- गरीबी उन्मूलन – सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) का प्रचार।
8. आलोचनाएँ और चुनौतियाँ
- वीटो पावर का दुरुपयोग – स्थायी सदस्य अपने हित में निर्णय रोक सकते हैं।
- वित्तीय संसाधनों की कमी।
- कुछ क्षेत्रों में राजनीतिक पक्षपात के आरोप।
- निर्णयों के पालन में कठिनाई।
- आतंकवाद और साइबर अपराध जैसी नई चुनौतियों का सामना।
9. सुधार की आवश्यकता
- सुरक्षा परिषद में सदस्यता का विस्तार।
- वीटो अधिकार की समीक्षा।
- विकासशील देशों का अधिक प्रतिनिधित्व।
- वित्तीय और प्रशासनिक पारदर्शिता।
10. निष्कर्ष
संयुक्त राष्ट्र संगठन ने पिछले आठ दशकों में वैश्विक शांति, विकास और मानवीय सहायता में अभूतपूर्व योगदान दिया है। यद्यपि इसकी सीमाएँ और चुनौतियाँ हैं, परंतु अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए इससे बेहतर कोई मंच वर्तमान में नहीं है। सुधार और समान प्रतिनिधित्व के साथ UNO आने वाले समय में भी विश्व को एकजुट रखने में केंद्रीय भूमिका निभा सकता है।