“संपत्ति स्वामित्व का कानूनी आधार: सुप्रीम कोर्ट का फैसला और रजिस्टर्ड दस्तावेज की अनिवार्यता”

शीर्षक: “संपत्ति स्वामित्व का कानूनी आधार: सुप्रीम कोर्ट का फैसला और रजिस्टर्ड दस्तावेज की अनिवार्यता”


प्रस्तावना:
भारत में संपत्ति कानूनों का पालन करते हुए संपत्ति के स्वामित्व और उसके हस्तांतरण से संबंधित नियमों का स्पष्ट पालन अनिवार्य है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि किसी भी अचल संपत्ति (Immovable Property) का स्वामित्व केवल रजिस्टर्ड दस्तावेजों (Registered Documents) के आधार पर ही वैध माना जाएगा। यह निर्णय संपत्ति से जुड़े फर्जीवाड़ों, अनाधिकृत कब्जों और विवादों को रोकने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।


मामले की पृष्ठभूमि:
भारत में वर्षों से यह देखा गया है कि लोग सेल एग्रीमेंट (Agreement to Sell), पॉवर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney) और विल (Will) के आधार पर संपत्ति का स्वामित्व स्थानांतरित करने का प्रयास करते रहे हैं। ये दस्तावेज केवल सहमति को दर्शाते हैं, न कि कानूनी स्वामित्व को। सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि:

“सेल एग्रीमेंट, पॉवर ऑफ अटॉर्नी, या विल के आधार पर स्वामित्व का दावा कानूनी रूप से अस्वीकार्य है।”


सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा:

  1. संपत्ति का वैध स्वामित्व केवल तब स्थापित होता है जब उसके हस्तांतरण से संबंधित दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 के अंतर्गत विधिवत पंजीकरण (Registration) हुआ हो।
  2. सेल एग्रीमेंट, GPA और विल – ये दस्तावेज स्वामित्व हस्तांतरण के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
  3. इस फैसले के अनुसार, अब कोई व्यक्ति केवल POA या सेल एग्रीमेंट के आधार पर अपने आपको संपत्ति का मालिक घोषित नहीं कर सकता

विधिक प्रावधान:

  • रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 की धारा 17 (Section 17) के अनुसार, ₹100 से अधिक की अचल संपत्ति का हस्तांतरण अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन के द्वारा ही मान्य होता है।
  • ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, 1882 में भी यह प्रावधान है कि स्वामित्व का वास्तविक हस्तांतरण रजिस्टर्ड सेल डीड के माध्यम से ही हो सकता है।

निर्णय का प्रभाव और महत्त्व:

  1. संपत्ति विवादों में कमी आएगी क्योंकि अब केवल रजिस्टर्ड डीड को ही कानूनी स्वामित्व के प्रमाण के रूप में माना जाएगा।
  2. फर्जी POA और Sale Agreements के माध्यम से अवैध कब्जे पर रोक लगेगी।
  3. राजस्व विभाग और संपत्ति पंजीकरण कार्यालय के रिकॉर्ड की विश्वसनीयता बढ़ेगी।
  4. खरीदारों को सुरक्षा मिलेगी, क्योंकि अब उन्हें रजिस्टर्ड सेल डीड पर ही भरोसा करना होगा।
  5. Real Estate क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।

निष्कर्ष:
यह निर्णय संपत्ति के हस्तांतरण की प्रक्रिया को कानूनी रूप से अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाता है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला स्पष्ट करता है कि प्रॉपर्टी का मालिकाना हक सिर्फ और सिर्फ रजिस्टर्ड दस्तावेजों के माध्यम से ही वैध माना जाएगा। अब संपत्ति से जुड़े हर नागरिक को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका स्वामित्व कानूनी रूप से मान्य रजिस्ट्रेशन के द्वारा ही स्थापित हो। यह न केवल भविष्य के विवादों से बचाव करेगा बल्कि संपत्ति बाजार में विश्वास और स्थिरता भी लाएगा।