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विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA, 1999) : अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश में इसकी भूमिका

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA, 1999) : अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश में इसकी भूमिका

परिचय
भारत की अर्थव्यवस्था उदारीकरण के बाद से तीव्र गति से वैश्विक व्यापार और निवेश के क्षेत्र में जुड़ी है। इस संदर्भ में विदेशी मुद्रा के प्रबंधन का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (Foreign Exchange Management Act – FEMA, 1999) को विशेष रूप से इस उद्देश्य से लागू किया गया था कि विदेशी मुद्रा के प्रवाह, उपयोग और विनियमन को एक सुसंगत और उदारवादी रूप दिया जा सके। यह अधिनियम विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 (FERA) की जगह लागू हुआ और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), विदेश में निवेश, विदेशी ऋण, भुगतान और विदेशों में परिसंपत्तियों के प्रबंधन जैसे पहलुओं को नियंत्रित करता है।


FEMA, 1999 की पृष्ठभूमि और उद्देश्य

FERA, 1973 का स्वरूप अत्यंत कठोर और दंडात्मक था। इसमें विदेशी मुद्रा लेन-देन को अपराध की दृष्टि से देखा जाता था। आर्थिक उदारीकरण के बाद भारत को एक ऐसे कानून की आवश्यकता थी जो विदेशी मुद्रा लेन-देन को अपराध न माने बल्कि प्रशासनिक प्रावधानों के तहत विनियमित करे। इसी आवश्यकता के कारण FEMA, 1999 अस्तित्व में आया।

FEMA का प्रमुख उद्देश्य है –

  1. बाहरी व्यापार और भुगतानों को सुगम बनाना।
  2. विदेशी मुद्रा बाजार को नियंत्रित और व्यवस्थित करना।
  3. भारत में विदेशी निवेश को बढ़ावा देना।
  4. उदारीकरण और वैश्वीकरण के अनुरूप लचीली व्यवस्था उपलब्ध कराना।

FEMA, 1999 के मुख्य प्रावधान

1. विदेशी मुद्रा और पूंजी खाता लेन-देन

  • चालू खाता लेन-देन (Current Account Transactions): इसमें विदेश यात्रा, शिक्षा, चिकित्सा, आयात-निर्यात भुगतान जैसे लेन-देन शामिल हैं। ये सामान्यतः स्वतंत्र होते हैं, लेकिन कुछ लेन-देन पर RBI की अनुमति आवश्यक होती है।
  • पूंजी खाता लेन-देन (Capital Account Transactions): इसमें विदेशी निवेश, अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री, विदेश में निवेश, विदेशी ऋण और प्रतिभूतियों की खरीद-बिक्री शामिल हैं। इन पर RBI का कड़ा नियमन रहता है।

2. RBI और केंद्र सरकार की भूमिका

  • RBI को विदेशी मुद्रा से संबंधित लेन-देन का नियामक बनाया गया है।
  • केंद्र सरकार नीतिगत दिशा तय करती है, जबकि RBI उनके क्रियान्वयन के लिए अधिकृत व्यक्ति (Authorized Person) को अनुमति देता है।

3. अधिकृत व्यक्ति (Authorized Person)

FEMA की धारा 10 के तहत RBI बैंकों, वित्तीय संस्थानों और मनी-चेंजर को विदेशी मुद्रा लेन-देन के लिए अधिकृत कर सकता है।

4. विदेशी निवेश और विदेश में परिसंपत्ति

  • FEMA के तहत विदेशी निवेशकों को भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी जाती है।
  • भारतीय नागरिकों और कंपनियों को विदेश में निवेश करने और परिसंपत्तियां अर्जित करने की अनुमति दी जाती है, बशर्ते RBI की गाइडलाइन का पालन किया जाए।

5. दंड और अपील

  • FEMA के तहत उल्लंघन होने पर दंडात्मक कार्रवाई प्रशासनिक स्वरूप में होती है।
  • धारा 13 के तहत आर्थिक दंड लगाया जा सकता है, लेकिन इसमें आपराधिक दंड का प्रावधान नहीं है जैसा FERA में था।
  • अपील के लिए विशेष अपीलीय प्राधिकरण और अंततः उच्च न्यायालय का सहारा लिया जा सकता है।

FEMA और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

FEMA के कारण भारत में निर्यात-आयात प्रक्रिया सरल हुई है। विदेशी कंपनियों को निवेश और व्यवसाय करने में सुविधा हुई है। इसके परिणामस्वरूप –

  1. भारत में FDI का प्रवाह बढ़ा।
  2. बहुराष्ट्रीय कंपनियों की उपस्थिति मजबूत हुई।
  3. भारतीय कंपनियां विदेशों में निवेश और अधिग्रहण कर सकीं।

FEMA और कॉर्पोरेट गवर्नेंस

  • FEMA ने कंपनियों को विदेशी निवेश और ऋण लेने के लिए पारदर्शी व्यवस्था दी।
  • विदेशी मुद्रा के उपयोग और रिपोर्टिंग के लिए कंपनियों को नियामक दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।
  • इससे कॉर्पोरेट गवर्नेंस की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

FEMA और आर्थिक अपराध

हालांकि FEMA का स्वरूप उदार है, फिर भी इसे आर्थिक अपराधों को रोकने के लिए उपयोग किया जाता है। विशेष रूप से मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला कारोबार पर नजर रखने के लिए FEMA का प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उपयोग किया जाता है। हालांकि, गंभीर मामलों में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) लागू होता है।


FEMA बनाम FERA

आधार FERA, 1973 FEMA, 1999
स्वरूप दंडात्मक (Criminal) प्रशासनिक (Civil)
दृष्टिकोण विदेशी मुद्रा को अपराध की दृष्टि से देखना विदेशी मुद्रा लेन-देन को उदारता से देखना
उद्देश्य विदेशी मुद्रा की कड़ी सुरक्षा विदेशी मुद्रा प्रबंधन और निवेश प्रोत्साहन
दंड जेल और आर्थिक दंड केवल आर्थिक दंड

FEMA की प्रमुख चुनौतियाँ

  1. हवाला और अवैध लेन-देन: इसके बावजूद काला धन और हवाला का कारोबार अभी भी एक चुनौती है।
  2. जटिल प्रक्रियाएँ: कुछ पूंजी खाते लेन-देन अभी भी जटिल हैं।
  3. नियामक अतिक्रमण: RBI और ED की शक्तियों का कभी-कभी दुरुपयोग भी देखा गया है।

निष्कर्ष

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 ने भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक व्यापार और निवेश के लिए अधिक अनुकूल बना दिया। यह अधिनियम विदेशी मुद्रा लेन-देन को अपराध की दृष्टि से नहीं देखता बल्कि प्रशासनिक दृष्टिकोण अपनाकर सरल और पारदर्शी व्यवस्था उपलब्ध कराता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, निवेश और आर्थिक विकास में FEMA की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज भारत की अर्थव्यवस्था जिस वैश्विक स्तर पर खड़ी है, उसमें FEMA का योगदान निर्णायक कहा जा सकता है।


1. FEMA, 1999 का मुख्य उद्देश्य क्या है?

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA) का मुख्य उद्देश्य विदेशी मुद्रा के प्रवाह और उपयोग को सरल, पारदर्शी और नियंत्रित करना है। यह अधिनियम विदेशी व्यापार और भुगतान को सुगम बनाने के साथ-साथ विदेशी मुद्रा बाजार के विकास और सुव्यवस्थित संचालन पर भी ध्यान देता है। पूर्ववर्ती FERA, 1973 की तुलना में FEMA अधिक उदार और लचीला कानून है। इसमें विदेशी मुद्रा लेन-देन को अपराध की तरह नहीं बल्कि प्रशासनिक दृष्टि से देखा जाता है। FEMA का उद्देश्य भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था से जोड़ना, विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना और विदेशी मुद्रा के दुरुपयोग को रोकना है।


2. FEMA और FERA में मुख्य अंतर बताइए।

FERA, 1973 विदेशी मुद्रा को अपराध की दृष्टि से देखता था और इसके उल्लंघन पर आपराधिक दंड, जैसे कारावास तक का प्रावधान था। वहीं FEMA, 1999 का स्वरूप प्रशासनिक है और इसमें उल्लंघन पर केवल आर्थिक दंड लगाया जाता है। FERA का उद्देश्य विदेशी मुद्रा का सख्त संरक्षण करना था, जबकि FEMA का उद्देश्य विदेशी मुद्रा प्रबंधन और उदारीकरण की दिशा में सरल नियम लागू करना है। FERA विदेशी निवेश को हतोत्साहित करता था, जबकि FEMA प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को प्रोत्साहित करता है। इस प्रकार FEMA अधिक उदार, निवेश समर्थक और वैश्विक व्यापार को अनुकूल बनाने वाला कानून है।


3. FEMA में ‘चालू खाता लेन-देन’ से क्या अभिप्राय है?

FEMA, 1999 की धारा 2(j) के अनुसार, चालू खाता लेन-देन (Current Account Transactions) से अभिप्राय ऐसे लेन-देन से है जो व्यापार, सेवाओं, आय, यात्रा, शिक्षा, चिकित्सा और जीवन-यापन से संबंधित हों। उदाहरण के लिए विदेश यात्रा पर खर्च, आयात-निर्यात भुगतान, विदेश में शिक्षा की फीस या चिकित्सा खर्च चालू खाते के अंतर्गत आते हैं। सामान्य रूप से चालू खाता लेन-देन स्वतंत्र होते हैं, किन्तु कुछ विशेष लेन-देन के लिए भारत सरकार या भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की पूर्व अनुमति आवश्यक होती है। इसका उद्देश्य विदेशी मुद्रा के उपयोग को संतुलित करना है ताकि बाहरी लेन-देन पर अनावश्यक दबाव न पड़े।


4. FEMA में ‘पूंजी खाता लेन-देन’ को परिभाषित कीजिए।

FEMA, 1999 की धारा 2(e) के अनुसार पूंजी खाता लेन-देन (Capital Account Transactions) से आशय ऐसे लेन-देन से है जिनसे किसी व्यक्ति की संपत्ति या देनदारी भारत में या विदेश में उत्पन्न या परिवर्तित होती है। इसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), पोर्टफोलियो निवेश, विदेशों में अचल संपत्ति की खरीद, विदेशी ऋण लेना या देना, विदेशी प्रतिभूतियों में निवेश आदि शामिल हैं। पूंजी खाता लेन-देन पर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का कड़ा नियमन रहता है क्योंकि ये देश की आर्थिक स्थिरता को सीधे प्रभावित करते हैं।


5. FEMA के अंतर्गत RBI की क्या भूमिका है?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) FEMA, 1999 के अंतर्गत केंद्रीय नियामक प्राधिकरण है। FEMA की धारा 10 के अनुसार RBI विदेशी मुद्रा लेन-देन के लिए अधिकृत व्यक्ति (Authorized Person) को अनुमति देता है, जैसे बैंक, मनी चेंजर, वित्तीय संस्थान आदि। RBI विदेशी निवेश, चालू और पूंजी खाता लेन-देन, विदेशी ऋण, निर्यात-आयात भुगतान आदि को नियंत्रित करता है। साथ ही RBI दिशा-निर्देश जारी करता है जिससे विदेशी मुद्रा बाजार का संचालन पारदर्शी और व्यवस्थित बना रहे।


6. FEMA में अधिकृत व्यक्ति (Authorized Person) कौन होता है?

FEMA की धारा 10 के अनुसार अधिकृत व्यक्ति वह संस्था या व्यक्ति होता है जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा विदेशी मुद्रा लेन-देन के लिए अधिकृत किया गया हो। इसमें अनुसूचित बैंक, वित्तीय संस्थान, मनी-चेंजर और अन्य मान्यता प्राप्त संस्थान शामिल हैं। अधिकृत व्यक्ति विदेशी मुद्रा की खरीद-बिक्री, विदेश प्रेषण, यात्रा और शिक्षा से जुड़े भुगतान, तथा विदेशी निवेश संबंधी कार्यों में मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं।


7. FEMA के अंतर्गत विदेशी निवेश को कैसे नियंत्रित किया जाता है?

FEMA, 1999 के अंतर्गत विदेशी निवेश को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और पोर्टफोलियो निवेश (FPI) के रूप में नियंत्रित किया जाता है। भारत सरकार नीतिगत दिशा तय करती है जबकि RBI इन निवेशों के क्रियान्वयन की अनुमति देता है। विदेशी निवेशक भारतीय कंपनियों में स्वीकृत क्षेत्रों में निवेश कर सकते हैं। कुछ संवेदनशील क्षेत्रों जैसे रक्षा, बीमा, दूरसंचार में निवेश पर सीमा और शर्तें लगाई गई हैं।


8. FEMA में दंडात्मक प्रावधान क्या हैं?

FEMA का स्वरूप प्रशासनिक है, इसलिए इसमें उल्लंघन पर आपराधिक दंड नहीं बल्कि आर्थिक दंड का प्रावधान है। धारा 13 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति FEMA का उल्लंघन करता है, तो उस पर तीन गुना तक का आर्थिक दंड लगाया जा सकता है। यदि निर्धारित समय में दंड का भुगतान नहीं किया जाता तो उस पर ब्याज सहित अतिरिक्त दंड लगाया जा सकता है। FEMA के अंतर्गत प्रवर्तन निदेशालय (ED) को जांच और दंड लगाने का अधिकार है।


9. FEMA और मनी लॉन्ड्रिंग नियंत्रण में क्या संबंध है?

हालांकि मनी लॉन्ड्रिंग को नियंत्रित करने के लिए मुख्य रूप से PMLA, 2002 लागू होता है, लेकिन FEMA का भी इसमें सहयोगी योगदान है। FEMA विदेशी मुद्रा से संबंधित लेन-देन और हवाला कारोबार पर नियंत्रण रखता है। यदि विदेशी मुद्रा का अवैध उपयोग पाया जाता है, तो प्रवर्तन निदेशालय (ED) FEMA के तहत कार्रवाई करता है। इसके साथ ही गंभीर मामलों में PMLA के तहत भी मामला दर्ज किया जा सकता है।


10. FEMA की प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

FEMA, 1999 की सबसे बड़ी चुनौती है विदेशी मुद्रा के अवैध लेन-देन (हवाला) और मनी लॉन्ड्रिंग पर नियंत्रण। इसके अलावा पूंजी खाता लेन-देन की जटिल प्रक्रियाएँ, विदेशी निवेश से संबंधित नीतियों में बार-बार बदलाव और RBI व ED की शक्तियों का अतिक्रमण भी समस्याएँ उत्पन्न करता है। वैश्वीकरण और डिजिटल लेन-देन के युग में FEMA को और अधिक प्रभावी तथा आधुनिक बनाने की आवश्यकता है ताकि यह भारतीय अर्थव्यवस्था की सुरक्षा और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने में संतुलन बनाए रख सके।