प्रश्न 2: वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अंतर्गत प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की संरचना, शक्तियाँ और कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परिचय:
वायु प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है, जो मानव स्वास्थ्य, वनस्पति और जलवायु को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती है। भारत सरकार ने इस चुनौती से निपटने के लिए वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 लागू किया। इसका उद्देश्य वायु प्रदूषण को रोकना, नियंत्रित करना और देश में स्वच्छ वायु सुनिश्चित करना है। इस अधिनियम के अंतर्गत केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की स्थापना की गई, जिनके पास विशेष शक्तियाँ और कर्तव्यों का निर्धारण किया गया है।
1. बोर्डों की संरचना (Structure of the Boards):
(क) केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB):
संस्थापन: जल अधिनियम, 1974 के तहत गठित CPCB को वायु अधिनियम, 1981 के तहत भी वायु प्रदूषण नियंत्रण हेतु उत्तरदायित्व सौंपा गया है।
संरचना:
- एक अध्यक्ष (केन्द्र सरकार द्वारा नामित)
- एक सदस्य-सचिव
- सरकारी और गैर-सरकारी विशेषज्ञ सदस्य (कुल 15 से अधिक नहीं)
(ख) राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB):
संस्थापन: राज्य सरकारों द्वारा गठित, जो राज्य में अधिनियम का कार्यान्वयन करते हैं।
संरचना:
- एक अध्यक्ष (राज्य सरकार द्वारा नियुक्त)
- एक सदस्य-सचिव
- सरकार के प्रतिनिधि, स्थानीय निकायों के सदस्य, उद्योग विशेषज्ञ आदि (कुल सदस्य 15 से अधिक नहीं)
2. बोर्डों की शक्तियाँ (Powers of the Boards):
(क) केंद्रीय बोर्ड की शक्तियाँ:
- राष्ट्रीय नीतियों का निर्माण: वायु प्रदूषण नियंत्रण हेतु केंद्रीय स्तर पर नीतियाँ और दिशा-निर्देश तैयार करना।
- राज्य बोर्डों का समन्वय: सभी राज्यों में प्रदूषण नियंत्रण की नीतियों का एकरूप कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।
- शोध एवं विकास: वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए नई तकनीकों और तरीकों पर अनुसंधान को बढ़ावा देना।
- प्रशिक्षण कार्यक्रम: अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना।
- जन जागरूकता: जनता को वायु प्रदूषण के खतरों और निवारण के उपायों से अवगत कराना।
(ख) राज्य बोर्ड की शक्तियाँ:
- उद्योगों को अनुमति देना या रद्द करना: वायु प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को संचालित करने की अनुमति देना या रद्द करना।
- निरीक्षण और निगरानी: औद्योगिक इकाइयों का निरीक्षण करना और वायु गुणवत्ता की निगरानी करना।
- उपकरणों की जब्ती: प्रदूषण फैलाने वाले उपकरणों को जब्त करने का अधिकार।
- प्रदूषणकारी गतिविधियों पर रोक: वायु प्रदूषण फैलाने वाले किसी भी व्यक्ति या संस्था को रोकने हेतु निर्देश देना।
- दंडात्मक कार्रवाई: नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करना।
3. बोर्डों के कार्य (Functions of the Boards):
(क) केंद्रीय बोर्ड के कार्य:
- वायु प्रदूषण की निगरानी हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाना।
- राज्य बोर्डों को तकनीकी सहायता प्रदान करना।
- वायु गुणवत्ता के मानकों का निर्धारण करना।
- प्रदूषण की रोकथाम हेतु पब्लिकेशन, सेमिनार, वर्कशॉप आदि आयोजित करना।
(ख) राज्य बोर्ड के कार्य:
- राज्य में वायु प्रदूषण की स्थिति का मूल्यांकन करना।
- वायु गुणवत्ता बनाए रखने हेतु नियंत्रण क्षेत्रों की घोषणा करना।
- राज्य में लागू कानूनों का पालन सुनिश्चित करना।
- प्रदूषण को रोकने हेतु उपकरणों की स्वीकृति देना।
निष्कर्ष:
वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 भारत में स्वच्छ वायु सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लागू किया गया था। इस अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। यदि इन बोर्डों की शक्तियों और कार्यों को सही रूप से लागू किया जाए, तो वायु प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण संभव है।