“वसीयत की वैधता और लिखित बयान की विधिक जिम्मेदारी पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देशात्मक निर्णय”
🔍 मामले का संक्षिप्त विवरण:
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में वसीयत (Will) की प्रामाणिकता और दीवानी प्रक्रिया संहिता (CPC) के तहत लिखित बयान (Written Statement) की विधिक संरचना पर विस्तृत टिप्पणी की। मामला इस प्रश्न पर केंद्रित था कि क्या वसीयत संदिग्ध परिस्थितियों से घिरी थी, विशेषकर तब जब वसीयकर्ता ने अपनी विधवा और नाबालिग पुत्री का वसीयत में कोई उल्लेख नहीं किया और संपत्ति का एक हिस्सा अपने भाई की पुत्री (वादी-प्रतिवादिनी) को सौंप दिया था, जिसे वह अपनी बेटी के समान मानता था।
🧾 A. वसीयत की प्रामाणिकता: Succession Act, 1925 की धारा 63 और CPC Order 8 Rule 3 एवं 5 के अंतर्गत
⚖️ मुख्य कानूनी बिंदु:
- वसीयत के खिलाफ यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि वसीयकर्ता बीमार था और परिजनों (पत्नी और पुत्री) को अकारण वंचित किया गया था।
- प्रतिवादी (Appellants) ने संदेह जताया कि वसीयत जबरन या दुर्बल मानसिक स्थिति में कराई गई।
- लेकिन क्रॉस एग्जामिनेशन में यह सामने आया कि वसीयत के समय प्रतिवादी वसीयकर्ता के साथ नहीं रह रही थीं।
📌 सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:
- वसीयत पर कोई संदिग्ध परिस्थिति (Suspicious Circumstances) नहीं पाई गई।
- यह तथ्य कि वसीयकर्ता ने अपने जीवन में जिनके साथ आत्मीयता महसूस की, उन्हें संपत्ति सौंपी, अस्वाभाविक नहीं है।
- हाईकोर्ट का निर्णय सही ठहराया गया और वसीयत को वैध माना गया।
📖 प्रासंगिक कानून:
- Succession Act, 1925 की धारा 63: वसीयत की विधिसम्मत प्रक्रिया
- CPC Order 8 Rule 3 & 5: लिखित बयान में स्पष्ट उत्तरों की आवश्यकता
🧾 B. लिखित बयान की विधिक जिम्मेदारी:
📘 CPC की प्रासंगिकता:
- Order 8 Rule 3: प्रतिवादी को प्रत्येक आरोप का स्पष्ट उत्तर देना होता है।
- Order 8 Rule 5: यदि प्रतिवादी कोई उत्तर नहीं देता है, तो उसे स्वीकृत (Deemed to be admitted) माना जा सकता है।
📌 न्यायालय की टिप्पणी:
- लिखित बयान में प्रत्येक अनुच्छेदवार (Paragraph-wise) उत्तर अनिवार्य है।
- अस्पष्ट या आम जवाब वाद प्रक्रिया को बाधित करते हैं।
- यह प्रक्रिया न्यायिक कार्यवाही की पारदर्शिता और स्पष्टता सुनिश्चित करती है।
✅ न्यायालय का निष्कर्ष:
- वसीयत पूरी तरह वैध और स्वतंत्र इच्छाशक्ति से बनाई गई पाई गई।
- प्रतिवादी द्वारा लगाए गए आरोप केवल आशंका पर आधारित थे, जिनका कोई ठोस साक्ष्य नहीं था।
- लिखित बयान में उत्तर की स्पष्टता आवश्यक है; इसका अनुपालन न होने पर आरोप को स्वीकृत माना जा सकता है।
🔚 न्यायिक महत्व:
यह निर्णय दो महत्वपूर्ण सिद्धांतों को उजागर करता है:
- वसीयत करने का अधिकार वसीयकर्ता का व्यक्तिगत और स्वतंत्र निर्णय है, जब तक कि वह वैधानिक रूप से किया गया हो।
- न्यायिक प्रक्रिया में जवाबदेही और अनुशासन सुनिश्चित करने हेतु लिखित बयान को विधिक नियमों के अनुसार ही प्रस्तुत करना अनिवार्य है।