राज्य निजी शैक्षणिक संस्थाओं का अधिग्रहण कर सकता है, लेकिन बिना मुआवज़े के नहीं: सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

शीर्षक:
राज्य निजी शैक्षणिक संस्थाओं का अधिग्रहण कर सकता है, लेकिन बिना मुआवज़े के नहीं: सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

लंबा लेख:
Sanatam Dharam Pratinidhi Sabha बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य

भूमिका:
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार यदि किसी निजी प्रबंधन द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्था का अधिग्रहण करती है, तो वह संस्था के चल-अचल संपत्तियों के लिए उपयुक्त मुआवज़ा देने की कानूनी बाध्यता से मुक्त नहीं हो सकती। यह निर्णय Sanatam Dharam Pratinidhi Sabha बनाम State of Himachal Pradesh & Others मामले में सुनाया गया।

मामले की पृष्ठभूमि:
इस मामले में Sanatam Dharam Pratinidhi Sabha ने एक निजी शैक्षणिक संस्था को संचालित किया था। बाद में हिमाचल प्रदेश सरकार ने उस संस्था का अधिग्रहण कर लिया। संस्था के प्रबंधन ने इसका विरोध करते हुए यह दावा किया कि राज्य सरकार द्वारा संस्था की संपत्ति का अधिग्रहण बिना किसी मुआवज़े के किया गया, जो अनुचित और असंवैधानिक है।

हाई कोर्ट का निर्णय:
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि राज्य सरकार को इस प्रकार के अधिग्रहण के लिए संस्था को उचित मुआवज़ा देना आवश्यक है। चाहे राज्य यह दावा करे कि सार्वजनिक हित में यह अधिग्रहण आवश्यक था, फिर भी वह संस्था द्वारा वर्षों में विकसित की गई चल एवं अचल संपत्तियों की भरपाई किए बिना उस पर अधिकार नहीं जमा सकती।

सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण:
इस निर्णय के विरुद्ध राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, परंतु सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखते हुए स्पष्ट किया कि—

  • शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार हो सकता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि सरकार निजी निवेश और प्रयासों को जबरन अधिग्रहित कर सकती है।
  • निजी संस्थाओं ने यदि अपने संसाधनों से भवन, प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय आदि बनाए हैं, तो सरकार को अधिग्रहण करते समय उनकी लागत का उचित मुआवज़ा देना ही होगा।
  • संविधान के अनुच्छेद 300A (Right to Property) के तहत किसी की संपत्ति को बिना मुआवज़े के नहीं छीना जा सकता।

महत्वपूर्ण विधिक बिंदु:

  • संविधान का अनुच्छेद 300A: संपत्ति का अधिकार – कोई भी व्यक्ति कानून द्वारा निर्धारित मुआवज़े के बिना अपनी संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता।
  • यह निर्णय न्याय, समता और निजी अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।

निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार यदि सार्वजनिक हित के लिए किसी निजी संस्था का अधिग्रहण करती है, तो उसे उस संस्था द्वारा की गई निवेश की भरपाई करना आवश्यक है। यह निर्णय देशभर के निजी शैक्षणिक प्रबंधनों के अधिकारों की रक्षा करता है और सरकारों को यह संदेश देता है कि विकास की प्रक्रिया में न्याय और संतुलन का पालन करना अनिवार्य है।