“राजस्व अधिकारी रजिस्टर्ड विलेख की वैधता को चुनौती न देने वाले सामान्य आपत्ति या लंबित दीवानी वाद के आधार पर म्यूटेशन से इनकार नहीं कर सकते: कर्नाटक उच्च न्यायालय”

शीर्षक: “राजस्व अधिकारी रजिस्टर्ड विलेख की वैधता को चुनौती न देने वाले सामान्य आपत्ति या लंबित दीवानी वाद के आधार पर म्यूटेशन से इनकार नहीं कर सकते: कर्नाटक उच्च न्यायालय”

विस्तृत लेख:

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि राजस्व अधिकारी (Revenue Authorities) किसी भी संपत्ति की म्यूटेशन (Mutation) की प्रक्रिया को केवल इस आधार पर अस्वीकार नहीं कर सकते कि उस संपत्ति से संबंधित कोई सामान्य आपत्ति (general objection) या लंबित दीवानी वाद (pending civil suit) है, जब तक कि उस दीवानी वाद में रजिस्टर्ड विलेख (Registered Deed) की वैधता या उस विलेख के माध्यम से स्थानांतरित की गई विशिष्ट संपत्ति (specific property) को प्रत्यक्ष रूप से चुनौती नहीं दी गई हो।

📌 न्यायालय का तर्क:

  1. म्यूटेशन प्रशासनिक कार्यवाही है:
    म्यूटेशन एक प्रशासनिक प्रकिया है जिसका मुख्य उद्देश्य केवल यह दर्ज करना है कि किस व्यक्ति का नाम राजस्व अभिलेखों में मालिक के रूप में दर्ज होना चाहिए। यह प्रक्रिया स्वामित्व निर्धारण नहीं करती, बल्कि केवल रिकॉर्ड की अद्यतनता सुनिश्चित करती है।
  2. पंजीकृत दस्तावेज़ की वैधता:
    यदि कोई व्यक्ति विधिवत पंजीकृत बिक्री विलेख या अन्य वैध दस्तावेज़ के आधार पर संपत्ति का अधिकार प्राप्त करता है, तो केवल इस आधार पर म्यूटेशन से इनकार नहीं किया जा सकता कि किसी तीसरे पक्ष ने आपत्ति दर्ज की है या कोई दीवानी मुकदमा लंबित है, जब तक कि उस वाद में रजिस्टर्ड विलेख की वैधता को प्रत्यक्ष चुनौती नहीं दी गई हो।
  3. न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं:
    न्यायालय ने यह भी कहा कि राजस्व रिकॉर्ड्स का अद्यतन करने से रोकने हेतु दीवानी न्यायालय से स्थगन आदेश (injunction) प्राप्त किया जाना आवश्यक होता है, अन्यथा केवल वाद लंबित होना पर्याप्त नहीं है।

⚖️ इस निर्णय का महत्व:

  • यह फैसला उन मामलों में मार्गदर्शन प्रदान करता है जहां लोग किसी संपत्ति पर आपत्ति दर्ज कराकर या दीवानी मुकदमा दायर कर सिर्फ म्यूटेशन को बाधित करना चाहते हैं।
  • यह स्वामित्व अधिकारों की पारदर्शिता और प्रशासनिक निष्पक्षता सुनिश्चित करता है।
  • यह भूमि मामलों में रजिस्ट्री और म्यूटेशन के बीच संतुलन स्थापित करता है।

निष्कर्ष:

कर्नाटक उच्च न्यायालय का यह निर्णय बताता है कि राजस्व अधिकारी का कार्य कानूनी दस्तावेज़ों के आधार पर रिकॉर्ड अपडेट करना है, न कि किसी संभावित विवाद या सामान्य आपत्ति के आधार पर निर्णय देना। जब तक रजिस्टर्ड विलेख पर कोई स्पष्ट और वैध कानूनी चुनौती लंबित नहीं है, तब तक म्यूटेशन को रोका नहीं जा सकता।