राजस्थान में धर्म परिवर्तन पर नया कानून: 90 दिन पहले कलक्टर को सूचना देना अनिवार्य, उल्लंघन पर कड़ी सजा
जयपुर: राजस्थान विधानसभा ने हाल ही में राजस्थान विधिविरुद्ध धर्म-संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक, 2025 पारित किया। इस विधेयक का उद्देश्य जबरन और प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन को रोकना और सभी धर्मों के लिए समान नियम लागू करना है। अब किसी भी धर्म के व्यक्ति को अन्य धर्म में शादी करने या किसी अन्य उद्देश्य से धर्म परिवर्तन करने के लिए कलक्टर को 90 दिन पहले सूचना देनी होगी और स्वैच्छा से धर्म परिवर्तन का घोषणा पत्र प्रस्तुत करना होगा।
विधेयक के मुख्य प्रावधान
विधेयक के तहत कई ऐसे प्रावधान शामिल किए गए हैं जो धर्मांतरण के मामलों में स्पष्टता और नियम सुनिश्चित करेंगे। इनमें से प्रमुख हैं:
- 90 दिन पहले सूचना अनिवार्य:
किसी भी धर्म का व्यक्ति यदि अन्य धर्म में शादी करना चाहता है या धर्म परिवर्तन करना चाहता है, तो उसे 90 दिन पहले कलक्टर को आवेदन देना होगा। यह कदम सुनिश्चित करता है कि धर्म परिवर्तन स्वैच्छा और नियमों के अनुसार किया जाए। - घोषणा पत्र और पहचान दस्तावेज:
धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को घोषणा पत्र प्रस्तुत करना होगा। इसके साथ फोटो पहचान पत्र या आधार कार्ड की कॉपी भी संलग्न करनी होगी। - सार्वजनिक सूचना और आपत्तियों का समय:
कलक्टर या एडीएम कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर धर्म परिवर्तन की सूचना चस्पा की जाएगी। इस सूचना पर एक महीने के भीतर आपत्तियां मांगी जा सकती हैं। किसी भी आपत्ति की जांच और सुनवाई के बाद ही धर्म परिवर्तन को वैध माना जाएगा। - सामूहिक धर्म परिवर्तन पर कड़ी सजा:
यदि कोई समूह या संस्था सामूहिक धर्म परिवर्तन कराती है, तो इसमें 20 साल से उम्रकैद तक की सजा और 25 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। - जबरन धर्म परिवर्तन और अवैध संस्थाओं पर कार्रवाई:
- जबरन धर्म परिवर्तन कराने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा।
- अवैध धर्मांतरण कराने वाली संस्थाओं के निर्माण स्थल प्रशासन जब्त और ध्वस्त करेगा।
- ऐसी संस्थाओं पर एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
- शादी और धर्म परिवर्तन का संबंध:
विधेयक में धर्म परिवर्तन के मकसद से शादी करने को धर्मांतरण की परिभाषा में शामिल किया गया है। यदि कोई व्यक्ति झूठे वादे, बहला-फुसला कर या गलत जानकारी देकर शादी करता है और शादी से पहले या बाद में धर्म परिवर्तन करता है, तो इसे धर्मांतरण माना जाएगा। - मर्जी से धर्म परिवर्तन:
यहां तक कि यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करता है, तब भी उसे 90 दिन पहले कलक्टर या एडीएम के पास आवेदन देना और धर्म परिवर्तन की सार्वजनिक सूचना देना अनिवार्य होगा। - धर्म परिवर्तन की सत्यता:
कलक्टर को धर्म परिवर्तन की सत्यता जांचने का अधिकार होगा। यदि कोई व्यक्ति घोषणा पत्र प्रस्तुत करता है, तो सत्यापन के लिए आवश्यक जांच की जाएगी। - मूल धर्म में वापसी पर प्रावधान:
यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन के बाद मूल धर्म में लौटता है, तो इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा। इस प्रावधान का उद्देश्य धार्मिक स्वतंत्रता और स्वैच्छिक निर्णय की रक्षा करना है। - अनुष्ठान और धार्मिक अनुदान:
यदि धर्म परिवर्तन का आयोजन अनुष्ठान या धार्मिक कार्यक्रम के रूप में किया जाता है, तो मजिस्ट्रेट को सूचित करना होगा, और सभी नियमों का पालन अनिवार्य होगा।
लव जिहाद और कानूनी दृष्टिकोण
विधेयक में धर्म परिवर्तन के शादी के मकसद को भी शामिल किया गया है। इसे आमतौर पर लव जिहाद से जोड़कर देखा जा रहा है। यदि कोई व्यक्ति झूठे वादे करके या बहला-फुसला कर धर्म परिवर्तन कराता है, तो इसके तहत सख्त सजा का प्रावधान है।
- कोर्ट या प्रशासन यह देखेंगे कि धर्म परिवर्तन वास्तविक और स्वैच्छा से हुआ है या प्रलोभन और जबरदस्ती से।
- सजा का प्रावधान स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया है, ताकि अवैध धर्मांतरण और विवाहों के माध्यम से अनैतिक उद्देश्य को रोका जा सके।
प्रशासनिक प्रक्रिया और जांच
धर्म परिवर्तन के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया लागू होगी:
- घोषणा पत्र प्रस्तुत करना: धर्म परिवर्तन करने वाला व्यक्ति कलक्टर के सामने 72 घंटे के भीतर घोषणा पत्र प्रस्तुत करेगा।
- फोटो पहचान और आधार कार्ड: घोषणा पत्र के साथ पहचान दस्तावेज अनिवार्य होंगे।
- आपत्तियों का निवारण: नोटिस बोर्ड पर सूचना प्रकाशित होने के बाद एक महीने में आपत्तियां मांगी जा सकती हैं, और सुनवाई के बाद ही धर्म परिवर्तन को वैध माना जाएगा।
- सत्यापन: कलक्टर को किसी भी शंका या आपत्ति की स्थिति में जांच कराने का अधिकार होगा।
- स्वैच्छा का प्रमाण: धर्म परिवर्तन कराने वाले व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि धर्म परिवर्तन स्वेच्छा से किया गया।
समान रूप से लागू कानून
विधेयक सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी धर्म के व्यक्ति के लिए धर्मांतरण की प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो।
- सभी धर्मों के लोग धर्म परिवर्तन कर सकते हैं, लेकिन नियम और प्रक्रियाओं का पालन करना अनिवार्य होगा।
- अवैध और जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में कठोर सजा और जुर्माना लागू होगा।
- मूल धर्म में वापसी को धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा, जिससे धार्मिक स्वतंत्रता सुरक्षित रहे।
सामाजिक और कानूनी प्रभाव
इस विधेयक का उद्देश्य न केवल धर्मांतरण को नियंत्रित करना है, बल्कि यह सामाजिक व्यवस्था और कानून के प्रति विश्वास भी बनाए रखता है।
- धार्मिक स्वतंत्रता और सुरक्षा: यह सुनिश्चित करता है कि धर्म परिवर्तन स्वैच्छा और नियमों के अनुसार किया जाए।
- अवैध गतिविधियों पर रोक: जबरन धर्म परिवर्तन और अवैध संस्थाओं की गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
- समाज में जागरूकता: समाज को यह संदेश जाएगा कि धर्म परिवर्तन एक गंभीर और पारदर्शी प्रक्रिया है।
भविष्य की दिशा
राजस्थान विधिविरुद्ध धर्म-संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025 का पारित होना यह संकेत देता है कि राज्य सरकार धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया को कानूनी और नियंत्रित तरीके से लागू करना चाहती है।
- प्रशासन को अब सभी आवेदन, घोषणा पत्र और सत्यापन की निगरानी करनी होगी।
- अवैध और जबरन धर्मांतरण की घटनाओं में कठोर कार्रवाई की जाएगी।
- समाज में धार्मिक स्वतंत्रता और सुरक्षा के संतुलन को बनाए रखा जाएगा।
निष्कर्ष
राजस्थान में धर्म परिवर्तन पर नया कानून यह सुनिश्चित करता है कि धर्म परिवर्तन स्वैच्छा और पारदर्शिता के साथ किया जाए, और जबरदस्ती, प्रलोभन या गलत जानकारी के माध्यम से धर्मांतरण रोका जाए।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान:
- 90 दिन पहले कलक्टर को सूचना और घोषणा पत्र।
- सार्वजनिक सूचना और आपत्तियों की सुनवाई।
- अवैध धर्मांतरण में सख्त सजा और जुर्माना।
- सामूहिक धर्म परिवर्तन पर 20 साल से उम्रकैद तक सजा।
- स्वैच्छा से धर्म परिवर्तन करने वालों के लिए भी नियमों का पालन अनिवार्य।
- मूल धर्म में वापसी को धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा।
यह कानून सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होगा और धार्मिक स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय और कानून का संतुलन सुनिश्चित करेगा।
- सवाल: राजस्थान में धर्म परिवर्तन के लिए अब क्या अनिवार्य है?
उत्तर: किसी भी धर्म के व्यक्ति को 90 दिन पहले कलक्टर को सूचना और घोषणा पत्र देना अनिवार्य होगा। - सवाल: घोषणा पत्र के साथ कौन से दस्तावेज देना होंगे?
उत्तर: फोटो पहचान पत्र और आधार कार्ड की कॉपी। - सवाल: धर्म परिवर्तन की सूचना कहां चस्पा होगी?
उत्तर: कलक्टर या एडीएम के दफ्तर के नोटिस बोर्ड पर। - सवाल: आपत्तियों के लिए कितने दिन मिलेंगे?
उत्तर: नोटिस प्रकाशित होने के बाद एक महीने के भीतर आपत्तियां मांगी जा सकती हैं। - सवाल: सामूहिक धर्म परिवर्तन पर क्या सजा है?
उत्तर: 20 साल से उम्रकैद तक और 25 लाख रुपए तक जुर्माना। - सवाल: अवैध धर्म परिवर्तन करने वाली संस्थाओं पर क्या कार्रवाई होगी?
उत्तर: रजिस्ट्रेशन रद्द, निर्माण स्थल जब्त और ध्वस्त, एक करोड़ रुपए तक जुर्माना। - सवाल: शादी के उद्देश्य से धर्म परिवर्तन को विधेयक में कैसे देखा गया है?
उत्तर: इसे धर्मांतरण की परिभाषा में शामिल किया गया है। - सवाल: स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति पर क्या लागू होगा?
उत्तर: उन्हें भी 90 दिन पहले आवेदन और सार्वजनिक सूचना देनी होगी। - सवाल: मूल धर्म में वापसी को कानून के अनुसार क्या माना जाएगा?
उत्तर: धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा। - सवाल: धर्म परिवर्तन की सत्यता कैसे सुनिश्चित होगी?
उत्तर: कलक्टर को सत्यापन और जांच कराने का अधिकार होगा, और व्यक्ति को स्वैच्छा का प्रमाण देना होगा।