राजनीति विज्ञान (Political Science) :
* भारतीय राजनीति और शासन प्रणाली :
परिचय
भारतीय राजनीति और शासन प्रणाली विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रणाली है। भारत में लोकतंत्र की स्थापना संविधान के माध्यम से 26 जनवरी 1950 को हुई थी। यह प्रणाली नागरिकों को मौलिक अधिकारों के साथ-साथ सरकार के निर्माण में भागीदारी का अधिकार भी प्रदान करती है।
संविधान और उसकी भूमिका
भारत का संविधान देश की सर्वोच्च विधि है। यह संघात्मक ढांचा, शक्तियों का विभाजन, मौलिक अधिकार और कर्तव्य, तथा विभिन्न संवैधानिक संस्थाओं की संरचना और कार्यप्रणाली को निर्धारित करता है। संविधान द्वारा भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया है।
सरकार की संरचना
भारतीय शासन प्रणाली त्रिस्तरीय होती है:
- केंद्र सरकार – प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कार्य करती है और राष्ट्रीय नीति निर्धारण का कार्य करती है।
- राज्य सरकारें – राज्यों में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में कार्य करती हैं।
- स्थानीय स्वशासन – पंचायतें और नगरपालिकाएं ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थानीय शासन का कार्य करती हैं।
तीनों अंग: विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका
- विधायिका (Legislature) – संसद (लोकसभा और राज्यसभा) कानून बनाने का कार्य करती है।
- कार्यपालिका (Executive) – राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद मिलकर नीतियों को लागू करती है।
- न्यायपालिका (Judiciary) – स्वतंत्र न्यायपालिका संविधान की रक्षा करती है और कानूनों की व्याख्या करती है।
राजनीतिक दल और चुनाव
भारत में बहुदलीय प्रणाली है। प्रमुख राष्ट्रीय दलों में भारतीय जनता पार्टी (BJP), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) आदि हैं। चुनाव आयोग स्वतंत्र संस्था है जो चुनाव प्रक्रिया की निगरानी करता है।
नागरिकों की भूमिका
लोकतंत्र में नागरिकों की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। वोट देना, जागरूक रहना, और सरकार की नीतियों की समीक्षा करना एक जागरूक नागरिक की जिम्मेदारी है।
निष्कर्ष:
भारतीय राजनीति और शासन प्रणाली का उद्देश्य नागरिकों के हितों की रक्षा करना, सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखना है। यह प्रणाली विविधताओं से भरे भारत को एकजुट रखने में सहायक है।
* अंतरराष्ट्रीय संबंध
परिचय
अंतरराष्ट्रीय संबंध (International Relations) वह अध्ययन क्षेत्र है जो विभिन्न देशों के बीच आपसी संबंधों, सहयोग, संघर्ष, कूटनीति, वैश्विक संस्थाओं और नीतियों को समझने और विश्लेषण करने का कार्य करता है। यह विषय राजनीति, अर्थशास्त्र, कानून, इतिहास और समाजशास्त्र से गहराई से जुड़ा हुआ है।
मुख्य उद्देश्य
- राष्ट्रों के बीच शांति और सहयोग को बढ़ावा देना
- वैश्विक समस्याओं जैसे युद्ध, आतंकवाद, पर्यावरणीय संकट आदि का समाधान
- वैश्विक व्यापार, सुरक्षा, मानवाधिकार और विकास के मुद्दों पर नीति निर्माण
मुख्य तत्व
- कूटनीति (Diplomacy) – देशों के बीच वार्ता, समझौते और सहयोग का माध्यम।
- अंतरराष्ट्रीय संगठन – जैसे संयुक्त राष्ट्र (UNO), विश्व बैंक, IMF, WTO, आदि, जो वैश्विक व्यवस्था में स्थिरता बनाए रखने का कार्य करते हैं।
- विदेश नीति – प्रत्येक देश की अपनी नीति होती है जिसके द्वारा वह दूसरे देशों के साथ संबंध स्थापित करता है। भारत की विदेश नीति ‘पंचशील सिद्धांत’ और ‘गुटनिरपेक्षता’ जैसे मूल्यों पर आधारित रही है।
- वैश्वीकरण – व्यापार, संस्कृति, तकनीक और सूचना का सीमाओं के पार आदान-प्रदान।
भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंध
भारत एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति है और विश्व के अनेक देशों के साथ राजनीतिक, आर्थिक, सामरिक और सांस्कृतिक संबंध बनाए हुए है। भारत की प्रमुख विदेश नीति के स्तंभ हैं:
- गुटनिरपेक्ष आंदोलन में नेतृत्व
- पड़ोसी पहले की नीति
- रणनीतिक साझेदारियाँ (जैसे अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस के साथ)
- सार्क, ब्रिक्स, ASEAN जैसी क्षेत्रीय संगठनों में सक्रिय भूमिका
चुनौतियाँ और अवसर
- सीमा विवाद, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, और आर्थिक असमानता जैसी समस्याएँ
- साथ ही, भारत के पास वैश्विक मंच पर नेतृत्व, डिजिटल कूटनीति और शांति स्थापना में योगदान देने के अवसर भी हैं।
निष्कर्ष
अंतरराष्ट्रीय संबंधों का क्षेत्र निरंतर बदल रहा है। आज जब दुनिया एक “वैश्विक गाँव” बन चुकी है, तब राष्ट्रों के बीच सहयोग, संवाद और समझ की अत्यधिक आवश्यकता है। भारत को अपनी नीति और कूटनीति के माध्यम से शांति और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।