1. राज्य क्या है? उसकी विशेषताएँ बताइए।
राज्य एक संगठित राजनीतिक इकाई है जिसमें एक निश्चित क्षेत्र, स्थायी जनसंख्या, सरकार तथा संप्रभुता होती है। यह कानून बनाने, लागू करने और न्याय प्रदान करने की शक्ति रखता है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं – (1) निश्चित क्षेत्रफल, (2) स्थायी जनसंख्या, (3) संगठित सरकार, (4) आंतरिक एवं बाह्य संप्रभुता। राज्य का उद्देश्य नागरिकों की सुरक्षा, कानून व्यवस्था बनाए रखना और कल्याणकारी कार्य करना होता है।
2. संप्रभुता (Sovereignty) क्या है?
संप्रभुता का अर्थ है – किसी राज्य की अंतिम एवं सर्वोच्च शक्ति। यह दो प्रकार की होती है – आंतरिक (राज्य की अपने नागरिकों पर सर्वोच्च सत्ता) और बाह्य (दूसरे देशों से स्वतंत्रता)। बॉडिन और ऑस्टिन जैसे विद्वानों ने इसे कानून का सर्वोच्च स्रोत माना है। आधुनिक युग में संप्रभुता सीमित होती जा रही है, जैसे – संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों के प्रभाव से।
3. लोकतंत्र (Democracy) की विशेषताएँ लिखिए।
लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है जिसमें सत्ता जनता के हाथ में होती है। इसकी विशेषताएँ हैं – (1) जनप्रतिनिधियों द्वारा शासन, (2) स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव, (3) विधि का शासन, (4) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, (5) बहुसंख्यक निर्णय के साथ अल्पसंख्यकों का सम्मान। भारत एक प्रतिनिधि लोकतंत्र है जहाँ संसद और विधानसभाएँ जनता के द्वारा चुनी जाती हैं।
4. समाजवाद (Socialism) क्या है?
समाजवाद एक राजनीतिक एवं आर्थिक सिद्धांत है जो संसाधनों और उत्पादन के साधनों के सामाजिक स्वामित्व की बात करता है। इसका उद्देश्य है – आर्थिक समानता, शोषण का अंत, और सामाजिक न्याय। इसमें लाभ का उद्देश्य नहीं बल्कि जनहित सर्वोपरि होता है। भारत का संविधान भी समाजवाद को अपनाता है, जैसा कि प्रस्तावना में उल्लिखित है।
5. संसद की भूमिका पर टिप्पणी कीजिए।
भारतीय संसद देश की सर्वोच्च विधायिका है, जिसमें राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा शामिल हैं। यह कानून बनाने, बजट पारित करने, कार्यपालिका की जवाबदेही तय करने और जनहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने का कार्य करती है। लोकसभा जनता द्वारा सीधे चुनी जाती है जबकि राज्यसभा राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है। संसद लोकतंत्र की रीढ़ मानी जाती है।
6. विधि का शासन (Rule of Law) क्या है?
विधि का शासन एक सिद्धांत है जिसके अनुसार राज्य में सभी व्यक्ति और संस्थाएँ कानून के अधीन हैं। इसका मुख्य उद्देश्य है – मनमानी रोकना और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा। ब्रिटिश संविधान के विद्वान डाइस ने इसकी तीन विशेषताएँ दी – (1) कानून का समान शासन, (2) कोई दंड बिना विधि के नहीं, (3) संविधान न्यायालयों से प्राप्त होता है।
7. मानव अधिकार (Human Rights) क्या हैं?
मानव अधिकार वे मूल अधिकार हैं जो हर व्यक्ति को केवल मानव होने के नाते प्राप्त होते हैं। इनमें जीवन, स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1948 में मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (UDHR) की। भारत के संविधान के भाग-III में मौलिक अधिकार इन्हीं मानव अधिकारों की व्याख्या हैं।
8. भारत में संवैधानिक संसदीय शासन क्या है?
भारत एक संवैधानिक संसदीय लोकतंत्र है, जिसमें राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख होते हैं और वास्तविक कार्यपालिका प्रधानमंत्री एवं मंत्रिपरिषद के हाथ में होती है। संसद कानून बनाती है और कार्यपालिका को उत्तरदायी बनाती है। यह प्रणाली ब्रिटिश प्रणाली पर आधारित है परंतु भारतीय आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित है।
9. संविधान की प्रस्तावना का महत्व क्या है?
संविधान की प्रस्तावना संविधान की आत्मा मानी जाती है। यह भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करती है तथा न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता सुनिश्चित करने का संकल्प करती है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे संविधान की मूल संरचना का हिस्सा माना है।
10. धर्मनिरपेक्षता का अर्थ समझाइए।
धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है – राज्य और धर्म का पृथक्करण। भारत में इसका मतलब है कि राज्य सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखता है और किसी धर्म का समर्थन या विरोध नहीं करता। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 25 से 28 तक धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है। यह भारत की विविधता में एकता का आधार है।
11. भारतीय संघवाद की विशेषताएँ क्या हैं?
भारत का संघवाद एक सशक्त केंद्र वाला संघ है। इसकी विशेषताएँ हैं – (1) दोहरी शासन प्रणाली (केंद्र व राज्य), (2) लिखित संविधान, (3) शक्तियों का वितरण (सारणी VII), (4) संविधान की सर्वोच्चता, (5) संविधान द्वारा सृजित संघ। यद्यपि केंद्र को अधिक शक्ति दी गई है, फिर भी राज्यों को पर्याप्त स्वायत्तता है।
12. राजनीतिक दलों की भूमिका क्या है?
राजनीतिक दल लोकतंत्र की धुरी हैं। ये जनमत को संगठित करते हैं, चुनावों में उम्मीदवार खड़े करते हैं, सरकार बनाते हैं, और विपक्ष के रूप में निगरानी रखते हैं। भारत में बहुदलीय प्रणाली है, जिसमें राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल सक्रिय हैं। ये नीति निर्माण, जनजागरण और राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करने में सहायक होते हैं।
13. न्यायपालिका की स्वतंत्रता क्या है?
न्यायपालिका की स्वतंत्रता लोकतंत्र का आवश्यक अंग है। इसका अर्थ है – न्यायालय निर्णय लेते समय किसी भी राजनीतिक या बाहरी दबाव से मुक्त हो। इसके लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति, वेतन, कार्यकाल आदि को संविधान में सुरक्षित किया गया है। भारत का सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय इस सिद्धांत के संरक्षक हैं।
14. मौलिक कर्तव्य क्या हैं?
मौलिक कर्तव्य भारतीय नागरिकों द्वारा संविधान, राष्ट्र, पर्यावरण, और सामाजिक सद्भाव की रक्षा हेतु निभाए जाने वाले कर्तव्य हैं। इन्हें 42वें संशोधन द्वारा भाग-IV(A) में अनुच्छेद 51A के तहत जोड़ा गया। इनमें राष्ट्रगान का सम्मान, महिलाओं का सम्मान, सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा, वैज्ञानिक सोच आदि शामिल हैं।
15. दबाव समूह (Pressure Groups) क्या हैं?
दबाव समूह वे संगठित निकाय होते हैं जो सरकार पर नीतियों के निर्माण व निर्णयों पर प्रभाव डालने का प्रयास करते हैं, परंतु वे चुनाव में हिस्सा नहीं लेते। जैसे – ट्रेड यूनियन, उद्योग संघ, छात्र संगठन आदि। ये जनमत निर्माण में सहायता करते हैं और लोकतांत्रिक प्रणाली को सक्रिय बनाए रखते हैं।
16. भारतीय संविधान का धर्मनिरपेक्ष स्वरूप समझाइए।
भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता (Secularism) का अर्थ है कि राज्य किसी धर्म का समर्थन या विरोध नहीं करेगा। अनुच्छेद 25 से 28 तक नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है। 42वें संविधान संशोधन (1976) द्वारा “धर्मनिरपेक्ष” शब्द प्रस्तावना में जोड़ा गया। इसका तात्पर्य है कि भारत में सभी धर्मों को समान सम्मान और संरक्षण प्राप्त है। राज्य धार्मिक भेदभाव से रहित होकर जनहित में नीतियाँ बनाता है।
17. विधायी प्रक्रिया (Legislative Process) क्या होती है?
विधायी प्रक्रिया वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा संसद या विधानमंडल कोई कानून बनाती है। इसमें निम्नलिखित चरण होते हैं – (1) विधेयक की प्रस्तुति, (2) प्रथम पठन, (3) द्वितीय पठन, (4) समिति में विचार, (5) तृतीय पठन, (6) दोनों सदनों से पारित होना, और (7) राष्ट्रपति की स्वीकृति। यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक विचार-विमर्श को प्रतिबिंबित करती है।
18. भारतीय निर्वाचन आयोग की भूमिका बताइए।
भारतीय निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत स्थापित एक स्वायत्त निकाय है। इसका कार्य है – स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना। यह संसद, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के चुनाव आयोजित करता है। यह आचार संहिता लागू करता है, राजनीतिक दलों को मान्यता देता है और मतदाता सूची का पर्यवेक्षण करता है।
19. बहुदलीय प्रणाली (Multi-Party System) क्या है?
बहुदलीय प्रणाली वह होती है जिसमें दो से अधिक राजनीतिक दल सक्रिय रूप से चुनाव में भाग लेते हैं और सत्ता में आ सकते हैं। भारत में बहुदलीय प्रणाली है, जहाँ राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दोनों प्रकार के दल सक्रिय हैं। यह प्रणाली राजनीतिक विविधता और जनता की विभिन्न आकांक्षाओं को अभिव्यक्त करने का माध्यम बनती है।
20. राजनीतिक विचारक मैकियावेली के सिद्धांत पर प्रकाश डालिए।
निकोलो मैकियावेली (1469–1527) को आधुनिक राजनीति का जनक कहा जाता है। उसकी प्रसिद्ध कृति ‘The Prince’ में उसने यह दर्शाया कि शासक को सत्ता प्राप्ति और संरक्षण के लिए नैतिकता की परवाह किए बिना व्यावहारिक होना चाहिए। उसने कहा – “Ends justify the means” (उद्देश्य साधन को उचित ठहराते हैं)। उसने धर्म और नैतिकता को राजनीति से अलग रखा।
21. रजनीति और प्रशासन में अंतर स्पष्ट कीजिए।
राजनीति वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा सत्ता प्राप्त की जाती है, जबकि प्रशासन वह प्रणाली है जिसके द्वारा शासन कार्यान्वित होता है। राजनीति नीति निर्धारण से संबंधित है, और प्रशासन नीति को लागू करने से। राजनीति में निर्वाचित प्रतिनिधि कार्य करते हैं, जबकि प्रशासन में नौकरशाह। राजनीति परिवर्तनशील होती है, प्रशासन अपेक्षाकृत स्थिर।
22. लोक कल्याणकारी राज्य क्या होता है?
लोक कल्याणकारी राज्य वह होता है जो केवल शासन न करे बल्कि नागरिकों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने हेतु कार्य करे। इसमें राज्य शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, रोजगार आदि क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाता है। भारत का संविधान प्रस्तावना में भारत को एक “समाजवादी” राज्य घोषित करता है, जो इस विचार को बल देता है।
23. भारत में संघ और राज्य के संबंध क्या हैं?
भारत एक संघीय राष्ट्र है लेकिन सशक्त केंद्र वाला संघ है। संविधान की अनुसूची VII में केंद्र, राज्य और समवर्ती सूचियाँ हैं। केंद्र और राज्य के बीच शक्तियों का वितरण स्पष्ट है, परंतु अनुच्छेद 356 व 249 जैसे प्रावधान केंद्र को विशेष शक्तियाँ प्रदान करते हैं। आपातकाल के दौरान संघीय स्वरूप और भी एकात्मक हो जाता है।
24. भारतीय न्यायपालिका की संरचना समझाइए।
भारत में न्यायपालिका त्रिस्तरीय है –
(1) सुप्रीम कोर्ट (देश का सर्वोच्च न्यायालय),
(2) हाईकोर्ट (राज्य स्तरीय न्यायालय),
(3) निचली न्यायपालिका (जिला न्यायालय, सत्र न्यायालय)।
सुप्रीम कोर्ट की स्थापना अनुच्छेद 124 के तहत हुई। यह संविधान की व्याख्या, मौलिक अधिकारों की रक्षा और अपीलों की सुनवाई करता है।
25. भारत में चुनाव सुधारों की आवश्यकता क्यों है?
भारत में चुनाव सुधार आवश्यक हैं क्योंकि –
- धनबल और बाहुबल का दुरुपयोग होता है,
- वोटरों को प्रभावित करने के लिए अवैध तरीके अपनाए जाते हैं,
- फर्जी मतदान और मतदान दर में गिरावट होती है।
चुनाव आयोग ने समय-समय पर सुधार किए हैं जैसे – VVPAT, EVM, NOTA, लेकिन और सुधार की आवश्यकता है।
26. राजनैतिक विचारक प्लेटो का आदर्श राज्य क्या है?
प्लेटो ने अपने ग्रंथ ‘The Republic’ में आदर्श राज्य की परिकल्पना की। उसके अनुसार राज्य का उद्देश्य न्याय की स्थापना है। उसने समाज को तीन वर्गों में विभाजित किया –
(1) शासक (बुद्धिमान),
(2) सैनिक (साहसी),
(3) उत्पादक वर्ग (लालची)।
उसने दर्शनशास्त्रियों को शासक बनने का सुझाव दिया – “Philosopher King”।
27. न्याय का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
न्याय का अर्थ है – समाज में प्रत्येक व्यक्ति को उसका उचित अधिकार प्राप्त होना। यह चार प्रकार का होता है –
(1) सामाजिक,
(2) आर्थिक,
(3) राजनीतिक,
(4) विधिक।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में “न्याय – सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक” को राष्ट्र का मूल उद्देश्य माना गया है।
28. Montesquieu का शक्ति पृथक्करण सिद्धांत क्या है?
मॉन्टेस्क्यू ने ‘The Spirit of Laws’ में शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत दिया। इसके अनुसार शासन की तीन शाखाएँ –
(1) विधायिका,
(2) कार्यपालिका,
(3) न्यायपालिका –
को अलग-अलग होना चाहिए। इससे सत्ता का केंद्रीकरण रोका जा सकता है और स्वतंत्रता की रक्षा होती है। भारत में इसका अनुप्रयोग आंशिक रूप में देखा जा सकता है।
29. नागरिकता (Citizenship) क्या है?
नागरिकता का अर्थ है – किसी व्यक्ति का उस राज्य से विधिक संबंध, जिससे उसे अधिकार और कर्तव्य प्राप्त होते हैं। भारतीय संविधान के भाग-II में (अनुच्छेद 5–11) नागरिकता से संबंधित प्रावधान हैं। नागरिकता जन्म, वंश, पंजीकरण, प्राकृतिककरण और क्षेत्रीय अधिग्रहण से प्राप्त हो सकती है।
30. भारतीय राजनीति में जातिवाद की भूमिका क्या है?
जातिवाद भारतीय राजनीति में एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक कारक है। राजनीतिक दल जातिगत समीकरण के आधार पर उम्मीदवार चुनते हैं। वोट बैंक की राजनीति जातीय भावनाओं पर निर्भर करती है। आरक्षण, जाति आधारित जनगणना और दलित-मुक्ति आंदोलन जैसे मुद्दे राजनीति को प्रभावित करते हैं। इससे कभी-कभी सामाजिक विभाजन भी होता है।
31. वैश्वीकरण का राजनीति पर प्रभाव क्या है?
वैश्वीकरण ने राज्यों की संप्रभुता, नीतियों और राजनीतिक स्वतंत्रता को चुनौती दी है। अब अंतरराष्ट्रीय संगठनों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों और वैश्विक समझौतों का प्रभाव बढ़ गया है। नीति निर्माण में बाहरी दबावों की भूमिका बढ़ी है। हालांकि, यह आर्थिक समृद्धि और तकनीकी प्रगति के अवसर भी लाया है।
32. गांधी जी का ग्राम स्वराज का विचार समझाइए।
गांधी जी के अनुसार भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। उन्होंने “ग्राम स्वराज” की कल्पना की जिसमें गाँव आत्मनिर्भर, स्वशासित और आर्थिक रूप से स्वतंत्र हों। यह विकेन्द्रीकरण, ग्राम पंचायतों की शक्ति और स्थानीय संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा देता है। आज भी पंचायती राज प्रणाली इसी दर्शन पर आधारित है।
33. राजनीतिक समाजीकरण (Political Socialization) क्या है?
राजनीतिक समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति राजनीतिक मूल्य, विश्वास, आचरण और दृष्टिकोण सीखता है। इसके मुख्य माध्यम हैं – परिवार, विद्यालय, मीडिया, धर्म, राजनीतिक दल आदि। यह व्यक्ति के राजनीतिक दृष्टिकोण को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
34. भारतीय संविधान की मौलिक संरचना सिद्धांत क्या है?
मौलिक संरचना सिद्धांत सुप्रीम कोर्ट द्वारा केशवानंद भारती केस (1973) में प्रतिपादित किया गया। इसके अनुसार संसद संविधान में संशोधन कर सकती है लेकिन उसकी “मौलिक संरचना” (जैसे – लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता) को नहीं बदल सकती। यह संविधान की स्थिरता और मूल आत्मा की रक्षा करता है।
35. राष्ट्रवाद (Nationalism) क्या है?
राष्ट्रवाद वह विचार है जिसमें व्यक्ति अपने राष्ट्र के प्रति सर्वोच्च निष्ठा और प्रेम रखता है। यह स्वतंत्रता संग्राम, सांस्कृतिक एकता और राष्ट्रीय पहचान का आधार बना। भारत में राष्ट्रवाद महात्मा गांधी, नेहरू, भगत सिंह जैसे नेताओं के नेतृत्व में सामाजिक-राजनीतिक आंदोलन का मुख्य आधार रहा।
36. भारत में पंचायती राज व्यवस्था का स्वरूप समझाइए।
भारत में पंचायती राज व्यवस्था स्थानीय स्वशासन की लोकतांत्रिक प्रणाली है जिसे 73वें संविधान संशोधन (1992) द्वारा संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ। यह तीन स्तरों पर कार्य करती है:
- ग्राम पंचायत (ग्राम स्तर)
- पंचायत समिति (खंड स्तर)
- जिला परिषद (जिला स्तर)
इस व्यवस्था का उद्देश्य ग्रामीण लोगों को शासन में भागीदारी देना और विकास को स्थानीय स्तर पर सुनिश्चित करना है। अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित हैं। इससे ग्राम स्वराज की अवधारणा को बल मिलता है।
37. राजनीतिक स्थिरता और अस्थिरता में अंतर स्पष्ट कीजिए।
राजनीतिक स्थिरता का अर्थ है – सरकारों का लंबा और प्रभावी कार्यकाल, नीति में निरंतरता, और जनमत का समर्थन। इसके विपरीत, राजनीतिक अस्थिरता में सरकारें बार-बार गिरती हैं, नीतियों में असंगति रहती है और प्रशासनिक ठहराव आता है। स्थिरता से आर्थिक और सामाजिक विकास को बल मिलता है जबकि अस्थिरता से अव्यवस्था बढ़ती है।
38. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of People Act), 1951 का उद्देश्य बताइए।
यह अधिनियम भारत में चुनावों की प्रक्रिया को विनियमित करता है। इसके अंतर्गत निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ, उम्मीदवारों की पात्रता, चुनावी भ्रष्टाचार, अयोग्यता, उपचुनाव, और जन प्रतिनिधियों की सदस्यता समाप्ति से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं। यह लोकतंत्र को पारदर्शिता और नैतिकता देने में सहायक है।
39. भारत में राजनीतिक दलों के पंजीकरण की प्रक्रिया क्या है?
भारत में राजनीतिक दलों का पंजीकरण निर्वाचन आयोग (Election Commission) के पास किया जाता है। इसके लिए पार्टी को संविधान, कार्यक्रम, सदस्य सूची और नियमावली प्रस्तुत करनी होती है। आयोग समीक्षा के बाद पंजीकरण करता है। पंजीकृत दलों को चुनाव चिन्ह, मान्यता और अन्य चुनावी सुविधाएँ मिलती हैं।
40. भारत में मताधिकार की विशेषताएँ बताइए।
भारत में सर्वजनसुलभ वयस्क मताधिकार (Universal Adult Franchise) है, जिसके तहत 18 वर्ष या अधिक आयु के सभी नागरिक मत देने के पात्र हैं। यह मताधिकार बिना किसी जाति, धर्म, लिंग या संपत्ति के भेद के प्रदान किया गया है। यह लोकतंत्र की आत्मा है और समानता के सिद्धांत को सशक्त करता है।
41. राजनीतिक विचारक रूसो के सामाजिक अनुबंध सिद्धांत को समझाइए।
रूसो (Jean Jacques Rousseau) ने ‘Social Contract’ में कहा कि राज्य और नागरिकों के बीच एक सामाजिक अनुबंध होता है। उसके अनुसार, “Man is born free but everywhere he is in chains.” उसने ‘General Will’ की अवधारणा दी, जिसके अनुसार राज्य को जन-इच्छा के अनुरूप कार्य करना चाहिए। रूसो का विचार आधुनिक लोकतंत्र की नींव है।
42. लोकसभा और राज्यसभा में अंतर लिखिए।
लोकसभा जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुनी जाती है और सरकार बनाने में भूमिका निभाती है। इसके सदस्य 5 वर्षों के लिए चुने जाते हैं।
राज्यसभा एक स्थायी सदन है, जिसमें 1/3 सदस्य हर दो वर्ष में सेवानिवृत्त होते हैं। राज्यसभा राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है।
लोकसभा का नियंत्रण अधिक होता है, विशेषतः धन विधेयकों में।
43. लोकपाल और लोकायुक्त की भूमिका समझाइए।
लोकपाल (केंद्रीय स्तर) और लोकायुक्त (राज्य स्तर) भ्रष्टाचार के खिलाफ एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था हैं। लोकपाल अधिनियम 2013 के तहत इनकी स्थापना हुई। इनका कार्य प्रधानमंत्री, मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों की जांच करना है। यह पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देते हैं।
44. राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का महत्व बताइए।
संविधान के भाग-IV में नीति निदेशक तत्व शामिल हैं जो राज्य को शासन नीति बनाने में मार्गदर्शन देते हैं। ये समाजवाद, समानता, न्यूनतम जीवन स्तर, बाल विकास, और पर्यावरण संरक्षण जैसे मूल्यों पर आधारित हैं। ये न्यायिक रूप से बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन नीति निर्माण में मूल दिशा तय करते हैं।
45. भारत में संघीय व्यवस्था की विशेषताएँ क्या हैं?
भारत की संघीय व्यवस्था की विशेषताएँ हैं –
- शक्तियों का वितरण (अनुसूची VII),
- द्वैध शासन प्रणाली,
- लिखित संविधान,
- संविधान की सर्वोच्चता,
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता।
भारत एक सशक्त केंद्र वाला संघ है, जहाँ राज्यों को पर्याप्त स्वायत्तता दी गई है परंतु संकट में केंद्र की शक्ति अधिक होती है।
46. विधायिका और कार्यपालिका में अंतर स्पष्ट कीजिए।
विधायिका कानून बनाती है, जबकि कार्यपालिका उन कानूनों को लागू करती है। विधायिका में सांसद और विधायक होते हैं, कार्यपालिका में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, और नौकरशाह शामिल होते हैं। विधायिका जनता की प्रतिनिधि होती है, कार्यपालिका शासन व्यवस्था का संचालन करती है।
47. भारत में न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review) का महत्व क्या है?
न्यायिक पुनरावलोकन वह प्रक्रिया है जिसमें न्यायपालिका यह जाँच करती है कि विधायिका या कार्यपालिका द्वारा बनाए गए कानून संविधान के अनुरूप हैं या नहीं। यह संविधान के अनुच्छेद 13 और 32 के अंतर्गत आता है। इससे संविधान की सर्वोच्चता और नागरिक अधिकारों की रक्षा होती है।
48. सविंधान संशोधन की प्रक्रिया क्या है?
अनुच्छेद 368 के अनुसार, संविधान में संशोधन तीन विधियों से हो सकता है:
- साधारण बहुमत से,
- विशेष बहुमत से,
- विशेष बहुमत + राज्यों की सहमति से।
मौलिक संरचना (Basic Structure) को संशोधित नहीं किया जा सकता। अब तक 100+ संशोधन हो चुके हैं।
49. राजनीतिक विचारक जॉन लॉक के विचार क्या हैं?
जॉन लॉक (1632–1704) ने प्राकृतिक अधिकारों का समर्थन किया – जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति। उसने सामाजिक अनुबंध और सीमित सरकार का समर्थन किया। उसके अनुसार सरकार जनता की सहमति से बनती है और यदि सरकार दमनकारी हो तो जनता को उसे हटाने का अधिकार है। उसके विचार अमेरिकी संविधान और उदारवाद की नींव बने।
50. भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी पर टिप्पणी कीजिए।
भारत में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी धीरे-धीरे बढ़ रही है। पंचायती राज में 33% आरक्षण के कारण लाखों महिलाएँ नेतृत्व कर रही हैं। संसद और विधानसभाओं में महिलाओं की संख्या अभी कम है, लेकिन महिला आरक्षण बिल के माध्यम से इसमें वृद्धि की आशा है। महिला सशक्तिकरण लोकतंत्र को समृद्ध करता है।