📜 सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: रजिस्टर्ड रद्दीकरण विलेख (Cancellation Deed) के बाद स्टाम्प ड्यूटी वापसी का अधिकार पूर्व-प्रभाव से समाप्त नहीं किया जा सकता — बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश पलटा गया
📌 मामला:
AIR 2025 SUPREME COURT 713 (A)
बनाम
Bombay High Court का पूर्व आदेश: AIROnline 2024 BOM 1987
🧾 मुख्य विषय: स्टाम्प ड्यूटी रिफंड — वैध रद्दीकरण विलेख के पश्चात अधिकार
⚖️ विवाद का मूल: लिमिटेशन संशोधन के कारण स्टाम्प ड्यूटी की वापसी को तकनीकी आधार पर नकार देना
🏛️ पृष्ठभूमि:
- एक पार्टी द्वारा संपत्ति का रजिस्ट्रेशन हुआ लेकिन बाद में समझौते को रद्द करने हेतु विधिपूर्वक रद्दीकरण विलेख (Cancellation Deed) निष्पादित किया गया।
- इसके बाद स्टाम्प ड्यूटी रिफंड की कानूनी प्रक्रिया के तहत आवेदन किया गया।
- लेकिन तब तक संबंधित राज्य सरकार द्वारा लिमिटेशन पीरियड (सीमित अवधि) को छोटा कर दिया गया था, और
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस आधार पर रिफंड को अस्वीकार कर दिया कि आवेदन “देरी से” किया गया है।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया:
“एक बार जब वैध रूप से रद्दीकरण विलेख निष्पादित हो जाता है, तो स्टाम्प ड्यूटी रिफंड का अधिकार एक वैध अधिग्रहित अधिकार (vested right) बन जाता है।
ऐसे अधिकार को बाद में किए गए संशोधन या कानून में बदलाव द्वारा पिछली तिथि से (retroactively) समाप्त नहीं किया जा सकता।”
📌 सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के AIROnline 2024 BOM 1987 के आदेश को निरस्त कर दिया और कहा कि:
- केवल तकनीकी आधार (जैसे देरी या लिमिटेशन की नई समय सीमा) पर वैध रिफंड को नकारना न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है।
- यह न्यायिक अन्याय होगा अगर नागरिकों के वैध अधिकारों को विधायी संशोधन से पीछे की तिथि से समाप्त कर दिया जाए।
📚 प्रमुख कानूनी सिद्धांत जो कोर्ट ने अपनाए:
- Vested Right Doctrine:
- एक बार जब कोई व्यक्ति कानून के अंतर्गत किसी कार्य को वैध रूप से करता है (जैसे रद्दीकरण विलेख), तो उससे उत्पन्न अधिकार स्थिर और संरक्षित होते हैं।
- No Retrospective Curtailment:
- विधायिका द्वारा लाए गए संशोधन, जो अधिकारों पर प्रभाव डालते हैं, उन्हें पिछली तिथि से लागू नहीं किया जा सकता, जब तक कानून स्पष्ट रूप से उसे प्रतिगामी (retrospective) न कहे।
- Substantive Justice over Procedural Technicality:
- केवल प्रक्रिया में हुई देरी को आधार बनाकर न्यायसंगत रिफंड को इनकार करना प्रक्रियागत अत्याचार की श्रेणी में आता है।
📘 न्यायिक महत्व:
- यह फैसला विशेष रूप से उन मामलों में महत्वपूर्ण है जहां स्टाम्प ड्यूटी की राशि बड़ी होती है और रद्दीकरण विलेख निष्पादित होने के बाद रिफंड मांगा जाता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि कोई भी लिमिटेशन संशोधन पूर्ववर्ती अधिकार को समाप्त नहीं कर सकता, जब तक वह स्पष्ट और युक्तिसंगत विधायी घोषणा न हो।
📝 निष्कर्ष:
AIR 2025 SUPREME COURT 713 (A) में सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि नागरिकों के वैध और विधिसम्मत अधिकार केवल तकनीकी आधारों पर समाप्त नहीं किए जा सकते।
इस निर्णय ने यह सिद्ध किया कि न्याय केवल कानूनी प्रक्रिया का पालन करने में नहीं, बल्कि वास्तविक न्याय देने में है।
यह फैसला भविष्य में स्टाम्प ड्यूटी रिफंड से जुड़े विवादों में मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य करेगा।